पंजाब की राजनीति को गहराई से जानने वाले नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर यह मानने को तैयार नहीं हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति के चिर असंतुष्ट हैं और मंत्रिमंडल में अपने चहेतों को मंत्री न बनाये जाने से नाराज हैं इसलिए उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है। बल्कि उनका मानना है कि यदि अमरिंदर सिंह सरकार की तरह चन्नी सरकार में भी ड्रग माफिया और बालू माफिया के चहेते मंत्री बन जायेंगे और राज्य के नये डीजीपी की नियुक्ति में ड्रग माफिया के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारी की जगह किसी और को राज्य का डीजीपी बनाया जायेगा तथा एडवोकेट जनरल के पद पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जाएगी जो एक ऐसे पुलिस अधिकारी का वकील है जिस पर अमरिंदर सरकार ने ही कई मामले दर्ज़ कराये हैं, तो पंजाब की नई कांग्रेस सरकार को लेकर जनता में क्या संदेश जाएगा?ऐसे में सवाल है कि नवजोत सिंह सिद्धू ऐसी सरकार को क्यों अपने कंधे पर ढोयें?
पंजाब में चन्नी सरकार में दो मंत्री भारत भूषण और राणा गुरजीत सिंह को सिद्धू और अन्य विधायकों के विरोध के बावजूद मंत्री बनाया गया क्योंकि पंजाब के ड्रग और बालू माफिया का पार्टी आलाकमान पर दबाव था?पंजाब में अमरिंदर सरकार के कार्यकाल में डीजीपी रहे दिनकर गुप्ता और एडवोकेट जनरल अतुल नंदा का जाना तय था। डीजीपी के लिए सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम सबसे ऊपर था जो ड्रग माफिया के धुर विरोधी माने जाते हैं और जिन्होंने ड्रग माफिया के खिलाफ एक बहुत तथ्यपरक और कठोर रिपोर्ट सरकार को दी थी । ड्रग माफिया के दबाव में तीन दिन की माथापच्ची के बाद सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम दरकिनार करके इकबाल सिंह सहोदा को अस्थायी डीजीपी बना दिया गया। इकबाल सिंह सहोदा को सख्त अफसर नहीं माना जाताऔर इनसे ड्रग माफिया और रेट माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती।
इसी तरह एडवोकेट जनरल के नाम पर पूर्व जस्टिस कुलदीप सिंह के पुत्र एसएस पत्वलिया का नाम चल रहा था लेकिन 6 दिन के जद्दोजहद के बाद एपीएस देवल को एडवोकेट जनरल बना दिया गया। एपीएस देवल वही वकील हैं जो रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सुमेध सिंह सैनी के वकील हैं जिनके खिलाफ पूर्व में कांग्रेस सरकार दो-तीन मुकदमें दर्ज़ करवा चुकी है। सुमेध सिंह सैनी को पंजाब में एंटी सिख माना जाता है और आतंकवाद के दौरान सुमेध सिंह सैनी द्वारा की गयी ज्यादतियों के लिए पूरे पंजाब में बहुसंख्य आबादी नाराज है।
पंजाब की राजनीति में पिछले दस वर्षों में सर्वाधिक कोई मुद्दा उछला है, तो वो ड्रग्स यानी नशे का और रेत के अवैध खनन का है। शिरोमणि अकाली दल के साथ सरकार चला रही भाजपा को भी ड्रग्स माफिया के जिन्न ने डसा। नतीजा ये कि 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन की तगड़ी हार हुई। लेकिन कांग्रेस सरकार बनने के बाद शुरुआती फू फां के बाद अमरिंदर सिंह सरकार ने कोई प्रभावी कारवाई नहीं की। सिद्धू द्वारा अमरिंदर सिंह के विरोध का यह बहुत महत्वपूर्ण कारण है।
ये सच भी किसी से छिपा नहीं है कि भारत में ड्रग का धंधा कहीं भी हो उसका एंट्री पॉइंट पंजाब ही है। पंजाब खुद ड्रग की बड़ी मार्केट होने के साथ साथ ड्रग के धंधे का , डीलिंग का मुख्य केंद्र हैं। ड्रग पंजाब की राजनीति का वो कड़वा सच है जो सब जानते हैं पर जिस पर वार करने का साहस किसी ने नहीं किया।
पंजाब पिछले कुछ सालों में नशीले पदार्थों का हब बनकर रह गया है। अफीम, भुक्की से शुरू हुआ सिलसिला हेरोइन, स्मैक, कोकीन, सिंथेटिक ड्रग, आईस ड्रग जैसे महंगे नशे में तब्दील हो चुका है। पंजाब में इतने बड़े पैमाने पर नशा विदेश से सप्लाई किया जाता है। ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान ड्रग्स के मुख्य सप्लायर देश हैं। इन्हीं देश से होते हुए नशा पंजाब में पहुंचता है।
इस बीच प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पंजाब कांग्रेस में सियासी उथल-पुथल मचाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू का वीडियो संदेश सामने आया है। पंजाब कांग्रेस में मची खलबली के बीच नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने वीडियो संदेश में कहा है कि वह आखिरी दम तक हक और सच की लड़ाई लड़ते रहेंगे। बता दें कि मंगलवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद पंजाब में सियासी घमासान जारी है। ट्विटर पर जारी एक वीडियो में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं बल्कि सिद्धांतों की लड़ाई है। मैं सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा और हक व सच की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा। उन्होंने कहा कि वह दागी मंत्रियों को वापस लाए जाने को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
अपने ट्विटर हैंडल पर जारी एक वीडियो में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है किप्यारे पंजाबियों, मैं 17 साल से राजनीति में एक मकसद के कारण हूं। पंजाब के लोगों की जिंदगी को बेहतर करना, बदलाव लाना और मुद्दों पर आधारित राजनीति में एक स्टैंड लेकर उस पर खरा उतरना, यही मेरा धर्म है और यही मेरा फर्ज है। मेरी कोई निजी लड़ाई नहीं है, बल्कि मेरी लड़ाई मुद्दों की है, जो लड़ते आ रहा हूं। पंजाब की बेहतरी के साथ खड़ा होना ही मेरा एजेंडा है और इसके साथ मैं कोई समझौता नहीं कर सकता और मैं हक और सच की लड़ाई लड़ता रहूंगा।
वीडियो संदेश में वह आगे कहते हैं मेरे पिता ने एक ही बात सिखाई है कि जब भी मुश्किल घड़ी हो, सच की लड़ाई लड़ो। आजकल मैं देख रहा हूं कि मुद्दों के साथ समझौता हो रहा है, जिन्होंने कुछ साल पहले बादल को क्लीनचिट दी थी, उन्हें आज अहमियत दी जा रही है। यह देखकर मेरी रूह कांप जाती है। सिद्धू ने कहा कि मैं पंजाब में मुद्दों और एजेंडा के साथ समझौता देख रहा हूं। मैं आलाकमान को नहीं गुमराह कर सकता हूं और न ही गुमराह होने दे सकता हूं। मैं पंजाब के लोगों के लिए कोई भी कुर्बानी दे सकता हूं, मगर अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि दागी नेताओं और अफसर को वह किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।
नवजोत सिंह सिद्धू ने ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटवाया और चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनवाया। सिद्धू की पहल के बाद ही चरणजीत सिंह चन्नी ने राज्य चुनाव से सिर्फ चार महीने पहले पदभार ग्रहण किया। माना जा रहा है कि सिद्धू कथित तौर पर चन्नी के अपने मंत्रिमंडल के लिए चयन से नाखुश हैं।बता दें कि कांग्रेस ने अब तक नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है, हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि सिद्धू अब अपने फैसले पर विचार करने के मूड में नहीं हैं।
मेरी लड़ाई मुद्दे की है, मसले की है। और पंजाब के पक्ष में एक एजेंडे की है जिस पर मैं बहुत देर का खड़ा हूं। और इस एजेंडे के साथ पंजाब के पक्ष के लिए मैं हक-सच की लड़ाई लड़ता रहा हूं। इससे कोई समझौता था ही नहीं। इसमें ओहदे की कोई कीमत थी ही नहीं। आज जब मैं देखता हूं कि उन मुद्दों के साथ समझौता हो रहा है। आज जब मैं देखता हूं कि मेरा प्रथम काम, अपने गुरु के चरणों की धूल, अपने माथे पर लगाकर उस इंसाफ के लिए लड़ना जिसके लिए पंजाब के लोग सबसे आतुर हैं। जब मैं देखता हूं कि जिन्होंने छह-छह साल पहले बादल परिवार को क्लीन चिटें दी हैं। छोटे-छोटे लड़कों पर ज्यादती की। उन्हें इंसाफ की जिम्मेदारी दी गई है।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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