शशिकांत शर्मा।

सीबीआई ने पूर्व सीएजी शशिकांत शर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांगी अनुमति

नई दिल्ली। सीबीआई ने पूर्व रक्षा सचिव और पूर्व सीएजी शशिकांत शर्मा और पूर्व एयर वाइस मार्शल जसबीर सिंह पानेसर के खिलाफ अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले में मुकदमा चलाने के लिए अनुमति की मांग की है।

3600 करोड़ रुपये के समझौते पर जब बातचीत चल रही थी तो उस समय शर्मा रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे। पानेसर और शर्मा के अलावा तीन और लोग हैं जिनके खिलाफ एजेंसी मुकदमा चलाना चाहती है।

इनमें पूर्व टेस्ट पायलट के डिप्टी चीफ एसए कुंटे, विंग कमांडर (रिटायर्ड) थामस मैथ्यू और ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) एन संतोष शामिल हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार के इस मामले में सीबीआई मध्यस्थ क्रिस्टिएन मिशेल के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट के साथ तैयार है। आम तौर पर इस घोटाले को वीवीआईपी चॉपर स्कैम के नाम से जाना जाता है। जांचकर्ताओं ने शर्मा के खिलाफ प्रमाण हासिल कर लिया है। इसके साथ ही शामिल चार एयर अफसरों के खिलाफ भी एजेंसी के पास सबूत हैं। लिहाजा इन सभी के खिलाफ मुकदमा चलाने की सीबीआई ने अनुमति मांगी है।

बहुत सारे लोगों के हस्ताक्षर के साथ स्विट्जरलैंड में एक नोट मिला है जिस पर ‘जेएस सर’ लिखा हुआ है। इस नोट को कथित बजट शीट बताया जा रहा है जिसे मिशेल ने तैयार किया था। इसके साथ ही इसका जिक्र मिलान के कोर्ट में भी हुआ जहां इस मामले की सुनवाई चल रही थी।

मिलान कोर्ट ने अपने आर्डर में कहा है कि शायद हस्ताक्षर उन अधिकारियों के पद को इंगित करते हैं जो ‘एएफ’ और ‘बीयूआर’ में विभिन्न पदों पर थे। उसी नोट में एपी का जिक्र किया गया है वह ‘पीओएल’ के हेड के तहत। कोर्ट के आदेश में इन अलग-अलग शब्दों को एयर फोर्स, ब्यूरोक्रैट, और राजनेता के तौर पर परिभाषित किया गया है। हर पद के सामने यूरो में मात्रा लिखी गयी है।

एएफ के सामने 6 यूरो लिखा गया है। बीयूआर के सामने 8.4 तथा पीओएल के सामने 15/16 यूरो लिखा गया है।

सीबीआई के मुताबिक अगस्ता वेस्टलैंड को क्वालीफाई करने में मदद करने के लिए जिन टेक्निकल जरूरतों में बदलाव किया गया था, उसकी मध्यस्थता मिशेल और दो दूसरे मध्यस्थ कार्लो गेरोसा और गाइडो हस्के ने की थी। उस समय गेरोसा और हस्के कथित तौर पर पूर्व आईएएफ चीफ एसपी त्यागी के परिवार को हैंडल कर रहे थे जबकि मिशेल रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से बात कर रहा था।

1999 में आईएएफ ने सरकारी अफसरों और मंत्रियों को ले आने ले जाने के लिए 12 वीवीआईपी हेलीकाप्टर खरीद के प्रस्ताव का विज्ञापन दिया था। इस सिलसिले में 2010 में 3600 करोड़ रुपये का कांट्रेक्ट अगस्ता वेस्टलैंड को दिया गया था।

हालांकि इसमें आरोप लगाया गया था कि तकनीकी विशेषताओं में बदलाव कर दिया गया था। जिसमें हेलीकाप्टर के सर्विस सीलिंग को 6000 मीटर से घटाकर 4500 मीटर कर दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था जिससे अगस्ता वेस्टलैंड निविदा में क्वालीफाई कर जाए। और कहा जाता है कि इसी काम के लिए घूस दी गयी थी।

सीबीआई ने 14 मार्च, 2013 को प्राथमिक जांच के लिए एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल त्यागी समेत 12 लोगों का नाम दर्ज हुआ था। इसके साथ ही इसमें चार कंपनियों के नाम भी शामिल थे। इसमें त्यागी के परिवार के सदस्य और तीन मध्यस्थ थे। इसके साथ ही मनी लांडरिंग एक्ट के तहत ईडी ने भी जांच शुरू कर दी थी।

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