हर जरूरतमंद परिवार को 10 हज़ार रुपये देकर भारत में टाला जा सकता है अनलॉक का खतरा

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अमेरिका में कल एक दिन में होने वाली मौत का आंकड़ा 2000 के पार निकल गया-2100 और कुल मौतों का आंकड़ा भी दुनिया में सबसे ऊपर पहुंच गया 18860, इटली के 18849 से आगे।

ठीक उसी दिन, ट्रम्प अजीब कश्मकश में हैं !

इंडियन एक्सप्रेस में वाशिंगटन से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जहां Medical Experts, ट्रम्प को सलाह दे रहे हैं कि इन हालात में Stay at Home नीति को हर हाल में जारी रखा जाय और 30 अप्रैल के आगे भी बढ़ाया जाय, वहीं उनके Businessman दोस्त-Bankers, कॉरपोरेट, उद्योगपति-उन्हें लगातार फोन कर रहे हैं कि बिज़नेस पुनः खोला जाय ! (ज्ञातव्य है कि ट्रम्प स्वयं भी एक बड़े बिजनेसमैन हैं।)

मेडिकल एक्सपर्ट्स का तर्क है कि घरबन्दी से कोरोना के प्रसार पर कुछ नियंत्रण लगता दिख रहा है, अगर खोला गया तो यह उपलब्धि बर्बाद हो जाएगी और हालात नियंत्रण के बाहर हो जाएंगे, जबकि पूंजीपतियों का तर्क है कि क्योंकि स्थिति में सुधार हुआ है, इसीलिए अब जरूरी है कि अर्थव्यवस्था को ठीक किया जाए।

पिछले दिनों एक अमेरिकी धनकुबेर ने कहा कि मौत का आंकड़ा चाहे जो हो हम अपनी अर्थव्यवस्था को बर्बाद नहीं होने दे सकते।

यहां साफ है कि उनके अर्थव्यवस्था का मतलब है उनका मुनाफा।

वित्तीय पूंजी अपने मौजूदा चरण में कैसे एक नग्न हत्यारे में तब्दील हो गयी है, यह दिन के उजाले की तरह साफ है। 

अपने मुनाफे के लिए उसे समूची मानवजाति के भविष्य को दांव पर लगाने में रंच मात्र भी हिचक नहीं है।

वह सारा मुनाफा और सारी दौलत जिन श्रमिकों के श्रम से निर्मित हुई है, उनके जीवन की रक्षा की उसे कोई परवाह नहीं। यह रास्ता आत्मघात का है।

बेहद गंभीर स्थिति के मद्देनजर हमारे अपने देश में भी ‘जान है तो जहान है’ से ‘जान भी, जहान भी’ का एक ही implication होना चाहिए,

Stay at home, तालाबंदी, physical distancing हर हाल में जारी रहे। कारपोरेट मुनाफाखोरी के लिए इसमें कोई ढील देश के सर्वनाश की कीमत पर ही दी जा सकती है।

केंद्र और राज्य सरकारें अपना खजाना खोलें और सभी जरूरतमंद भारतवासियों, श्रमिकों के घरबन्दी के दौरान उनकी आजीविका- भोजन और अन्य जरूरी ज़रूरियात की free आपूर्ति की गारंटी करें।

एक अनुमान के अनुसार देश की 75% जरूरतमंद आबादी (देश के कुल 26 करोड़ परिवारों में से लगभग 19.5 करोड़ परिवार) को तत्काल 10 हज़ार रुपये प्रति परिवार दे दिए जांय तो उनकी जान और जहान दोनों बच सकती है, पूरा देश भी unlock होने के खतरे से बच जाएगा और कोरोना महा आपदा के खिलाफ हमारी लड़ाई प्रभावी ढंग से आगे बढ़ सकेगी।

इसमें कुल खर्च 2 लाख करोड़ से भी कम होगा, इसकी तुलना आप कारपोरेट घरानों को पिछले दिनों दी गयी लाखों करोड़ की टैक्स छूट, NPA अथवा आज पूंजीपतियों द्वारा मांगे जा रहे 15 लाख करोड़ के राहत पैकेज से कर सकते हैं।

क्या प्रधानमंत्री जनता की जान और जहान दोनों बचाने के लिए यह जरूरी इच्छाशक्ति दिखाएंगे?

(लाल बहादुर सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं और आजकल लखनऊ में रहते हैं।)

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