Saturday, April 20, 2024

महंगाई और बेरोजगारी देश के सबसे कठिन प्रश्न हैं; मोदी जी, आपने कभी इनको हल नहीं किया!

“बढ़ती महंगाई। बढ़ती बेरोज़गारी। देश के ये कठिन प्रश्न हैं मोदी जी। इन प्रश्नों का  जवाब दीजिये। मन की  बात तो सरल है। उसे अब रहने दीजिये नरेंद्र मोदी।” उपरोक्त बातें सीपी लोहार नामक ट्विटर हैंडलर ने नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए उनके उस सलाह के जवाब में लिखा है जो उन्होंने दो दिन पहले परीक्षा में चर्चा कार्यक्रम में छात्रों से कहा था।

वहीं विजय निगम नामक ट्विटलर ने लिखा है, ”वैसे अगर देखा जाए तो सबसे कठिन प्रश्न, आने वाली त्रासदी को आमंत्रण तो दे दिया। हमेशा की तरह। अब सरल प्रश्नों के उत्तरों में समाधान ही नहीं मिलते तो क्या किया जाए। नोटबन्दी, जीएसटी सब कठिन प्रश्नों को सबसे पहले धड़ाम से लागू तो किया अब समय ही खत्म हो जाता है, कुछ और नहीं हो पाता।”

नाहिद लारी ख़ान ने बाल आयोग से नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा है, ”ज्ञानी बुज़ुर्ग मोदी जी कह रहे परीक्षा में बच्चे पहले कठिन सवाल हल करें।

परीक्षा में समय सीमा होती बच्चे कठिन प्रश्नों पर उलझे रहे समय समाप्त तो जिस सरल प्रश्न का जवाब बच्चे दे सकते वो भी छूटेगा। बाल आयोग मोदी जी का बच्चों को परीक्षा का उल्टा मंत्र देने का संज्ञान ले कार्यवाही करे।”

पेशे से शिक्षक सुनील कुमार तिवारी ने कई ट्वीट की श्रृंखला में लिखा है, ”प्रिय छात्रों, एक शिक्षक के तौर पर मैं आपको सलाह देता हूँ कि आप परीक्षा में पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करना जो आपको आसान लग रहे हों और जिनमें आप पूरी तरह से आश्वस्त हों। यदि आपने शुरुआत में उन प्रश्नों को हल करने में अपना समय नष्ट किया जिनमें आप कम्फर्टेबल नहीं हैं तो अंत में समय की कमी के कारण हड़बड़ी में आप सरल प्रश्नों का उत्तर गलत कर सकते हैं और ये परीक्षा में आपकी असफलता का बड़ा कारण हो सकता है। ध्यान रहे यदि आप असफल होते हैं तो आपके पास अपने सीनियर (भूतपूर्व छात्रों) पर दोषारोपण का विकल्प उपलब्ध नहीं है !

वैसे भी इस कोरोना काल में पठन पाठन बहुत ही मुश्किल रहा है…..शिक्षा आपके सलाहकार की प्राथमिकता में सबसे निम्नतम स्तर पर है।

सुनील तिवारी ने आगे लिखा है, “कठिन प्रश्न वो प्रश्न होते हैं जिनमें आप कम्फर्टेबल नहीं हैं, ऐसे प्रश्नों के परीक्षा हॉल में सही होने की संभावना बहुत कम है….जबकि सरल प्रश्न वो हैं जिनमें आप कम्फर्टेबल हैं और जिनके सही होने की संभावना बहुत ज्यादा है। 

अब परीक्षा के लिए निर्धारित 180 मिनट में आप अपना ज्यादातर समय कहाँ उपयोग करना चाहेंगे, ये मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूँ ………आपकी आने वाली परीक्षाओं के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं…… आपका शुभचिंतक-। –एक शिक्षक।”

वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने छात्रों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछने के लिए सवाल देते हुए कहा है -” प्रिय छात्रों, पीएम ने कहा कि बिना किसी डर और घबराहट के सवालों के जवाब दें। कृपया उन्हें भी ऐसा करने के लिए कहें:

1. राफेल भ्रष्टाचार घोटाले में किसने पैसा लिया?

2. अनुबंध में भ्रष्टाचार विरोधी धारा को किसने हटाया?

3. किसने बिचौलियों को प्रमुख रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों तक पहुंच किसने दी?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट के रिप्लाई में नेशनल हेराल्ड की संपादक सलाहकार संयुक्ता बसु ने लिखा है – “ सबसे कठिन प्रश्नों का पहले प्रयास करें।

A. नोटबंदी क्यूं करा?

B. HAL का बिजनेस छीनकर अंबानी को क्यूं दिया?

C. चाय कौन से स्टेशन पे बेचा?

D.डिग्री कहाँ है?

मोदी कभी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते हैं क्योंकि वह यह तय नहीं कर सकते हैं कि पहले किस सवाल को हल करें। 

पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने तीन ट्वीट की श्रृंखला में लिखा है, “प्रधानमंत्री जी, आपको देश में करोड़ों लोग देखते और सुनते हैं। आज ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में आपने कहा ‘कठिन सवाल पहले हल करें’, जो किसी भी प्रतियोगी छात्र के लिए आत्मघाती सलाह है।

मैंने देश की तीनों सर्वोच्च परीक्षाएँ IAS, IPS और IFS क्वालिफ़ाई की हैं, अनुभव से कह रहा हूँ। मैं सभी छात्रों से पूरी ज़िम्मेदारी और गम्भीरता से कहना चाहता हूँ की किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सबसे पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करें जो सरल हों और जो आपको नर्वस ना करें। शुरू में ही मुश्किल सवालों में फँसना अक्सर छात्र का आत्मविश्वास गिरा देता है जो उसके लिए ठीक नहीं है।

प्रतियोगी परीक्षाओं का नया फ़ॉर्मेट तो और भी तेज और अल्पावधि का होता है। ऐसे में आज ‘परीक्षा पर चर्चा’ में कहीं गयी प्रधानमंत्री जी की बात से मैं पूरी तरह असहमत हूँ और मेरा सभी को निजी तौर पर यही सुझाव होगा कि सबसे पहले सवाल वही हल करें जो आपके अंक और आत्मविश्वास दोनों को बढ़ाए।”

सूर्य प्रताप सिंह के ट्वीट के रिप्लाई में मनीष यादव नामक ट्वीटलर ने लिखा हैं, ”यह देश का दुर्भाग्य है कि एक शिक्षाविद की बजाय एक फ़र्ज़ी डिग्री वाला बच्चों को ज्ञान बाँट रहा है। पहले भी मैथ्स का उल्टा फ़ार्मूला, नाले से गैस, इतिहास में गांधार को बिहार में बताने वाले सज्जन बहुत ज्ञान वर्धन कर चुके हैं। लेकिन बेरोज़गारी पर क्यों मुँह में दही जमा लेते हैं। “

देवास बरवार नामक ट्वीटलर ने सूर्य प्रताप के ट्वीट के रिप्लाई में लिखा है, ”मोदी जी को क्या पता कि प्रतियोगिता परीक्षा क्या है। राजनेताओं को तो  सिर्फ़ झूठ बोलने के सिवाय और कुछ आता ही क्या है अगर परीक्षा देकर राजनेताओं का चयन किया जाए तो देश आज यह बेरोज़गारी की समस्या का हल निकाल सकता है मनोविज्ञान के नियमों के अनुसार पहले सरल से कठिन की ओर होता है। “

हरीश चंद्र राजवंशी ने लिखा है, ”कठिन सवाल पहले हल करें जैसे, सबसे पहले शादी का सॉलूशन निकाला। फिर नाले से गैस कैसे बनाते हैं, फिर बादल आने से सॅटॅलाइट को कैसे धोखा दे सकते हैं। फिर थाली बजा कर कोरोना को कैसे डरा कर भगा सकते हैं। फिर दिया मोमबत्ती जला कर बचे हुए कोरोना को कैसे मार सकते है। Only Genius can do all. “

गुफ़रान इम्तियाज ख़ान लिखते हैं, ”जब परीक्षा दिया ही नहीं तो कैसे पता चलेगा कि पहले उस प्रश्न का जवाब देना चाहिए जिसका जवाब परीक्षार्थी को पता हो। अगर शुरू में ही उस सवाल के पीछे पड़ जायेगा जो उसको पता ही नहीं तो फिर ज्यादा समय उसका प्रश्न में बरबाद हो जायेगा जैसे देश बरबाद हो गया है। “

वहीं पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के सवालों को शेयर करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने लिखा है, “मुश्किल सवाल पहले” क्या पीएम और उनके अरबपति दोस्त जवाब देना पसंद करेंगे?

रुचिरा चतुर्वेदी ने इसके रिप्लाई में रीछी की ओर मूव करते नरेंद्र मोदी का वीडियो शेयर करके लिखा है हम सभी जानते हैं कि-” पीएम की प्रतिक्रिया क्या होगी। ” 

दीपक ठाकुर ने पत्रकार करण थापर द्वारा 2007 में लिए गए नरेंद्र मोदी के 3 मिनट के चर्चित इंटरव्यू वाले वीडियो को शेयर करते हुए कहा है – “कठिन प्रश्न, वीडियो देखकर उत्तर दें!!! 

रिक्त स्थान भरें-“जरूरी नहीं मुझे ……. बात करनी है ………………… सब कुछ जो आप चाहते हैं ..

जयंत जाट नामक ट्विटर हैंडल यूजर ने लिखा है – “दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि-

जिनकी डिग्री पर आज भी सवाल बना हुआ है

जिनके इंटरव्यू में सवाल पहले से ही तय होते हैं

जिन्होंने पिछले 7 साल में मात्र एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है

उसमें भी मुँह लटकाये बैठे रहे और सवालों से बचते रहे। वो कठिन सवाल को पहले हल करने की सलाह दे रहे हैं! “

वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने लिखा है, ”इतिहास की जानकारी ना हो…

अज्ञानता को ही ज्ञान मानने का जज़्बा हो…

मूर्खतापूर्ण बातों का ज़िक्र करने की क्षमता हो…

हर हाल में खुद लाइमलाइट में रहने का नशा हो..

तो आप भी बन सकते है देश के………………….” 

गौरतलब है कि कल छात्रों से परीक्षा पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि परिजन और शिक्षक छात्रों से कहते हैं जो सवाल सरल हो पहले उसे हल करें लेकिन छात्रों को मेरी सलाह है कि मुश्किल प्रश्न पहले हल करें। 

मोदी ने ऑनलाइन वक्तव्य में कहा कि – “साथियों, आपने देखा होगा टीचर्स, माता-पिता हमें सिखाते हैं कि जो सरल है वो पहले करें। ये आमतौर पर कहा जाता है। और एक्जाम में तो ख़ासतौर पर बार-बार कहा जाता है कि जो सरल है उसको पहले करो भाई। जब टाइम बचेगा तब वो कठिन है उसको हाथ लगाना। लेकिन पढ़ाई को लेकर मैं समझता हूं, ये सलाह आवश्यक नहीं है। और उपयोगी भी नहीं है। मैं जरा इस चीज को अलग नजरिए से देखता हूं। मैं कहता हूं कि जब पढ़ाई की बात हो, तो कठिन जो है उसको पहले लीजिए, आपका माइंड फ्रेश है, आप ख़ुद फ्रेश हैं, उसको अटेंड करने का प्रयास कीजिए। जब कठिन को अटेंड करेंगे तो सरल तो और भी आसान हो जाएगा।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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