Sunday, June 4, 2023

सुभाष गाताडे

केन्द्रीय विश्वविद्यालय: वर्चस्वशाली जातियों के नए ठिकाने ?

क्या हम कभी जान सकेंगे कि मुल्क के चालीस केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में नियुक्त उपकुलपतियों के श्रेणीबद्ध वितरण- अर्थात वह किन सामाजिक श्रेणियों से ताल्लुक रखते हैं -के बारे में? शायद कभी नहीं ! विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के केन्द्रीय विश्वविद्यालय...

दलित: मौत के बाद भी अपमान का अन्त नहीं !

क्या कोई जानता है 21 वीं सदी की शुरुआत में चकवारा के दलितों के एक अहम संघर्ष को। याद है जयपुर से बमुश्किल पचास किलोमीटर दूर चकवारा के दलितों ने गांव के सार्वजनिक तालाब पर समान हक पाने के...

रणवीर सेना: अचानक बनती सुर्खियों के क्या मायने हैं ?

पिछले दिनों उसने अपने सोशल मीडिया पेज पर भीम आर्मी के बिहार प्रमुख गौरव सिराज और एक अन्य कार्यकर्ता वेद प्रकाश को खुलेआम धमकाया है। उसने अपने ‘सैनिकों’ को आदेश दिया है कि उन्हें ‘जिन्दा या मुर्दा’ गिरफ्तार करें।...

कर्नाटक हाईकोर्ट को अपने फैसले से हटानी पड़ी रेप पीड़िता के खिलाफ की गयी टिप्पणी

अन्ततः कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कृष्णा दीक्षित को अपनी उस विवादास्पद टिप्पणी को हटाना पड़ा जो उन्होंने बलात्कार के एक मामले में संदिग्ध को जमानत देते हुए कही थी। अब संशोधित आदेश में कहा गया है कि ‘‘राज्य...

साझी शहादत-साझी विरासत: वसंत राव और रजब अली को याद करना क्यों जरूरी है ?

अहमदाबाद के जमालपुर के पास स्थित वसन्त-रजब चौक कितने लोगों ने देखा है? देखा तो कइयों ने होगा, और आज की तारीख में उससे रोज गुजरते भी होंगे, मगर अंगुली पर गिनने लायक लोग मिलेंगे जिन्होंने चौराहे के इस...

मनु कब इतिहास बनेंगे?

कितने लोगों ने डॉ. अम्बेडकर की अगुआई में छेड़े गए पहले ‘दलित विद्रोह’ अर्थात महाड़ सत्याग्रह (1927) के बारे में पढ़ा होगा और यह जाना होगा कि किस तरह उसके पहले चरण में 19-20 मार्च को महाड़ नामक जगह...

वर्णमानसिकता की वैधता के साये में रंगभेद

दारेन सैमी, (Darren Sammy) क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है।  सेन्ट लुसिया, वेस्ट इंडीज के निवासी इस प्रख्यात आलराउंडर की ख्याति किसी लिजेंड से कम नहीं है। उन्होंने कई साल वेस्ट इंडीज टीम की...

महात्मा अय्यनकली : ब्राह्मणवादी वर्चस्व को चुनौती देने वाला दक्षिण का पहला बाग़ी

( 28 अगस्त 1863 - 18 जून 1941 : केरल के दलितों शोषितों को नयी राह दिखाने वाले, संघर्षों में ही तपे अय्यनकली का अस्थमा की लम्बी बीमारी के बाद इंतकाल हुआ, मगर आज भी अपने विचारों एवं आंदोलनों के...

एक मरहूम खिलाड़ी के नाम एक मुल्क का माफ़ीनामा

ऐसे मौके इतिहास/तवारीख में शायद ही कभी आए हों, जब मुल्क की संसद एक सुर में एक ऐसे शख्स के नाम अपनी क्षमायाचना का इजहार करती हो जबकि उस शख्स को गुजरे छह साल बीत चुके हों। ऑस्ट्रेलिया की...

क्योंकि वो जानवर की मौत पर बोलना और इंसान की जघन्य हत्या पर भी चुप रह जाना जानते हैं !

एक गर्भवती हथिनी की मौत को लेकर पूरे मुल्क में जो उबाल दिख रहा था, वह अब ठंडा हो गया है। वे तमाम सेलेब्रिटी जिन्होंने पलक्कड़, केरल की इस घटना पर अपनी पीड़ा और गुस्से को जुबां दी थी, वह...

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