विदेशी मोर्चे पर भारत को बड़ा झटका, ईरान स्थित चाबाहार रेलवे प्रोजेक्ट से हुआ बाहर

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नई दिल्ली। भारत को बाहर के निवेश में अब तक का सबसे बड़ा धक्का लगा है। चाबाहार के रेलवे प्रोजेक्ट से ईरान ने उसे बाहर कर दिया है। चाबाहार से जेहदान तक जाने वाली इस रेलवे लाइन का निर्माण अब बगैर किसी भारत की सहायता के होगा। बताया जा रहा है कि ऐसा फंडिंग में देरी के चलते हुआ है। फेस वैल्यू पर भले ही इसको प्रमुख वजह बतायी जा रही हो लेकिन पर्दे के पीछे भारत और ईरान के बीच के बिगड़ते रिश्तों और चीन का हाथ होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। 

इस त्रिपक्षीय प्रोजेक्ट पर चार साल पहले हस्ताक्षर हुआ था। इसमें भारत और ईरान के अलावा अफगानिस्तान भी शामिल था। इसके तहत ईरान से अफगानिस्तान होते हुए सेंट्रल एशिया तक एक वैकल्पिक रेलवे मार्ग तैयार होना था।

हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 400 मिलियन डॉलर का यह पूरा प्रोजेक्ट मार्च तक पूरा होगा और उसके लिए ईरानियन नेशनल डेवलपमेंट फंड फंडिंग करेगा। यह डील पीएम नरेंद्र मोदी के 2016 के तेहरान दौरे के दौरान फाइनल हुई थी। जिसमें उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति हसन रौहानी और अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था।

इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (आईआरसीओएन) ने 1.6 बिलियन डॉलर मुहैया कराने के अलावा रेलवे प्रोजेक्ट में पूरी सहायता करने का भरोसा दिलाया था। हालांकि ईरान पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने के चलते यह काम नहीं शुरू हो पाया था।

और जब अमेरिका ने इस विशिष्ट रेलवे लाइन प्रोजेक्ट को छूट दी तो भारत के लिए साजो-सामान सप्लाई करने वालों को ढूंढ पाना मुश्किल हो गया। क्योंकि वे सभी अमेरिका द्वारा किसी कार्रवाई की आशंका से डरे हुए थे।

यह पूरी प्रगति उस समय हुई है जब ईरान चीन के साथ 25 सालों का आर्थिक और सुरक्षा साझीदारी करने जा रहा है। यह डील बताया जा रहा है कि 400 बिलियन डालर की होगी।

अगर चीन और ईरान के बीच यह डील फाइनल हो जाती है तो ईरान के बैंक, टेलीकम्युनिकेशन, पोर्ट, रेलवे और ढेर सारे प्रोजेक्टों में चीन की उपस्थिति हो जाएगी।

उसके बदले में चीन अगले 25 सालों तक सस्ते दर पर नियमित रूप अबाध तेल हासिल करेगा। 18 पेज के इससे संबंधित दस्तावेज में दोनों देशों के बीच गहरे सैन्य सहयोग की भी बात की गयी है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि ईरान भारत का अहम सामरिक सहयोगी था यह डील भारत के हितों को इस इलाके में चोट पहुंचा सकती है। खास कर ऐसे समय में जबकि सीमा पर गतिरोध के चलते भारत और चीन के बीच रिश्ते बेहद खराब हो गए हैं।  

ईरानी राष्ट्रपति रौहानी ने कैबिनेट की बैठक में कहा कि इस कैलेंडर साल के मार्च तक रूट पर रेल ट्रैक बिछाने से लेकर दूसरे महत्वपूर्ण काम पूरे कर लिए जाएंगे। और पूरा प्रोजेक्ट अगस्त 2021 तक तैयार हो जाएगा। 610 किमी लंबे इस प्रोजेक्ट को अफगानिस्तान के लिए जीवन रेखा मानी जा है। लाइन पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो गया है।

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