पूंजीवादी व्यवस्था की बुनियादी संरचना मुनाफे पर आधारित होती है और इसका हर पहलू मानव जीवन को मुनाफे के संदर्भ…
अमेरिकी डॉलर का प्रभुत्व, BRICS और तीसरी दुनिया: आर्थिक संघर्ष और वैश्विक संतुलन
वैश्विक अर्थव्यवस्था में अब तक का सबसे शक्तिशाली प्रतीक अमेरिकी डॉलर रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित ब्रेटन…
दक्षिणपंथी विचारों का उदय: सामाजिक असुरक्षा और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
वर्तमान वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य में विचारधाराओं का अनोखा और चिंताजनक बदलाव देखा जा रहा है। जहां एक ओर आर्थिक…
प्राचीन युग की ओर लौटने की चाह: यथार्थ और कल्पना का संघर्ष
मानव समाज में प्राचीन काल की पुनर्रचना की आकांक्षा प्रमुख विचारधारात्मक प्रवृत्ति रही है, जो समाज के वास्तविक परिवर्तन के…
फासीवादी राष्ट्रवाद का असली चेहरा: स्वार्थ, संपत्ति और सत्ता की भूख
राष्ट्रवाद, ऐसा शब्द जो समय-समय पर सत्ता के खेल में सबसे प्रभावशाली हथियार बनकर उभरता है। इतिहास गवाह है कि…
विज्ञापन और स्टार्टअप्स का अनकहा सच: आर्थिक असमानता का जाल
आज की दुनिया में विज्ञापन और स्टार्टअप्स का प्रचार नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है। बड़ी कंपनियों और स्टार्टअप्स द्वारा…
भारत में फासीवाद का उभार: मध्यमवर्गीय असुरक्षाओं की राजनीति
फासीवाद, जो कि 20वीं सदी में यूरोप में उभरी राजनीतिक परिघटना थी, आज के भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में नए रूप…
नोबेल पुरस्कार और ‘संस्थागत अविश्वास’ का पूंजीवादी तर्क
इस वर्ष के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से उस शोध को सम्मानित किया गया है, जो अमीर और गरीब देशों…
शासक वर्ग की हेजेमनी: शासक वर्ग के पास होता है उत्पादन के साधनों का स्वामित्व
शासक वर्ग मुट्ठी भर होता है, लेकिन वह बहुसंख्यक पर हर तरह से राज करता है। यह सवाल समाज के…
पूंजीवाद, शोषण और डिजिटल युग: उत्पादन और श्रम के बदलते संबंध
पूंजीपतियों ने सामंती और पारंपरिक व्यवस्था को तोड़ते हुए एक नई औद्योगिक व्यवस्था की स्थापना की। इस प्रक्रिया में उन्होंने…