जीरो माइल पटनाः बदलते शहर में समाज और विकास

शहरों पर किताबें पहले भी लिखी गयी हैं, आज भी लिखी जा रही हैं और आगे भी लिखी जायेंगी। कुछ…

भंवर मेघवंशी की यात्राएं: सच की तलाश और प्रकृति से साक्षात्कार

‘मैं कारसेवक था’ जैसी कृति से खासतौर पर चर्चित हुए पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी का नया यात्रा-वृत्तांत हैः…

गैर-बराबरी और कट्टरता भरे समाज का सेक्युलरिज्म बनाम हिजाब-विवाद

बात पिछली शताब्दी के सन् साठ दशक की है। हम लोग स्कूल में पढ़ते थे। वह गांव का एक सरकारी…

पंजाब में चन्नी के होने का मतलब और कांग्रेस की ‘सीएम-फेस’ दुविधा

कांग्रेस लंबे समय से दुविधा में रहने और लेट-लतीफ फैसले करने वाली पार्टी के रूप में ख्यात हो चुकी है।…

एकाकीपन के सौ वर्षः गार्सीया मार्केस की महान् कृति

कोलम्बिया के नोबेल विजेता उपन्यासकार-पत्रकार गाब्रिएल गार्सीया मार्केस का वन हंड्रेड इयर्स आॉफ सॉलिट्यूड एक विश्व-प्रसिद्ध उपन्यास है, जो सिर्फ…

लालचौकःएक किताब जिसमें कश्मीर का समकालीन इतिहास और पत्रकारिता दोनों है

दिसम्बर के आखिरी हफ्ते में किसी दिन फोन पर आवाज आईः ‘सर, मैं रोहिण कुमार हूं—लालचौक नाम से कश्मीर पर…

अकबर इलाहाबादी से अकबर प्रयागराजी तो अमरूद इलाहाबादी कैसे!

जब से हमारे इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया, तब से मैं सोचता रहा हूं कि वहां के अमरूदों का…

निर्वाचन प्रणाली में दो बड़े सुधारों के बगैर दांव पर है चुनावों की विश्वसनीयता

हमारे शीर्ष सत्ताधारी नेताओं, बड़े नौकरशाहों और योजनाकारों ने कुछ बेहद सुंदर और सकारात्मक शब्दों के अर्थ बदल दिये हैं।…

कृषि-कानून वापसी के बाद यूपी की चुनावी राजनीति में भाजपा के बड़े मंसूबे

दोहरे दबाव में कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अब आगे की रणनीति…

सावरकर के राष्ट्रवाद को अम्बेडकर ने भारत के लिए ख़तरनाक क्यों कहा था?

देश के मौजूदा सत्ताधारी जब कभी मौका पाते हैं, स्वतंत्रता आंदोलन के खास कालखंड के एक विवादास्पद चरित्र-विनायक दामोदर सावरकर…