Author: सुभाष गाताडे
‘पवित्र स्नान’ का दूसरा पहलू : क्या महाकुंभ में सरकारी लापरवाही से लोग बेहद गंदे पानी में नहाते रहे?
आस्था और गंदगी सहयात्री रहते आए हैं। आस्था के तमाम जाने-माने केन्द्रों पर या अपनी आस्था को सेलिब्रेट करने के नाम पर मनाए जाने वाले [more…]
महाकुंभ में त्रासदी! कुंभ के पथ में हिन्दू राष्ट्र की पताका ?
एक अदद त्रासदी किसी सियासतदां की समूची करियर को हमेशा के लिए गर्त में ले जा सकती है .. या कम से कम उसके कैरियर [more…]
न्यायपालिका और हिन्दुत्व वर्चस्ववादी परियोजना
दुनिया में जनतंत्र पर मंडराते खतरों की तरफ हाल के समय में बार-बार लिखा गया है। जानकारों ने इस बात को साफ किया है कि [more…]
आहत धार्मिक भावनाओं की बात करने का असली हकदार कौन है?
क्या किसी दूसरे धर्म के प्रार्थना स्थल में बेवक्त जाकर हंगामा करना या अपने पूजनीय/वरणीय के नारे लगाना, ऐसा काम नहीं है, जिससे शांतिभंग हो [more…]
नागरिक बना लाभार्थी, अमृत काल की उपलब्धि!
सूबाई चुनावों का ऐलान हो चुका है, महाराष्ट्र और झारखंड में अगले माह के अंत तक नई सरकार का गठन होगा। वैसे इस ऐलान के ऐन पहले एक [more…]
अलविदा किशोर ! उस दोस्त की याद में !
किशोर- जिसे शेष दुनिया किशोर झा के नाम से जानती थी, जो छात्र जीवन में वाम आंदोलन से जुड़ा – जिसने उसे एक नैतिक दिशा [more…]
लचीले हिन्दुत्व के नए रणबांकुरे
सियासत भी अजीब खेल होता है। अक्सर इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लग सकता कि कैसे वह शैतानों के सन्त में रूपांतरण को मुमकिन [more…]
भारत में मैकार्थीवाद: अर्बन नक्सल के हौवे की वापसी !
‘मुझे पंडित नेहरू का भाषण याद आ रहा है-“आधी रात को भारत स्वाधीन होगा” 1 जुलाई की मध्यरात्रि भारत में पुलिस राज का आगाज़ होगा” [more…]
जब मानवाधिकार आयोग भी पढ़ने लगा मनुस्मृति के कसीदे!
पिछले एक दशक से जातिगत पदानुक्रम को वैध बनाने और जातिगत उत्पीड़न को पवित्र मानने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, लेकिन शायद इसके बारे में [more…]

हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के क्या मायने हैं!
‘जोर का झटका धीरे से लगे’- किसी विज्ञापन की या किसी गाने में इस्तेमाल यह बात फिलवक्त़ भाजपा को मिले चुनावी झटके की बखूबी व्याख्या [more…]