सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा-जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव कराने के लिए तैयार

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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव कराने के लिए तैयार हैं। राज्य बनाने की तारीख नहीं बता सकते। इस बीच अचानक बिना एजेंडा बताये सरकार ने 18 सितंबर से 23 सितंबर को पांच दिन का संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा कर दी है। राजनीतिक हलकों में तमाम आशंकाओं के बीच माना जा रहा है कि सरकार इसमें लद्दाख़ को केंद्र शासित प्रदेश रहते हुए जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के कानूनी प्रावधान को बहाल करने का काम कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा कब तक मिल पाएगा। इस पर आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं बता सकते।

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि हम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीन चुनाव होने हैं। पहली बार त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई है। सबसे पहले चुनाव पंचायतों के होंगे। लेह हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव खत्म हो गए हैं और कारगिल के लिए सितंबर में चुनाव होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा कब तक मिल पाएगा। इस पर आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं बता सकते, लेकिन सरकार यह स्पष्ट है कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है।

पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जम्मू-कश्मीर को अस्थायी तौर पर दो यूनियन टेरिटरी (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटा गया है। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही रहेगा, लेकिन जम्मू-कश्मीर को जल्द राज्य का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि वे गुरुवार को इस संबंध में पॉजिटिव बयान देंगे। लेकिन आज उन्होंने कहा कि हम इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं बता सकते।

मुंबई में ‘इंडिया’ गठबंधन की तीसरी बैठक के पहले ही दिन सरकार द्वारा संसद का विशेष सत्र आहूत करने की घोषणा ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। यह विशेष सत्र 18 सिंतबर से 22 सितंबर तक होगा और इसकी कुल पांच बैठकें होंगी, जिनमें सरकार कुछ अहम विधायी कामकाज निपटाएगी। मोदी सरकार के इस फैसले ने लोकसभा चुनाव इसी साल कराने की अटकलों को बल दे दिया है, क्योंकि विधायी कामकाज के लिए अभी संसद का शीतकालीन सत्र बचा हुआ है और सरकार अपने जरूरी विधेयक उसमें पारित करा सकती है। हालांकि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने को भी अहम मुद्दा माना जा रहा है।

सिर्फ विधायी कामकाज के लिए विशेष सत्र बुलाना समझ में न आने वाली बात है। अभी तक संसद के जितने भी विशेष सत्र हुए हैं, आमतौर पर उनमें कोई न कोई विशेष एजेंडा रहा है और उसे सत्र बुलाए जाने के साथ ही सार्वजनिक भी किया जाता रहा है, लेकिन इस बार सरकार ने विशेष सत्र के एजेंडे या मुद्दे को सार्वजनिक नहीं किया है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार एवं कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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