बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का प्रचार जोर-शोर से चल रहा है। बिहार में विकास और सुशासन के विभिन्न दावे किए जा रहे हैं, और उपलब्धियों का गुणगान हो रहा है। कानून-व्यवस्था को लेकर भाजपा ने बड़ा दावा किया है। उसने एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के आँकड़ों के हवाले से कहा है कि बिहार कुल अपराध मामलों में देश में 21वें स्थान पर और संज्ञेय अपराधों में 19वें स्थान पर है। संज्ञेय अपराध की राष्ट्रीय औसत दर 422.2 है, जबकि बिहार की औसत दर इससे काफी कम, यानी 277.1 है।
भाजपा ने एक पोस्टर ट्वीट किया, जिसमें ये दावे किए गए हैं। पोस्टर में तेजस्वी यादव को निशाना बनाते हुए लिखा है, “तेजस्वी के झूठे बोल, आँकड़े खोल रहे पोल।” यानी भाजपा ने तेजस्वी के कथित झूठ का पर्दाफाश करने का दावा किया है। लेकिन क्या भाजपा का यह दावा सही है, या झूठ का पर्दाफाश करने के नाम पर वह स्वयं झूठ फैला रही है? आइए, पड़ताल करते हैं।
जांच-पड़ताल
भाजपा ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि बिहार कुल अपराध मामलों में देश में 21वें स्थान पर है। आइए, एनसीआरबी की रिपोर्ट पर नजर डालते हैं।
एनसीआरबी की उपलब्ध नवीनतम रिपोर्ट (2022) के अनुसार, देश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कुल 35,61,379 मामले दर्ज हुए। बिहार में कुल 2,11,079 अपराध मामले दर्ज किए गए। कुल अपराध मामलों में बिहार देश के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 7वें स्थान पर है, न कि 21वें।
यदि आईपीसी और विशेष एवं स्थानीय कानून (एसएलएल) अपराधों के आँकड़ों को संयुक्त रूप से देखें, तो बिहार में यह आँकड़ा 3,47,835 है। इस आधार पर भी बिहार 21वें स्थान पर नहीं, बल्कि 7वें स्थान पर है। यानी, जिस एनसीआरबी रिपोर्ट का हवाला भाजपा दे रही है, उसके अनुसार बिहार 21वें नहीं, बल्कि 7वें स्थान पर है। इस प्रकार, यह दावा गलत है।
बिहार में अपराध की स्थिति
भाजपा का प्रचार यह संदेश दे रहा है कि एनडीए की सुशासन सरकार में बिहार में अपराध के मामलों में कमी आई है। आइए, बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति और देश में बिहार की स्थिति देखते हैं:
- हत्या: बिहार हत्या के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है। बिहार में 2,930 हत्या के मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है, जहाँ 3,491 मामले दर्ज हुए।
- हत्या का प्रयास: बिहार इस श्रेणी में भी देश में दूसरे स्थान पर है, जहाँ 8,667 मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल है, जहाँ 12,279 मामले दर्ज हुए।
- अपहरण: बिहार अपहरण के मामलों में देश में तीसरे स्थान पर है, जहाँ 11,822 मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश और दूसरे पर महाराष्ट्र है।
- चोरी: बिहार चोरी के मामलों में देश में 5वें स्थान पर है, जहाँ 14,845 मामले दर्ज हुए। यानी, बिहार में प्रतिदिन औसतन 40 चोरी की घटनाएँ होती हैं।
- महिलाओं के खिलाफ अपराध: बिहार इस श्रेणी में देश में 8वें स्थान पर है, जहाँ 20,222 मामले दर्ज हुए। यानी, हर घंटे दो महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएँ होती हैं।
- रेप: बिहार रेप के मामलों में देश में 11वें स्थान पर है, जहाँ 881 मामले दर्ज हुए। यानी, प्रतिदिन औसतन दो रेप के मामले दर्ज होते हैं।
- दहेज उत्पीड़न: बिहार दहेज के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है, जहाँ 3,580 मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है, जहाँ 4,807 मामले दर्ज हुए।
- दलितों के खिलाफ अपराध: बिहार इस श्रेणी में देश में चौथे स्थान पर है, जहाँ 6,509 मामले दर्ज हुए।
ये सभी आँकड़े उसी एनसीआरबी रिपोर्ट से लिए गए हैं, जिसका हवाला भाजपा दे रही है। ये आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि बिहार में अपराध को लेकर भाजपा का दावा झूठा है।
निष्कर्ष
सवाल यह है कि क्या भाजपा की रिसर्च विंग इतनी अक्षम है कि वह एनसीआरबी की रिपोर्ट को ठीक से पढ़ नहीं पाई, या जानबूझकर एनसीआरबी का हवाला देकर झूठ फैलाया जा रहा है? क्या यह किसी तथाकथित “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट है, जिस पर एनसीआरबी का ठप्पा लगा दिया गया? स्थिति जो भी हो, सच्चाई यही है कि भाजपा के दावे तथ्यात्मक रूप से गलत हैं।
राजकुमार, स्वतंत्र पत्रकार एवं फैक्ट-चेकरजिसमें ये दावे किए गए हैं। पोस्टर में तेजस्वी यादव को निशाना बनाते हुए लिखा है, “तेजस्वी के झूठे बोल, आँकड़े खोल रहे पोल।” यानी भाजपा ने तेजस्वी के कथित झूठ का पर्दाफाश करने का दावा किया है। लेकिन क्या भाजपा का यह दावा सही है, या झूठ का पर्दाफाश करने के नाम पर वह स्वयं झूठ फैला रही है? आइए, पड़ताल करते हैं।
जांच-पड़ताल
भाजपा ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि बिहार कुल अपराध मामलों में देश में 21वें स्थान पर है। आइए, एनसीआरबी की रिपोर्ट पर नजर डालते हैं।
एनसीआरबी की उपलब्ध नवीनतम रिपोर्ट (2022) के अनुसार, देश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कुल 35,61,379 मामले दर्ज हुए। बिहार में कुल 2,11,079 अपराध मामले दर्ज किए गए। कुल अपराध मामलों में बिहार देश के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 7वें स्थान पर है, न कि 21वें।
यदि आईपीसी और विशेष एवं स्थानीय कानून (एसएलएल) अपराधों के आँकड़ों को संयुक्त रूप से देखें, तो बिहार में यह आँकड़ा 3,47,835 है। इस आधार पर भी बिहार 21वें स्थान पर नहीं, बल्कि 7वें स्थान पर है। यानी, जिस एनसीआरबी रिपोर्ट का हवाला भाजपा दे रही है, उसके अनुसार बिहार 21वें नहीं, बल्कि 7वें स्थान पर है। इस प्रकार, यह दावा गलत है।
बिहार में अपराध की स्थिति
भाजपा का प्रचार यह संदेश दे रहा है कि एनडीए की सुशासन सरकार में बिहार में अपराध के मामलों में कमी आई है। आइए, बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति और देश में बिहार की स्थिति देखते हैं:
- हत्या: बिहार हत्या के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है। बिहार में 2,930 हत्या के मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है, जहाँ 3,491 मामले दर्ज हुए।
- हत्या का प्रयास: बिहार इस श्रेणी में भी देश में दूसरे स्थान पर है, जहाँ 8,667 मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल है, जहाँ 12,279 मामले दर्ज हुए।
- अपहरण: बिहार अपहरण के मामलों में देश में तीसरे स्थान पर है, जहाँ 11,822 मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश और दूसरे पर महाराष्ट्र है।
- चोरी: बिहार चोरी के मामलों में देश में 5वें स्थान पर है, जहाँ 14,845 मामले दर्ज हुए। यानी, बिहार में प्रतिदिन औसतन 40 चोरी की घटनाएँ होती हैं।
- महिलाओं के खिलाफ अपराध: बिहार इस श्रेणी में देश में 8वें स्थान पर है, जहाँ 20,222 मामले दर्ज हुए। यानी, हर घंटे दो महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएँ होती हैं।
- रेप: बिहार रेप के मामलों में देश में 11वें स्थान पर है, जहाँ 881 मामले दर्ज हुए। यानी, प्रतिदिन औसतन दो रेप के मामले दर्ज होते हैं।
- दहेज उत्पीड़न: बिहार दहेज के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है, जहाँ 3,580 मामले दर्ज हुए। पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है, जहाँ 4,807 मामले दर्ज हुए।
- दलितों के खिलाफ अपराध: बिहार इस श्रेणी में देश में चौथे स्थान पर है, जहाँ 6,509 मामले दर्ज हुए।
ये सभी आँकड़े उसी एनसीआरबी रिपोर्ट से लिए गए हैं, जिसका हवाला भाजपा दे रही है। ये आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि बिहार में अपराध को लेकर भाजपा का दावा झूठा है।
निष्कर्ष
सवाल यह है कि क्या भाजपा की रिसर्च विंग इतनी अक्षम है कि वह एनसीआरबी की रिपोर्ट को ठीक से पढ़ नहीं पाई, या जानबूझकर एनसीआरबी का हवाला देकर झूठ फैलाया जा रहा है? क्या यह किसी तथाकथित “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट है, जिस पर एनसीआरबी का ठप्पा लगा दिया गया? स्थिति जो भी हो, सच्चाई यही है कि भाजपा के दावे तथ्यात्मक रूप से गलत हैं।
(राजकुमार, स्वतंत्र पत्रकार एवं फैक्ट-चेकर हैं)
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