बिहार: पुल की मांग पर नहर में खड़े होकर ग्रामीणों ने जताया विरोध

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सुपौल। बिहार पुल गिरने को लेकर लगातार सुर्खियों में रहा है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने नए पुलों के पुनर्निर्माण का भी आदेश दिया है। हालांकि राज्य के कई गांव आज भी पुल नहीं होने की वजह से दिक्कत का सामना कर रहे हैं। ऐसा ही एक गांव है सुपौल जिला स्थित छातापुर प्रखंड क्षेत्र का रानीपट्टी गांव।

रानीपट्टी नहर स्थित रेलवे ढाला के पास पुल नहीं होने के कारण लोगों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पुल नहीं होने से आसपास के ग्रामीणों को रेलवे ट्रैक या फिर 800 मीटर दूर जाकर एनएच-57 का सहारा लेकर आना जाना पड़ता है। ग्रामीण कमर भर पानी से होकर आवाजाही करने को विवश है।

ग्रामीण कृत्यानंद मंडल बताते हैं कि पुल नहीं होने से गांव के वार्ड नंबर 2, 3 और 4 के हजारों लोगों को प्रतिदिन काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बारिश के समय ज्यादा मुश्किल हो जाती है। महिलाएं और बच्चों को गांव से बाहर निकलना मुश्किल लगता है। सिर्फ एक पुल के निर्माण से मुख्य सड़क तक हम लोग जा सकते है। ग्रामीणों के मुताबिक इस पुल के निर्माण से लगभग 6000 से ज्यादा व्यक्तियों को फायदा होगा।

नहर में खड़े होकर प्रदर्शन

23 अगस्त यानी शुक्रवार को गांव के बूढ़े, महिलाएं और बच्चे नहर में खड़े होकर पुल जल्दी बनाए जाने की मांग की एवं सरकार का विरोध किया। ग्रामीणों के मुताबिक रानीपट्टी नहर स्थित वार्ड नंबर 02 में नहर के दोनों ओर सड़क का निर्माण हो चुका है, इसके बावजूद ग्रामीण पुल नहीं होने की वजह से रास्ते का सीधा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

गांव के ललन कुमार बताते हैं कि इससे पहले कई बार हमलोगों ने विधायक, सांसद और अधिकारियों को इस पुल के निर्माण के लिए बोला है। इसके बावजूद कोई हमारी सुध नहीं ले रहा। भीमपुर पंचायत के मुखिया रंजन कुमार भारती के मुताबिक पंचायत स्तर पर पुल के निर्माण को लेकर प्रखंड विकास अधिकारी ने कोसी प्रोजेक्ट से एनओसी मांगा था, लेकिन नहीं मिलने की वजह से काम नहीं हो पाया। इस पूरे मामले पर छातापुर प्रखंड विकास पदाधिकारी राकेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि मामला संज्ञान में आया है, विस्तृत जानकारी लेकर जल्द समाधान किया जाएगा।

कोसी क्षेत्र के रहने वाले रोहित सामाजिक कार्य से जुड़े हुए है। वो बताते हैं कि इस इलाके में लोगों को रोजमर्रा के समान के साथ-साथ बाइक को भी नाव से ही नदी पार कराते हुए अक्सर देखा जा सकता है। हिंदुस्तान 1947 में आजाद हुआ, लेकिन कोसी बेल्ट अब तक आजाद नहीं हुआ है। पुलिया और सड़क का निर्माण इस इलाके के लोगों के लिए रोजमर्रा की बात है, परेशानियां और वादे तो ढेरों हुए लेकिन स्थिति जस की तस है।

(सुपौल से राहुल की रिपोर्ट)

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