रायगढ़ में काम करने वाले दलित मानवाधिकार कार्यकर्ता डीपी चौहान भी हुए ह्वाट्सएप जासूसी कांड के शिकार

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रायपुर। देश में पत्रकारों से लेकर अध्यापकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक के जासूसी का काम बड़े स्तर पर संचालित किया गया है। उसके शिकार न केवल बड़े और मेट्रो शहरों में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और शख्सियतें हुई हैं बल्कि जमीन पर काम करने वाले तमाम लोगों को भी इजरायली स्पाईवेयर ने अपना शिकार बनाया है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ क्षेत्र में काम करने वाले दलित मानवाधिकार कार्यकर्ता और छत्तीसगढ़ पीयूसीएल के अध्यक्ष डिग्री प्रसाद चौहान उर्फ डीपी चौहान भी उन्हीं में से एक हैं। उन्होंने एक वीडियो संदेश में बताया है कि इससे संबंधित कुछ अलर्ट भी उनके पास आए थे। उसी समय उनको शक होने लगा था।

अब चीजें सामने आ जाने के बाद स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो गयी है। दरअसल इजरायली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिये ह्वाट्सएप से जुड़े तमाम लोगों की जासूसी की जाती थी। दुनिया के पैमाने पर होने वाली इस जासूसी के भारत के भी कई सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता शिकार बने। इनमें बेला भाटिया से लेकर सीमा आजाद और आनंद तेलतुंबडे से लेकर सिद्धांत सिब्बल तक शामिल हैं।

चौहान पिछले 15 वर्षों से दलितों और आदिवासियों के अधिकारों को लेकर काम कर रहे हैं। उन्होंने रायगढ़ जिले में विभिन्न कारपोरेट कंपनियों द्वारा खनन और उसके कारण विस्थापित होने वाले आदिवासियों के लिए जन आंदोलन किया। उनके भूमि संबंधी अधिकारों के लिए अदालत में भी कानूनी लड़ाई लड़ी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के फर्जी एनकाउंटर के सवालों को भी उन्होंने लगातार उठाया है।

आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव मामले में भी चौहान का नाम सामने आया था। उन्होंने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे नागरिकों के निजी अधिकारों पर हमला करार दिया है।

(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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