बैंकों में जमा जनता के 140 लाख करोड़ रुपए कार्पोरेट के हवाले कर रही है सरकार: पी चिदंबरम

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार द्वारा चोर दरवाजे से देश की बैंकिंग व्यवस्था को कार्पोरेट के हाथों में सौंपे जाने की कोशिशों का कड़ा विरोध किया है।

चिदंबरम ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा, “कांग्रेस पार्टी डॉ. रघुराम राजन और डॉ. विरल आचार्य के बयान का स्वागत व समर्थन करती है और कॉरपोरेट्स और व्यापारिक घरानों को बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश करने और बैंकों की स्थापना के लिए भाजपा सरकार के प्रस्ताव का विरोध करती है।”

बता दें कि भाजपा सरकार और रिजर्व बैंक के इंटर्नल वर्किंग ग्रुप द्वारा बड़े-बड़े धन्ना सेठों और चुनिंदा उद्योगपतियों द्वारा बैंक खोले जाने की अनुमति देने का आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन और डॉ. विरल आचार्य ने कड़ा विरोध किया है।

पी चिंदबरम ने प्रेंस कान्फ्रेंस में आगे कहा कि “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस प्रपोजल के कड़े विरोध में है और ऐसे किसी कदम को जनहित के लिए घातक मानती है। अगर बैंकिंग व्यवस्था को मुट्ठी भर धन्ना सेठों को सौंप दिया गया, जैसा मोदी सरकार चाहती भी है, तो पिछले 50 सालों से बैंकिंग व्यवस्था को साधारण जनमानस, किसान और गरीब तक पहुंचाने की सारी कोशिशों और कवायदों पूरी तरह से पानी फिर जाएगा। यह प्रस्ताव, कुछ अन्य सिफारिशों के साथ, बैंकिंग उद्योग को नियंत्रित करने के लिए एक गहरे गेम प्लान का हिस्सा है। यदि यह प्रस्ताव लागू किया जाता है, तो यह पिछले 50 वर्षों में व्यापारिक क्षेत्रों में अर्जित उपलब्धियों को उलटकर बैंकिंग क्षेत्र को पुनः कार्पोरेट हाउस के चंगुल में फंसा देगा।”

उन्होंने पूरी दुनिया की बैंकिंग प्रणाली के आधार स्तंभों को रेखांकित करते हुए कहा, “पूरी दुनिया में बैंकिंग प्रणाली 3 आधारों पर या 3 स्तभों पर आधारित है।

पहला, ज्यादा से ज्यादा लोग बैंक के मालिक हों ताकि एक व्यक्ति का आधिपत्य ना हो पाए।

दूसरा, बैंक की मिलकियत और संचालन अलग-अलग हो यानि शेयर होल्डर मालिक हों और प्रोफेशनल्स बैंक का संचालन करें ताकि सही तरीके से बैंकिंग प्रणाली लोगों के लिए फायदेमंद हो पाए। 

और तीसरा, कर्ज देने वाले बैंक के मालिक और कर्ज लेने वाले अलग-अलग व्यक्ति हों। यानि बैंक का मालिक खुद अपने व्यवसाय के लिए जनता का पैसा इस्तेमाल कर खुद को कर्ज ना दे पाए।

यदि कॉर्पोरेट्स और व्यावसायिक घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति दी जाती है, तो सभी तीन सिद्धांतों को खिड़की से बाहर फेंक दिया जाएगा।”

उन्होंने बैंकिंग सेवा के जन सरोकारीय और विश्वसनीयता और बैंकों को कार्पोरेट के हवाले करने के ख़तरे को रेखांकित करते हुए कहा, “बैंकों में जनता की गाढ़ी कमाई और बचत का पैसा है। जिसे महफूज रखना ही सबसे बड़ा राष्ट्रहित है। आज बैंकों के पास लगभग 140 लाख करोड़ रुपए देश के 130 करोड़ लोगों का जमा है। यदि कुछ उद्योगपतियों को बैंक खोलने की इजाजत दे दी, तो वो थोड़ा सा पैसा लगाकर 130 करोड़ भारतीयों के इस पैसे को प्रभावित भी कर सकते हैं और खुद के फायदे के लिए इस्तेमाल भी कर सकते हैं, पर कांग्रेस पार्टी ये कभी भी होने नहीं देगी। अगर मोदी सरकार का प्रपोजल मान लिया तो देश की राजनीतिक और आर्थिक ताकत मुट्ठीभर लोगों के हाथों में सिमट कर रह जाएगी। हालांकि सब एक्सपर्ट ने एक स्वर से इस आईडिया का विरोध किया है, फिर भी मोदी सरकार ने इसे जबरदस्ती थोपने की कोशिश की है।”

उन्होंने मोदी सरकार के कार्पोरेट परस्ती पर बोलते हुए कहा, “ये किसके लिए किया जा रहा है, किन लोगों के लिए किया जा रहा है और बैंकों का लाइसेंस किनको देने के लिए किया जा रहा है, ये पूरा देश जानता है ताकि मुट्ठीभर लोगों के हाथ में देश की पूरी आर्थिक ताकत और फायदा पहुंच सके। 

आरबीआई का दुरुपयोग नोटबंदी के समय भी किया गया और आरबीआई का दुरुपयोग अब भी एक कठपुतली की तरह मोदी सरकार द्वारा किया जा रहा है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसका कड़ा विरोध करती है। हम देश के सभी अर्थशास्त्रियों, देश के सभी राजनीतिक दलों, देश के हर उस व्यक्ति को जो देशहित का पक्षधर है और सभी ट्रेड यूनियन को कहते हैं कि वो कांग्रेस पार्टी के साथ खड़े होकर जनहित में इस निर्णय का विरोध करें।”

बैंकिग क्षेत्र को कार्पोरेट के हवाले किए जाने के मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “…….पूरी बैंकिंग व्यवस्था को चंद धन्ना सेठों के हाथ में देने के लिए मोदी सरकार द्वारा कदम उठाया गया है, जिसके बारे में एक व्यापक वक्तव्य श्री पी. चिदंबरम ने दिया। अगर आपने कॉरपोरेट सेक्टर को बैंक चलाने की इजाजत दे दी, तो देश की बहुमूल्य धनराशि 140 लाख करोड़ रुपए से अधिक जो आज बैंकों में जमा है, वो चंद धन्ना सेठों के हाथों में चली जाएगी और वो इसका इस्तेमाल फिर खुद के फायदे के लिए करेंगे। ना पैसे कि सुरक्षा बचेगी, ना मेहनत की कमाई और जमा किए गए पैसे की कोई कीमत बचेगी और इसलिए कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध कर रही है।”

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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