जल, जमीन, आकाश, सबकी फ़िक्र बढ़ाती है मृत देह 

इन दिनों देश में पितृ पक्ष चल रहा है और सनातन धर्म से जुड़े लोग अपने मृत पूर्वजों को याद…

कौन चाहता है टीचर बनना!

सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य इस कदर बदलते जा रहे हैं कि कभी देवता और गुरु जी कह कर पूजे जाने…

शिक्षक के साथ मित्र होना भी जरूरी 

बच्चों की शिक्षा के प्रश्न को बस शिक्षाविदों, नीतिनिर्धारकों और समाजशास्त्रियों पर नहीं छोड़ देना चाहिए। विशेषज्ञता के अपने फायदे…

टहलते चलें अच्छी सेहत की ओर   

खेलकूद में बच्चों की एक स्वाभाविक रुचि होती है। वे हर समय खेलना चाहते हैं, पर अपने अनुभवों से दबे-पिसे…

शिक्षकों को भी दरकार है सही शिक्षा की

आजादी के पचहत्तर वर्ष पूरे होने का जश्न एक तरफ बड़े उत्साह और कहीं-कहीं उन्मत्तता के साथ भी मनाया गया,…

डिप्रेशन में देश: समझ कम, इलाज नाकाफी  

यह एक विडम्बना है कि जिस देश की जड़ें तथाकथित आध्यात्मिकता में रहीं हैं, उसके धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान उसे…

विश्व मच्छर दिवस: कम नहीं है मच्छर की औकात!

आज विश्व मच्छर दिवस है। आम भाषा में मच्छर की औकात ज्यादा नहीं समझी जाती, पर इस अति सूक्ष्म, पंखधारी, विषैले प्राणी…

अपनी-अपनी गुलामी चुनने की आज़ादी

‘बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे/बोल ज़बाँ अब तक तेरी है/तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा/…जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले/बोल कि…

आज़ादी के जश्न से आज भी दूर हैं बापू

15 अगस्त, 1947 को जब देश की आजादी का ऐलान हुआ, वह गाँधी जी के लिए जश्न का दिन नहीं…

मित्रता में चाटुकारों से बेहतर हैं निंदक 

दोस्ती की समझ में आने वाली कोई वजह नहीं होती। दोस्ती न होने या दोस्ती टूट जाने की वजह होती…