भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका मूल नाम ‘हरिश्चन्द्र’ था।…
भारतीय संस्कृति के सड़ांध पक्ष को दर्शाती है सांप्रदायिकता
सांप्रदायिकता का मतलब संकीर्ण मनोवृत्ति होता है। सांप्रदायिकता की भावना के कारण व्यक्ति में अपने धर्म के प्रति अंधभक्ति उत्पन्न…
जन्मदिवस पर विशेष: सामाजिक यथार्थ के अनूठे व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई
हरिशंकर परसाई हिंदी के पहले रचनाकार थे, जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के-फुल्के मनोरंजन की परंपरागत…
‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा’ कैसे बना देश का झंडा गीत
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उत्प्रेरक झंडा गीत “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा, इसकी शान न जाने…
भोपाल गैस त्रासदी के 38 वर्ष बाद की खामोशी
भोपाल की गैस त्रासदी पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना है। तीन दिसंबर, 1984 को आधी रात…
शिक्षा, विकास और नास्तिकता का परस्पर संबंध
धर्म के प्रति मुख्य आकर्षण का एक कारण यह है कि यह अनिश्चित दुनिया में सुरक्षा का काल्पनिक अहसास दिलाता…
नास्तिकता से बेहद गहरा है शिक्षा और विकास का रिश्ता
धर्म के प्रति मुख्य आकर्षण का एक कारण यह है कि यह अनिश्चित दुनिया में सुरक्षा का काल्पनिक अहसास दिलाता…
सरोकारविहीन हो गयी है मौजूदा दौर की पत्रकारिता
दिनेशपुर, उत्तराखंड में अखिल भारतीय लघु पत्र-पत्रिका सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। कुछ समय पूर्व पलाश विश्वास ने पत्रकारिता…
मानवता की जीवंत प्रतिमूर्ति थे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर
निर्विवाद रूप से यह यह स्वीकार्य है कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर एक विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उनका व्यक्तित्व…
जब खामोशी आवाज से भी ज्यादा हो गयी ताकतवर
कम्युनिस्ट घोषणापत्र की शुरुआती पंक्तियों में मजदूर वर्ग के महान शिक्षकों कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने लिखा था कि,…