Friday, April 19, 2024

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न्याय का मखौल ! आजम खां के जमानत पर 137 दिनों से फैसला रिजर्व है

संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव आंबेडकर ने संविधान बनाते समय यह कभी सोचा भी नहीं होगा कि कभी न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के साथ मिलकर सरकार में बैठे आकाओं को खुश करने के लिए कानून के शासन की...

ग्राउंड रिपोर्ट: कैमूर के आदिवासियों ने भरी हुंकार, कहा- बाघ अभ्यारण्य नहीं बनने देंगे

कैमूर। ‘‘जल-जंगल-जमीन हम आपका, नहीं किसी के बाप का’’, ‘‘जल-जंगल-जमीन हमारा है, वन विभाग की जागीर नहीं’’, ’‘ ये धरती सारी हमारी है, जंगल-पहाड़ हमारे हैं’’, ‘‘ लोकसभा न विधानसभा, सबसे ऊपर ग्रामसभा’’, ‘‘बाघ अभ्यारण्य को हटाना है, जल-जंगल-जमीन...

बैंकों में जमा जनता के 140 लाख करोड़ रुपए कार्पोरेट के हवाले कर रही है सरकार: पी चिदंबरम

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार द्वारा चोर दरवाजे से देश की बैंकिंग व्यवस्था को कार्पोरेट के हाथों में सौंपे जाने की कोशिशों का कड़ा विरोध किया है। चिदंबरम ने प्रेस...

विकास नहीं, यह मौत का है रास्ता

वह समाज खूबसूरत होता है जो अपनी कमियों को हंसते हुए स्वीकार करे और उसे ठीक करने के लिए कमर कस ले। यह हरेक इंसान के लिए भी जरूरी है। हर आदमी शीशे में अपना चेहरा देखते हुए थोड़ा...

पूंजीवाद के इंजन को हमेशा के लिए बंद करना ही हमारा काम: अरुंधति रॉय

कोरोनावायरस की महामारी ने पूंजीवाद के इंजन को रोक दिया है। परन्तु यह एक अस्थाई स्थिति है। आज जब पूरी मनुष्य जाति कुछ समय के लिए अपने घरों में कैद है तब धरती ने खुद ही अपने ज़ख्म भरने...

रिजर्व बैंक के रिजर्व कोष पर सरकार का पंजा

रिजर्व बैंक से अंतत: एक लाख छियत्तर हज़ार करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने लेकर दिवालिया हो रही निजी कंपनियों के तारणहार की भूमिका अदा करने और चंद दिनों के लिये अपने खुद के वित्त में सुधार करने का जुगाड़ कर लिया है...

अर्थव्यवस्था के संकट के केंद्र में हैं मोदी

रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के उस भाषण की अभी काफी चर्चा है जिसमें उन्होंने अर्थ-व्यवस्था की बीमारी के मूल में मोदी सरकार की फिजूलखर्चियों की बातें कही थीं। वे अपने भाषण में तथ्य देकर बताते हैं कि जीडीपी का...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।