“बस्तर और आदिवासी मेरा पहला और आख़री प्यार हैं मुझे इनसे कोई जुदा नहीं कर सकता”

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कल मेरे साथ बड़ा मजेदार वाकया हुआ

मेरा एक दोस्त है 

उनका नाम कोपा कुंजाम है 

कोपा कुंजाम पहले गायत्री मिशन से जुड़े हुए थे  

फिर जब 1992 में मैं और मेरी पत्नी ने आदिवासियों के गांव में रहकर सेवा कार्य शुरू किया 

तो कोपा हमारे साथ जुड़ गये 

2005 में जब सलवा जुडूम में आदिवासियों के गाँव खाली कराये गये तब सर्वोच्च न्यायालय ने इन गावों को दोबारा बसाने का आदेश दिया 

भाजपा सरकार ने आदेश पर अमल नहीं किया 

हमारी संस्था ने वीरान हो गये आदिवासियों के गावों को दुबारा बसाने का काम शुरू किया 

हम लोगों ने चालीस से ज्यादा गावों को दोबारा बसा दिया 

इससे भाजपा सरकार कोपा कुंजाम से चिढ़ गई 

कोपा के ऊपर हत्या और अपहरण का एक फर्जी मामला बनाया गया 

कोपा को थाने में ले जाकर उल्टा लटका कर सारी रात नीचे मिर्च का धुआं दिया गया और इतना मारा गया कि कोपा की पीठ की खाल उतर गई 

कोपा को जेल में डाल दिया गया 

हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से कोपा की जमानत करवाई 

बाद में कोपा कुंजाम को अदालत ने निर्दोष माना और बरी कर दिया 

इस साल जब ग्राम पंचायतों के चुनाव हुए तो कोपा को गाँव वालों ने अपना सरपंच चुना 

सरपंच बनने के बाद कोपा अक्सर मुझे फोन करके मिलने के लिए बुलाते थे 

लेकिन लॉक डाउन की वजह से मैं टालता रहा  

कल मैं कोपा कुंजाम से मिलने उनके गाँव गया 

मुझे देख कर आस पास रहने वाले एक दो लोग भी आ गये 

चाय पीते-पीते कोपा ने कहा गुरूजी बताइये कि हम लोग आपने गाँव को कैसे बेहतर बनाएं 

मैंने कहा नौकरियां तो अब मुश्किल होती जा रही हैं 

इसलिए नौजवानों को खेती पर ही ध्यान देना होगा 

गावों में जितने भी सिंचाई के स्रोत हैं वहाँ फेंसिंग की व्यवस्था पर ध्यान दो 

कुंजाम।

रासायनिक खाद की बजाय केंचुआ खाद की शेड बनवाओ 

अभी हमारी चाय पूरी भी नहीं हुई थी कि कोपा के पास थानेदार का फोन आ गया कि आप किसी बाहर के व्यक्ति को बुलाकर बैठक नहीं करा सकते

कोपा ने कहा कि कोई बैठक नहीं हो रही है 

इतनी देर में दो-तीन अन्य अधिकारियों के भी फोन कोपा को आ गये 

मैंने कहा कोपा लगता है प्रशासन नहीं चाहता कि मैं किसी से मिलूं जुलूं इसलिए मैं जा रहा हूँ 

मैं नहीं चाहता कि तुम पर कोई मुसीबत आये 

मैं वापस आ रहा था तो रास्ते में मैंने कोपा के गाँव की तरफ जाती हुई सरकारी गाड़ियां देखीं 

एसडीएम दंतेवाड़ा, जिला पंचायत दंतेवाड़ा के सीईओ और तहसीलदार कोपा के पास पहुंचे 

उन्होंने पूछा कि यहाँ हिमांशु कुमार क्यों आये थे ? क्या वह यहाँ मानवाधिकार के बारे में बता रहे थे ?

कोपा से कहा गया कि तुम मुसीबत में पड़ जाओगे जो कि एक तरह की धमकी ही थी 

मैं तबसे हैरान हूँ 

क्या कांग्रेस शासित प्रदेश में एक गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता किसी पड़ोस के गाँव में नहीं जा सकता ?

क्या खेती बाड़ी की बात करना अपराध है? 

सभी राजनैतिक पार्टियों के नेता और अधिकारी पुलिस और अर्ध सैन्य बल गावों में जा रहे हैं 

फिर मेरे ही गाँव में जाने से इतना हड़कम्प क्यों ?

अगर मैं आदिवासियों से उनके मानवाधिकार की भी बात करना चाहता हूँ तो क्या अब संविधान में वर्णित मानवाधिकारों की बात आदिवासियों से करने पर कोई पाबंदी लगा दी गई है?

मैं बस्तर में तीस साल पहले आया था 

तब मैं पच्चीस साल का युवा था 

अब मैं पचपन साल का हूँ 

बस्तर के ज्यादातर गाँव के लोग मुझे पहचानते हैं मुझे प्यार करते हैं मुझसे अपने सुख दुःख बांटते हैं 

मेरी शादी मेरे बच्चों का जन्म उनका बचपन सब इन लोगों ने अपने सामने देखा है 

यह लोग मुझे अपने परिवार के सदस्य जैसा मानते हैं 

मुझसे अब कोई कहे कि आप इन लोगों से बात नहीं कर सकते तो मैं तो सदमे से ही मर जाऊंगा 

बस्तर और आदिवासी मेरा पहला और आख़री प्यार हैं मुझे इनसे कोई जुदा नहीं कर सकता

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