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बीच बहस

सीवर मजदूरों की मौतों का सिलसिला आखिर रुकेगा कैसे?

कार्ल मार्क्‍स कह कर चले गए कि ‘दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ।’ बात अच्‍छी थी। पर भारत के संदर्भ में एक बात अलग भी थी कि [more…]

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संस्कृति-समाज

अंबेडकर जयंती विशेष: अंबेडकर से प्रेम तो उनके विचारों से परहेज क्यों?

अंबेडकर जयंती पर हर वर्ष सरकार बाबा साहेब को याद करती है। देश के लिए उनके योगदान की सराहना करती है। आंबेडकर को पूजनीय मानती [more…]

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संस्कृति-समाज

जन्मदिवस विशेष : क्यों जरूरी है ज्योतिबा फुले को याद करना

आज के समय में जातिगत जनगणना और “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” जैसे विषय राजनीति के ज्वलंत मुद्दे हैं। ध्यान दिला दें कि [more…]

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संस्कृति-समाज

इस देश को तुम किस ओर ले जा रहे हो?

होठों पर सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफाई रहती है। हम उस देश के वासी हैं, जहां गंगा बहती है। इंसान का इंसान से [more…]

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संस्कृति-समाज

किताब पर चर्चा : कविताएं जो दे रही हैं ब्राह्मणी पितृसत्ता को चुनौती

पत्रकार भाषा सिंह के पहले कविता संग्रह “योनि-सत्ता संवाद पलकों से चुनना वासना के मोती” पर राजधानी दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में गहरी [more…]

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संस्कृति-समाज

गणतंत्र के 75 वर्ष : दीवारें ये गिर जातीं तो जश्‍न मनाते हम भी

75वां गणतंत्र या प्रजातंत्र दिवस हम सब के लिए गर्व और गौरव का दिवस है। संविधान लागू हुए 75 वर्ष हो गए। अगर हम समालोचना [more…]

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संस्कृति-समाज

पुस्‍तक समीक्षा: शोषणकारी, अत्‍याचारी शक्तियों और धार्मिक सामाजिक कुरीतियों का प्रतिरोध करती तसलीमा नसरीन की पुस्‍तक

तसलीमा नसरीन अपने बेबाक बोलों के लिए जानी जाती हैं। लैंगिक भेदभाव और महिला विरोधी धार्मिक कर्मकाण्‍डों पर सीधा प्रहार करती हैं। उनका यही बेबाकीपन [more…]

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संस्कृति-समाज

पुस्तक समीक्षा: आदिवासी समुदाय में बदलाव की बयार का अहसास कराती कविताएं

आदिवासी अपने जल, जंगल, जमीन और जानवरों से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। अपनी अलग सभ्‍यता-संस्‍कृति के लिए पहचाने जाते हैं। प्रकृति से उनका [more…]

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बीच बहस

मौजूदा दौर में क्‍यों जरूरी है सावित्रीबाई फुले को याद करना

शिक्षा मनुष्‍य में ऐसे गुणों का विकास करे जो उसे बेहतर इंसान बनाए। देश का बेहतरीन नागरिक बनाए। एक ऐसा नागरिक जो अपने संवैधानिक अधिकारों [more…]

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संस्कृति-समाज

दिल्‍ली चुनाव: ‘इस बार हम महिलाएं होंगी किंगमेकर’, देख लेना

इन दिनों दिल्‍ली में चुनावी सरगर्मियों के बीच कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। हमारी बस्‍ती के मुहाने पर जहां से चार छोटी-छोटी सड़कें चार [more…]