डोनाल्ड ट्रम्प की नस्लवादी राजनीति और कॉर्पोरेट लालच का जहरीला गठजोड़ अमेरिका को एक बार फिर 1960 के दशक के नस्लीय भेदभाव के अंधेरे में धकेलने पर तुला हुआ है। जिस देश ने कभी नागरिक अधिकार आंदोलन की लहर में जॉन एफ. कैनेडी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं की अगुवाई में समानता और न्याय के लिए संघर्ष किया था, वहां अब सत्ता में बैठा एक व्यक्ति खुलेआम विविधता, समानता और समावेशन Diversity, Equity, and Inclusion (DEI) को खत्म करने का अभियान चला रहा है।
ट्रम्प ने वाशिंगटन में हुए विमान हादसे को Federal Aviation Administration (FAA) में विविधता बढ़ाने के प्रयासों से जोड़कर यह साबित कर दिया कि उनकी एकमात्र प्राथमिकता गोरी चमड़ी वालों के वर्चस्व को बनाए रखना और अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलना है। बिना किसी प्रमाण के, उन्होंने इस दुर्घटना का दोष DEI नीतियों पर मढ़ दिया, जिससे उनकी नस्लवादी मानसिकता उजागर होती है।
DEI कार्यक्रम अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास हैं। यह कोई भेदभाव नहीं, बल्कि सदियों से चले आ रहे नस्लीय अन्याय को खत्म करने की प्रक्रिया है। ट्रम्प के समर्थक इसे योग्यता की लड़ाई बताते हैं, लेकिन असल में यह सिर्फ श्वेत पुरुषों के सत्ता में बने रहने का हथकंडा है।
1964 के नागरिक अधिकार अधिनियम के बाद अमेरिका ने नस्लीय भेदभाव को खत्म करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे, लेकिन ट्रम्प ने सत्ता में आते ही इन सभी प्रयासों को कमजोर करने का अभियान शुरू कर दिया। उन्होंने संघीय एजेंसियों से उन सभी कर्मचारियों को बाहर निकालने का आदेश दिया, जो विविधता और समावेशन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे थे। इतना ही नहीं, उन्होंने उस 60 साल पुरानी कार्यकारी व्यवस्था को भी रद्द कर दिया, जो संघीय ठेकेदारों को नस्लीय भेदभाव से रोकती थी।
यह महज प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि नस्लीय अन्याय को कानूनी जामा पहनाने की साजिश है। ट्रम्प सरकारी और निजी संस्थानों से अल्पसंख्यकों को बाहर निकालकर श्वेत वर्चस्ववादी तानाशाही स्थापित करना चाहते हैं।
ट्रम्प की नफरत भरी राजनीति को कॉर्पोरेट लालच का पूरा समर्थन मिल रहा है। वॉलमार्ट, मैकडॉनल्ड्स, फोर्ड, अमेज़न जैसी कंपनियां, जो अल्पसंख्यकों के श्रम पर अरबों डॉलर कमाती हैं, अब उन्हीं के अधिकारों को कुचलने के लिए ट्रम्प के साथ खड़ी हैं।
इन कंपनियों ने DEI प्रयासों को खत्म करने या उनमें भारी कटौती करने का फैसला किया है। यह साफ दिखाता है कि इनका ‘विविधता और समानता’ का प्रचार महज दिखावा था। जब तक अश्वेत और अल्पसंख्यक उनके लिए सस्ते श्रमिक बने रहे, तब तक वे उन्हें सहन कर सकते थे, लेकिन जब नेतृत्व के पदों पर उनकी हिस्सेदारी बढ़ने लगी, तो इन कंपनियों ने ट्रम्प के नस्लवादी एजेंडे को खुलकर समर्थन देना शुरू कर दिया।
हालांकि, नेशनल फुटबॉल लीग (NFL) ने ट्रम्प की नस्लवादी राजनीति के सामने घुटने टेकने से इनकार कर दिया है। NFL का ‘रूनी नियम’ (Rooney Rule) अनिवार्य करता है कि हेड कोच और जनरल मैनेजर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती के लिए कम से कम दो अल्पसंख्यक उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया जाए। यह केवल नियम नहीं, बल्कि अमेरिकी खेल जगत में विविधता सुनिश्चित करने का ऐतिहासिक कदम है।
ट्रम्प के नस्लवादी रुख की झलक 2017 में भी देखने को मिली थी, जब उन्होंने राष्ट्रगान के दौरान घुटने टेककर विरोध जताने वाले खिलाड़ियों को ‘हरामजादा’ (son of a bitch) कहकर अपमानित किया था।
यह वही ट्रम्प हैं, जिन्होंने उन निर्दोष अश्वेत युवकों (Central Park Five) को बिना किसी सबूत के फांसी देने की मांग की थी, और जब वे दोषमुक्त साबित हो गए, तब भी उन्होंने माफी नहीं मांगी। Central Park Five – 1989 की वह घटना है जिसमें न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क में अपराध के झूठे आरोप में अश्वेत और हिस्पैनिक किशोर फंसाए गए थे, जिन्हें बाद में निर्दोष पाया गया।
हालांकि NFL ने ट्रम्प के नस्लवादी हमलों का विरोध किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वास्तव में समावेशन को बढ़ावा दे रहा है, या केवल दिखावे की राजनीति कर रहा है?
- 2024 सीज़न की शुरुआत में, NFL की 32 टीमों में केवल नौ अल्पसंख्यक हेड कोच थे, जिनमें छह अश्वेत थे।
- कई टीमों पर यह आरोप लगता रहा है कि वे महज नियम पूरा करने के लिए अल्पसंख्यक उम्मीदवारों का साक्षात्कार करती हैं, लेकिन पहले से ही श्वेत उम्मीदवार को चुनने का फैसला कर चुकी होती हैं।
- 2024 सीज़न तक, केवल पांच ब्लैक हेड कोच और कुल सात अल्पसंख्यक हेड कोच ही इस खेल में शीर्ष स्तर तक पहुंच सके।
यह लड़ाई सिर्फ फुटबॉल के मैदान तक सीमित नहीं है। यह अमेरिका के सामाजिक ताने-बाने की लड़ाई है। ट्रम्प की नीतियां सिर्फ नैतिक और सामाजिक रूप से गलत ही नहीं हैं, बल्कि कानूनी रूप से भी कंपनियों और संस्थानों को खतरे में डाल रही हैं।
2023 में Equal Employment Opportunity Commission (EEOC) को 81,000 से अधिक भेदभाव की शिकायतें मिलीं, जो पिछले वर्षों की तुलना में अधिक थीं। EEOC – Equal Employment Opportunity Commission (समान रोजगार अवसर आयोग) अमेरिकी संघीय एजेंसी है, जो कार्यस्थलों में भेदभाव से संबंधित कानूनों को लागू करती है। यह सुनिश्चित करती है कि किसी कर्मचारी के साथ उसकी जाति, रंग, धर्म, लिंग, राष्ट्रीय मूल, आयु, विकलांगता या आनुवंशिक जानकारी के आधार पर भेदभाव न किया जाए।
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी वोल्कर टर्क ने भी इस बात पर जोर दिया कि विविधता कोई खतरा नहीं, बल्कि संपदा है। अगर ट्रम्प की नीतियों को रोका नहीं गया, तो अमेरिका का सामाजिक तानाबाना पूरी तरह से बिखर सकता है।DEI को खत्म करना सिर्फ सरकारी नीति को बदलने का मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, नागरिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ संगठित साजिश है।
ट्रम्प का एजेंडा अब किसी से छिपा नहीं है-वे अमेरिका को नस्लवाद और भेदभाव के दलदल में फिर से धकेलना चाहते हैं। अब यह अमेरिकी जनता पर निर्भर करता है कि वे इस षड्यंत्र को समझें और इसे नाकाम करें। नस्लीय समानता और सामाजिक न्याय की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि ट्रम्प के इस हमले के बाद यह लड़ाई और भी जरूरी हो गई है। अगर अमेरिका को वास्तव में लोकतांत्रिक और न्यायसंगत समाज बनाए रखना है, तो ट्रम्प की इन नीतियों को पूरी तरह अस्वीकार करना होगा।
(मनोज अभिज्ञान स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)