“डॉक्टर का काम मुनाफा कमाना नहीं, मरीज की जान बचाना है”

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वाराणसी। मरीज और डॉक्टर का रिश्ता बड़ा संवेदनशील होता है  डॉक्टर पर मरीज का विश्वास किसी भी डॉक्टर के लिए सबसे बड़ी पूंजी होती है और मरीज को तकलीफ़ से दर्द से निजात दिलाना ही डॉक्टर की सबसे बड़ी उपलब्धि। मैं कैंसर का डॉक्टर हूं एक ऐसी बिमारी जो तकलीफ दायक और एक हद के बाद जानलेवा है ऐसे में मेरी पहली कोशिश होती है मरीज की जान बचे और वो अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जिंदगी गुजारे लेकिन हमेशा ऐसा होता नहीं। वैसे भी कैंसर का इलाज लम्बा होता है इस दौरान मरीज के साथ भी डॉक्टर का रिश्ता बन जाता है तमाम कोशिशों के बाद भी जब मरीज मेरे सामने दम तोड़ देता है तो मुझे भी उस रात नींद नहीं आती लगता है अगर मैं उसे बचा सकता।

बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल के सर्जिकल अंकोलाजी के डॉक्टर नेविल जे.एफ (Navilee j.f) हमेशा मुस्करा कर मरीज का हाल पूछते हैं क्योंकि वो जानते हैं दवा मर्ज का इलाज करती है और हंसी कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे मरीज को अपनेपन का एहसास करवाती है। वो कहते हैं कैंसर मतलब मौत नहीं अगर वक्त रहते इसका इलाज शुरू कर दें तो। वो बताते हैं स्टेज वन में 95% तक मरीज ठीक हो जाते हैं लेकिन स्टेज फोर तक पहुंचने के बाद उम्मीद न के बराबर रह जाती है। तेजी से फ़ैल रहे कैंसर के बारे में वो कहते हैं वर्तमान जीवन शैली के साथ ही बढ़ता प्रदूषण और अनियंत्रित खान-पान भी

इसकी वजह है। वो कहते हैं कभी टीबी होने पर लोगों को जंगल में छोड़ दिया जाता था फिर सेनिटोरियम में मरीजों को रखा जाने लगा और अब घर पर ही इसका इलाज हो जाता है। कैंसर के क्षेत्र में भी हो रहे नये-नये शोध, नई दवाईयां हमें उसी ओर ले जा रही हैं। हो सकता आने वाले 50 साल बाद कैंसर जानलेवा न रह जाए। कैंसर के इलाज में अर्थ की भूमिका पर संजीदगी से वो कहते हैं अमीरों के बचने की उम्मीद इसमें ज्यादा होती है ऐसा नहीं कि सब बच ही जाते हैं लेकिन वो अपना इलाज करवा लेते हैं लेकिन गरीब ? किसी-किसी के पास तो बायोप्सी तक के पैसे नहीं होते। हमारे पास ऐसे लोग आते हैं जिनकी चप्पलें फटी होती हैं इसलिए जरूरी है कि इस क्षेत्र में सरकार और  ज्यादा पहल करे ताकि लोग बिना इलाज के न मरें। एक डॉक्टर के तौर पर मैं मानता हूं इलाज सस्ता होना चाहिए और लोगों को ज्यादा सहूलियत मिलनी चाहिए। मेरी नज़र में मरीज मुनाफे की चीज नहीं और डॉक्टर का काम मुनाफा कमाना नहीं मरीज की जान बचाना है।

  (वाराणसी से पत्रकार भास्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट।)

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