सभ्यता की शुरुआत से ही अनवरत आवाज गूंजती रही है, ‘न्याय चाहिए, न्याय चाहिए’! कानून का राज बहाल रहने की…
उक्ति-संग्राम और मुक्ति-संग्राम के बीच प्रतिबद्धता और क्षमता का सवाल
भारत में लोकतंत्र के प्रति गहरी प्रतिबद्धता रखनेवाले राजनीतिक नेताओं की जरूरत है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि…
लोकतांत्रिक सत्ता में हकदारी, हिस्सेदारी और भागीदारी के सवाल
पिछले बीस-तीस साल में समय बहुत बदल गया है। न तो ऐसा अंधेरा सभ्यता ने पहले कभी देखा था और…
अनमने लोकतंत्र और ढीठ राजनीति की छलकारी रणनीति
ऐसा लगता है कि भारत में ही नहीं, दुनिया के बड़े हिस्सा में विपत्तियों और आपदाओं का अटूट सिल-सिला चल…
साहित्य समाज और जनतंत्र
साहित्य, समाज और जनतंत्र के संबंधों के विभिन्न स्तर और आयाम का अवधाराणात्मक अध्ययन और मानव संबंध के विभिन्न परिप्रेक्ष्य…
आज अन्य तरह से भी न्याय का सवाल दबाव में है
सभ्यता पर आरंभ से ही किसी-न-किसी तरह से न्याय का सवाल दबाव में रहा है। साथ ही, यह भी सच…
लिबरल बुद्धिजीवियों का परत दर परत हो रहा है पर्दाफाश
एक बात जो साफ-साफ दिखती है, वह है उन की बेचैनी। जिस बात को समर्थक नेता और सिख-पढ़कर तैयार प्रवक्ता…
समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज की राजकीय आकांक्षा व्यवस्था का मुख्य सवाल है
रोजगार और निश्चित आय का अभाव अपने-आप में अन्याय और भयावह विषमता का कारण बन जाता है। पूरी दुनिया की…
संगठन सरकार संस्कृति समीकरण और लोकतांत्रिक संभावनाएं
केरल के 30 जुलाई 2024 को वायनाड में भीषण भू-स्खलन आया। वायनाड से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का राजनीतिक संबंध…
विवेक के बहिष्करण के चक्रव्यूह में कौतूहल, कलह और कोलाहल
न्याय का सवाल सभ्यता का मौलिक सवाल है। अन्याय शक्तिशालियों का आयुध होता है और न्याय शक्ति-हीनों का रडार। शक्ति-हीन…