बिहार: CPIML को चुनाव आयोग की नई गाइड लाइन भी मंजूर नहीं, सुधार के लिए दिया ज्ञापन

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पटना। भाकपा-माले ने चुनाव आयोग की नयी गाइड लाइन से असहमति जाहिर करते हुए एक बार फिर आयोग को ज्ञापन सौंपा है। पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा व वरिष्ठ नेता केडी यादव ने आज बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मुलाकात की और अपनी असहमति के बिन्दुओं को एक-एक कर रखा।

अपने ज्ञापन में माले ने कहा कि आयोग की गाइडलाइन आंखों में धूल झोंकने वाली है। इसमें एक तरफ कोरोना से बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए हैं, दूसरी ओर धांधली के और भी व्यापक द्वार खोल दिए गए हैं।

पार्टी ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों व सिविल सोसाइटी के द्वारा संभावित चुनावी धांधली का आरोप लगने के बाद चुनाव आयोग ने 65 साल के लोगों को पोस्टल बैलेट देने का प्रस्ताव वापस लिया था, लेकिन पुनः उसने कोविड के नाम पर फिर एक ऐसा प्रावधान किया है जो व्यापक चुनावी धांधली की जगह बनाता है।

गाइड लाइन के पोस्टल बैलट संबंधी चैप्टर 12 के बिन्दु 1 डी में कहा गया है कि सिर्फ कोविड पॉजिटिव ही नहीं संदेहास्पद कोविड मतदाता और होम या संस्थान में क्वारंटाइन में रह रहे मतदाता भी पोस्टल बैलेट प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। इसके विपरीत, गाइड लाइन के पोलिंग स्टेशन की व्यवस्था से संबंधित चैप्टर 10 के बिन्दु नम्बर 21 में कहा गया है कि क्वारंटाइन मतदाता मतदान के अंतिम समय में बूथ पर वोट देंगे। इसी चैप्टर के बिन्दु नंबर 4 में यह भी कहा गया है कि थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान बूथ पर अगर कोई बुखार से पीड़ित पाया जाएगा तो उसे भी अंतिम समय में वोट डालने को कहा जाएगा।

सवाल यह है कि संदेहास्पद कोविड मतदाता की पहचान कैसे होगी? इस नाम पर सत्ताधारी दल बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट हासिल कर सकते हैं और पूरे चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। कंटेनमेंट जोन वाले इलाके के लिए अलग से बूथ बनाया जा सकता है, लेकिन इसके बहाने पोस्टल बैलेट जारी कर धांधली की इजाजत नहीं दी जा सकती। 

इसलिए, आयोग से पार्टी ने मांग की है कि वह संदेहास्पद मरीज या होम क्वारंटाइन मरीज को पोस्टल बैलेट के प्रावधान को वापस ले ताकि चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष व विश्वसनीय बनाया जा सके।

कोविड से मतदाता की सुरक्षा की पूरी जिम्मेवारी चुनाव आयोग की है। वह इस जिम्मेवारी से नहीं भाग सकती। लेकिन आयोग लाख विरोध के बावजूद लोगों की जान की परवाह किए बिना चुनाव करवाने पर आमादा है। इसलिए लोगों की जान की रक्षा की जिम्मेवारी भी उसी पर आती है। लेकिन गाइड लाइन के चुनावी कैंपेन संबंधी चैप्टर 13 के बिन्दु 3 एफ में उसने सभा, प्रचार आदि तमाम मामले में कोविड से रक्षा की जिम्मेवारी पार्टी और उम्मीदवार पर डाल दिया है। यह एकदम से गैर जिम्मेदाराना बात है। आयोग से पार्टी ने इस प्रावधान को वापस लेने की मांग की है।

पार्टी की मांग है कि आयोग मतदाता और पुलिस सहित तमाम चुनावकर्मियों के संक्रमित होने पर हर एक को कोविड गुजारा भत्ता व मुफ्त इलाज की व्यवस्था करवाए। पार्टी ने आयोग से सब लोगों के लिए 50 लाख रुपए का बीमा करवाने की मांग किया है ताकि वे अपना सही समय पर इलाज करवा सकें।

इसके साथ ही माले ने आयोग से एक बार फिर इवीएम की जगह पोस्टल बैलेट से चुनाव की मांग को दोहराया है। जिससे कोरोना के संक्रमण को कम किया जा सके।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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