पंच-पतियों को आने दो!

ये लो कर लो बात। भगवा भाइयों के राज में भी ऐसा अत्याचार हो रहा है। छत्तीसगढ़ में पारसबाड़ा गांव…

हे भागवत जी, कुछ ऐसी भागवत-कथा कहो कि आपका श्रोता सुनते-सुनते सो जाए !

खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की अगले महीने बंगलूरू में होने वाली बैठक में ‘हिंदू जागरण’…

होली का गंगा-जमुनी इतिहास : जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की

ध्रुवीकरण इनकी मजबूरी है। न करें तो और क्या करें? और कुछ आता भी तो नहीं इसके सिवा! न करें…

व्यंग्य : कम्युनिस्टों को रोने दो, उनकी सिसकियां सुनता कौन है !

इस देश में एक ऐसा परिवार है, जो पहले बीपीएल कार्ड रखता था। अब वह बड़े करदाताओं में से एक…

मोहन राकेश ने अपने बारे में पूरी ईमानदारी से लिखा : जयदेव तनेजा

नई दिल्ली। साहित्योत्साव के पांचवें दिन ‘भारत की अवधारणा’ पर विचार-विमर्श के साथ ही प्रख्यात लेखक मोहन राकेश एवं कवि…

बनारस लिट फेस्ट: साहित्य की आत्मा से दूर, कृत्रिम चमक-दमक और खाए-पिए-अघाए लोगों का महोत्सव !

वाराणसी। बनारस यानी काशी, जो भारतीय साहित्य और संस्कृति की आत्मा है, जहां तुलसी ने रामचरितमानस की रचना की, जहां कबीर ने…

होली की मिठास से भरा-पूरा है इतिहास 

हमारी सांस्कृतिक धरोहरों में, होली ने साझी खुशी, दिल्लगी और आपसी सौहार्द्र का जो रंग प्राचीन साहित्य के इतिहास में…

सावित्रीबाई फुले: आधुनिकता के सभी अर्थों में भारत की पहली आधुनिक महिला

हिन्दू धर्म, सामाजिक व्यवस्था और परम्परा में शूद्रों और महिलाओं को एक समान माना गया है। अतिशूद्रों (अछूतों) को इंसानी…

स्मृति शेष : ‘दुनिया के संकट को हल करने की चाबी साम्यवाद में है’ शायर और डायलॉग राइटर अख़्तर-उल-ईमान

अख़्तर-उल-ईमान अपने दौर के संज़ीदा शायर और बेहतरीन डायलॉग राइटर थे। अक्सर लोग उन्हें फ़िल्मी लेखक के तौर पर याद…

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: चौथे अब्बा

‘एक बार जब मना कर दिया गया था, तो दोबारा कहने की हिम्मत कैसे की इसने?’ अब्बा इतनी ज़ोर से गरजे कि…