Thursday, April 25, 2024

चैतन्य नागर

जल, जमीन, आकाश, सबकी फ़िक्र बढ़ाती है मृत देह 

इन दिनों देश में पितृ पक्ष चल रहा है और सनातन धर्म से जुड़े लोग अपने मृत पूर्वजों को याद कर रहे हैं। मृत परिजनों के लिए धार्मिक अनुष्ठान किये जा रहे हैं, ब्रह्मभोज करवाए जा रहे हैं। एक...

कौन चाहता है टीचर बनना!

सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य इस कदर बदलते जा रहे हैं कि कभी देवता और गुरु जी कह कर पूजे जाने वाले शिक्षक खिसकते-खिसकते अब सामाजिक जीवन के हाशिये पर चले गए हैं। आदरणीय गुरु जी तेजी से मास्साब में...

शिक्षक के साथ मित्र होना भी जरूरी 

बच्चों की शिक्षा के प्रश्न को बस शिक्षाविदों, नीतिनिर्धारकों और समाजशास्त्रियों पर नहीं छोड़ देना चाहिए। विशेषज्ञता के अपने फायदे हैं पर इसकी वजह से हर चीज़ हवाबंद संदूकों में बंद भी हो जाती है। परिणाम यह होता है...

टहलते चलें अच्छी सेहत की ओर   

खेलकूद में बच्चों की एक स्वाभाविक रुचि होती है। वे हर समय खेलना चाहते हैं, पर अपने अनुभवों से दबे-पिसे वयस्क उनको पढ़ाई-लिखाई पर अधिक ध्यान देने और खेलकूद पर समय बर्बाद न करने की हिदायतें देते नहीं थकते।...

शिक्षकों को भी दरकार है सही शिक्षा की

आजादी के पचहत्तर वर्ष पूरे होने का जश्न एक तरफ बड़े उत्साह और कहीं-कहीं उन्मत्तता के साथ भी मनाया गया, वहीं हाल ही में ऐसी घटनाएँ भी हुईं, जिनसे यह भी इशारा मिला कि जिस आजादी और लोकतंत्र के...

डिप्रेशन में देश: समझ कम, इलाज नाकाफी  

यह एक विडम्बना है कि जिस देश की जड़ें तथाकथित आध्यात्मिकता में रहीं हैं, उसके धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान उसे नैराश्य और अवसाद का सामना करने में मदद नहीं कर पाए हैं! गीता को विश्व की महानतम धार्मिक और...

विश्व मच्छर दिवस: कम नहीं है मच्छर की औकात!

आज विश्व मच्छर दिवस है। आम भाषा में मच्छर की औकात ज्यादा नहीं समझी जाती, पर इस अति सूक्ष्म, पंखधारी, विषैले प्राणी की ताकत को भूल कर भी कम नहीं आंकना चाहिए। सर रॉनल्ड रॉस ने 1897 में 20 अगस्त को मलेरिया और मच्छर के बीच...

अपनी-अपनी गुलामी चुनने की आज़ादी

‘बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे/बोल ज़बाँ अब तक तेरी है/तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा/…जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले/बोल कि सच ज़िंदा है अब तक/बोल जो कुछ कहने हैं कह ले। फैज़ ने जेल में लिखी थी यह नज़्म।...

आज़ादी के जश्न से आज भी दूर हैं बापू

15 अगस्त, 1947 को जब देश की आजादी का ऐलान हुआ, वह गाँधी जी के लिए जश्न का दिन नहीं था। इधर देश उत्सव में मग्न था, और उधर महात्मा गांधी 14 अगस्त, 1947 की रात कलकत्ता में शांति...

मित्रता में चाटुकारों से बेहतर हैं निंदक 

दोस्ती की समझ में आने वाली कोई वजह नहीं होती। दोस्ती न होने या दोस्ती टूट जाने की वजह होती है। दोस्ती अगर किसी वजह से है तो फिर इसका अर्थ है कि दो लोगों के बीच सीधा सम्बन्ध...

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