बस्तर। छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर जिले में 50 दिन से आदिवासी आंदोलन कर रहे है लेकिन राज्य की आदिवासी हितैषी बताने वाली भूपेश बघेल सरकार इन आदिवासियों से बात तक नही कर रही है। 7 नंवबर 2021 से उत्तर बस्तर कांकेर पखांजुर क्षेत्र के छोटेबिठिया थाना अंतर्गत बेचाघाट में आदिवासी अस्थाई छिंद के पत्तों का झोपड़ी बना कर आज तक आंदोलन में बैठे है।
26 जनवरी 2022 को आदिवासियों ने काली पट्टी लगा कर भूख हड़ताल कर अपना विरोध जताया है। इन आदिवासियों की चार सूत्रीय मांग है।

- सीतराम में पर्यटन स्थल नहीं होना चाहिए।
2.कोटरी नदी में पुल निर्माण नही होना चाहिए
3. BSF कैम्प नही लगना चाहिए
4. आदिवासियों की अलग धर्म कोड की मांग।
कोटरी नदी पुल निर्माण
बता दें कि 2021 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल माध्यम से 15 करोड़ 89 लाख 91 हजार की लागत से पुल निर्माण की घोषणा की थी। यह पुल बन जाने से कांकेर जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिला नारायणपुर भी जुड़ जाएगा और क्षेत्र के लोग नारायणपुर भी आवागमन कर सकेंगे। बताया जा रहा है कि पुल निर्माण से 150 से अधिक गांवों के लोगों का आवगमन सुलभ होगा।
पुल निर्माण को लेकर आंदोलन में ग्रामीण कहते है सरकार यहां पुलिया बनाने वाली है पुलिया बनाने के लिए कैम्प बैठायेगी और फिर हमारे जल,जंगल,जमीन को ले जाएगी। हम अपना जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां बिना ग्राम सभा के सरकार काम कर रही है।

कैम्प का भय
प्रदर्शन में ही शामिल नवलू राम ध्रुव कहते हैं कि बीएसएफ कैम्प खुलने से सुरक्षाबल के जवान अंदरूनी इलाके में जाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते है, न कि ग्रामीणों की सुरक्षा करते हैं। आदिवासी ग्रामीण जवानों से अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं।
जहां एक ओर पिछले साल भर से दक्षिण बस्तर के बीजापुर सिलगेर में कैम्प के विरोध में ग्रामीण लगातार आंदोलन कर रहे हैं वहीं अब उत्त्तर बस्तर में भी कैम्प के विरोध में आदिवासी अनिश्चत कालीन विरोध में उतर गए हैं।

सरकार नहीं कर रही इन आदिवासियों से संवाद
महीनों साल भर से चल रहे आदिवासियों के इन अनिश्चितकालीन आंदोलनों से राज्य की कांग्रेस सरकार किसी भी तरह से संवाद करने में असमर्थ है। इन आदिवासियों से संवाद नही करने के चलते लगातार ये अनिश्चित कालीन आंदोलन में बैठे हुए है।
वहीं पूरे मामले को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा का कहना है कि पुल निर्माण का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। अभी तक कैम्प स्थापित करने का आदेश नहीं आया है। ग्रामीणों से संवाद किया जा रहा है।
(तामेश्वर सिन्हा जनचौक के विशेष संवाददाता हैं और बस्तर में रहते हैं।)
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