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संस्कृति-समाज

जिगर मुरादाबादी का जन्मदिवस: कहां से बढ़ के पहुंचे हैं कहां तक इल्म-ओ-फ़न साक़ी

उर्दू अदब में शायर जिगर मुरादाबादी का एक अहम मुक़ाम है। अदब दोस्त उन्हें कल भी ग़ज़ल का शहंशाह क़रार देते थे, तो आज भी उनके [more…]

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संस्कृति-समाज

उर्दू अदब में होली: बसंत खेलें इश्क की आ पियारा

मुल्क में मनाए जाने वाले तमाम त्यौहारों में होली एक ऐसा त्यौहार है, जो मुख़्तलिफ़ मज़हब के लोगों को आपस में जोड़ने का काम करता [more…]

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संस्कृति-समाज

प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन और मुम्बई

बीसवीं सदी में हमारे देश में प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन का आग़ाज़ हुआ। इस आंदोलन ने  भारतीय साहित्य, कला, रंगमंच और सिनेमा पर निर्णायक असर डाला। [more…]

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संस्कृति-समाज

जोश व फ़िराक़ की चंद यादें: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जोश साहब से पहली मुलाकात साल 1936 में हुई, जब तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन की पहली कॉन्फ्रेंस के दौरान उस अंजुमन की दाग़बेल डाली जा रही थी। [more…]

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संस्कृति-समाज

जन्मदिन विशेष: वृंदावनलाल वर्मा के उपन्यासों में इतिहास और कल्पना का अद्भुत समन्वय

हिंदी साहित्य में वृंदावनलाल वर्मा की पहचान ऐतिहासिक उपन्यासकार की है। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में उनका कृतित्त्व विशेष महत्त्व रखता है। उनसे पूर्व हिंदी [more…]

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संस्कृति-समाज

शहादत दिवस: सफदर हाशमी ने नुक्कड़ नाटक के जरिए गरीबों-मेहनतकशों के हक की लड़ाई लड़ी

रंगकर्मी सफ़दर हाशमी नुक्कड़ नाट्य विधा के पहले आइडियोलॉजिस्ट थे। उस ज़माने में जब देश में प्रोसेनियम थियेटर का बोलबाला था, सफ़दर ने अपनी रचनात्मक [more…]

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संस्कृति-समाज

जन्मदिन पर विशेष: रेडियो की आवाज अमीन सयानी

आज़ादी के बाद जिन लोगों ने रेडियो को आम आदमी तक पहुंचाया, उसकी लोकप्रियता बढ़ाई, उनमें सबसे अव्वल नंबर पर अमीन सयानी का नाम है। [more…]

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संस्कृति-समाज

बिस्मिल, रोशन और अशफ़ाक़ का शहादत दिवस: सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..

19 दिसम्बर पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और अशफ़ाक़उल्लाह ख़ां जैसे वतनपरस्त इंक़लाबियों का शहादत दिवस है। मुल्क की आज़ादी के लिए जिन्होंने कम उम्र [more…]

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संस्कृति-समाज

अदीबों की नज़र में नेहरू: ऐ ला-फ़ानी जवाहरलाल नेहरू, रूहे इंसानियत का सजदा कुबूल कर

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अज़ीम सियासतदां, सुलझे हुए दानिश्वर और बेजोड़ स्पीकर ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन अदीब भी थे। दुनियावी इतिहास, साहित्य, सिनेमा, कला [more…]

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संस्कृति-समाज

अख़्तर-उल-ईमान, जिनकी नज़्मों में इश्क-मुहब्बत ही नहीं, ज़िंदगी की जद्दोजहद दिखाई देती है

अख़्तर-उल-ईमान अपने दौर के संज़ीदा शायर और बेहतरीन डायलॉग राइटर थे। अक्सर लोग उन्हें फ़िल्मी लेखक के तौर पर याद करते हैं, मगर यह भूल [more…]