Sunday, June 4, 2023

सुभाष गाताडे

इंसानी जानों को खतरे में डालकर आखिर क्या है आस्था के द्वारों को खोलने की जरूरत

क्या हम कभी इसके पीछे की तर्क प्रणाली को जान सकेंगे कि जब मुल्क में कोविड 19 संक्रमण के महज 500 मामले थे तो मुल्क के कर्णधारों ने दुनिया में सबसे सख्त कहे जाने वाले लॉकडाउन का ऐलान कर...

समुदाय केंद्रित कोरोना मैपिंग की बात को सरकार ने किया खारिज, लेकिन सच से पर्दा उठना अभी बाकी

दक्षिण भारत से निकलने वाले एक बेहद प्रतिष्ठित अख़बार की उस ख़बर ने चौंका दिया था, जिसमें ‘कोरोनावायरस के समुदाय आधारित मैपिंग की दिशा में कदमों’ की बात की थी। (https://www.deccanchronicle.com/nation/current-affairs/100520/central-government-mulls-community-based-corona-mapping.html)   अभी इस ख़बर को लेकर लोगों की बेचैनी बढ़ ही...

द्रोण मानसिकता या अग्रणी शिक्षण संस्थानों में ऑपरेशन एकलव्य

तेरह साल का एक वक्फा़ गुजर गया जब थोरात कमेटी रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। याद रहे सितम्बर 2006 में उसका गठन किया गया था, इस बात की पड़ताल करने के लिए कि एम्स अर्थात आल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस...

जेलों की भीड़ कम करने के लिए क्यों नहीं हो रहा है आला अदालतों के आदेश का पालन?

आला अदालत के आदेश के बाद भी जेलों की भीड़ क्यों नहीं कम की जा रही है ? वह मार्च का आखरी सप्ताह था जब डॉ. सिरौस असगरी, जो ईरान में मटेरियल्स साईंस और इंजीनीयरिंग के प्रोफेसर हैं तथा...

महान गणितज्ञ रामानुजन की सौवीं पुण्यतिथि पर विशेष: ‘वह शख्स़ जो अनंत जानता था’

वह 1913 का साल था जब श्रीनिवास रामानुजन, नामक मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में काम कर रहे साधारण क्लर्क ने, केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहे प्रोफेसर जी एच हार्डी को पत्र लिखा, जिसमें शामिल कागज़ों में उनके गणितीय प्रमेय/थियरम शामिल थे। और...

चिकित्सा आपातकाल को राजनीतिक आपातकाल में बदलने की कवायद

आखिर एक अदद समन- जो बुनियादी तौर पर एक कानूनी नोटिस होती है - शहर से सात सौ किलोमीटर दूर रह रहे वेब जर्नल के एक सम्पादक को पहुंचाने के लिए कितने पुलिसकर्मियों की जरूरत होती है, जबकि ईमेल,...

जनता के स्वास्थ्य के बजाय कार्पोरेट के मुनाफे को केन्द्र में रखने से विकराल हो गया कोरोना का संकट

‘बेला चाओ ! बेला चाओ !! ( Bela Chao )  वह गीत जो कभी 19 वीं सदी की इटली की कामगार औरतों / धान बीनने वाली/ के संघर्षों में जन्मा था और जो बाद में वहां के फासीवाद विरोधी संघर्ष...

“गांधी के तीन बंदरों में तब्दील हो गए हैं लोकतंत्र के तीनों स्तंभ”

दिल की बीरानी का क्या मज़कूर है यह नगर सौ मर्तबा लूटा गया अदब और आर्ट की दुनिया के नामचीनों और दोस्तों दिल्ली को अलविदा कहते हुए कहा गया मीर का यह शेर पिछले दिनों बार बार होठों पर आता रहा। उधर दिल्ली...

पाकिस्तान के इस्लामिस्ट आखिर नागरिकता संशोधन अधिनियम पर क्यों हैं फिदा ?

सिएटल सिटी कौन्सिल, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की सबसे ताकतवर सिटी कौन्सिल में शुमार की जाती है, उसने पिछले दिनों इतिहास रचा। वह शेष दुनिया की पहली ऐसी चुनी हुई निकाय बनी जिसने यह प्रस्ताव पारित किया कि भारत सरकार...

डॉ. श्रीराम लागू ने कहा था, ‘ईश्वर को रिटायर करो’

“A good world needs knowledge, kindness, and courage; it does not need a regretful hankering after the past or a fettering of the free intelligence by the words uttered long ago by ignorant men’-Bertrand Russell वह 1938-39 का साल था,...

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