रांची। वैसे तो आज पूरे देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है, लेकिन झारखंड ऐसा राज्य है जो देश की कुल खनिज संपदाओं में अकेला 40 प्रतिशत आपूर्ति करता है। बावजूद इसके यहां बेरोजगारी का आलम यह है कि यहां के लोग रोजगार के लिए केवल देश के अन्य राज्यों में ही पलायन नहीं करते, बल्कि दूसरे देशों की तरफ भी रुख करने से गुरेज नहीं करते हैं।
आज इसी बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं झारखंड के 45 मजदूर, जो महीनों से सऊदी अरब में फंसे हुए हैं। फंसे हुए ये मजदूर जितना परेशान हैं उतना ही परेशान यहां उनके घर वाले हैं। एक तो सरकार को इस मामले की सूचना दिए जाने के बाद भी अभी तक इन मजदूरों की वतन वापसी की कोई उम्मीद नहीं बनी है।
वहीं सऊदी अरब भेजने के लिए परिजनों ने जिन महाजनों से ब्याज पर पैसा लिया है, वो उस पैसे और ब्याज के लिए घर वालों को परेशान किए हुए हैं, जबकि घर वालों को यहां पेट चलाना भी मुश्किल हो गया है।
एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों की वतन वापसी और बकाया वेतन का गतिरोध अब तक दूर नहीं हो पाया है। उन्हें भारतीय दूतावास से आश्वासन का झुनझुना जरूर दिया गया है। जिसका अभी तक कोई परिणाम नहीं आ सका है। वहीं परेशान मजदूरों ने फिर से राज्य और केंद्र सरकार से बकाए वेतन के साथ वतन वापसी की गुहार लगाई है।
ये मजदूर गत 11 मई 2023 को टाॅवर खड़ा करने वाली कमर्शियल टेक्नोलॉजी पल्स नामक कंपनी में काम करने के नाम पर सऊदी अरब गये थे। उन्हें ले जाने वाले एजेंट ने बताया था कि कंपनी से उन्हें 45 हजार रुपये वेतना मिलेगा। लेकिन वहां जाने के बाद उन्हें कंपनी में नहीं बल्कि ठेकेदार के अंदर काम करवाया जा रहा है। जहां आधे से भी कम मजदूरी दी जा रही है।

मजदूर दलालों के जरिए 55 हजार रुपये कमीशन देकर सऊदी अरब गये थे। भारत से सऊदी अरब ले जाते समय इनके साथ एग्रीमेंट किया गया था कि लाइनमैन को 1500 रियाल, ओवरटाइम का 700 रियाल मिलेंगे। सात महीने काम करने के बाद मजदूरों को सिर्फ दो महीने का वेतन दिया गया। बकाया रकम मांगने पर इन्हें जेल में डालने की धमकी दी जाती है और इनसे जबरदस्ती काम कराया जाता है।
भुखमरी के कगार पर मजदूर, परिजनों का हाल बेहाल
दिसंबर 2023 के आखिरी सप्ताह से फंसे इन मजदूरों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई। जिस ठेकेदार के अंदर ये सभी कार्यरत थे, उस ठेकेदार ने किचन का दरवाजा बंद कर दिया है। उसके बाद सभी मजदूर अपने पैसे से होटल में बामुश्किल खाना खा पा रहे हैं। वहीं गंदा पानी पीने की वजह से वे बीमार भी पड़ने लगे हैं। ऐसी स्थिति की जानकारी के बाद मजदूरों के परिजन काफी परेशान हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
गिरिडीह जिला अंतर्गत बगोदर प्रखंड के तारानारी गांव के भागीरथ महतो की पत्नी सुनीता देवी पति के सऊदी में फंसे होने से परेशान हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक चार साल का और दूसरा दो साल का है। वो किसी तरह से गुजारा कर रही हैं।
सुनीता ने बताया कि “मई 2023 में दूसरे गांव का एक आदमी बताया कि सऊदी में एक बड़ी कंपनी में काम है और पैसा भी बहुत अधिक है। उसने 55 हजार रुपये लिए और वहां पेपर वगैरह बनवाकर मेरे पति को ले गए। वहां जाकर मेरे पति को ठेकेदार के अंदर काम दिया गया। उस ठेकेदार द्वारा तीन महीना काम करवाने बाद केवल एक महीना का वेतन दिया गया, वह भी काफी कम।”
उन्होंने कहा कि “जब मेरे पति और उनके साथी काम करना बंद कर दिये, और बकाया पैसे की मांग की, तो पैसा देना तो दूर उनका किचन भी बंद कर दिया गया। ऐसे में सभी लोग अपने पैसे से होटल में खाने लगे। ठेकेदार द्वारा कहा जा रहा है जितना पैसा मिल रहा है उसी पर काम करो, नहीं तो काम भी करवाएंगे और पैसा भी नहीं देंगे।”
क्या यहां काम नहीं है जो विदेश जाना पड़ा? के सवाल पर सुनीता बताती हैं कि “घर परिवार की बड़ी जिम्मेदारी है। एक तो यहां काम भी कम है और पैसा भी कम है, इसलिए वहां जाना पड़ा। यहां इतनी कमाई नहीं हो पाती है कि परिवार ठीक से चल सके। वैसे किसी ने बताया था कि वहां पैसा ज्यादा मिलता है, यही सोचकर वे वहां गए, लेकिन वहां तो और खराब स्थिति है।”

उन्होंने कहा कि “यहां एक लाख से अधिक का कर्ज हो गया है। कर्ज देने वाले पैसे की मांग कर रहे हैं, खासकर ब्याज के पैसों की। ऊपर से यहां सास-ससुर सहित बच्चों की परवरिश का बोझ। लोगों से मांगकर खाना-पीना चल रहा है। यह कब तक चलेगा समझ में नहीं आ रहा है। अब तो भूखों मरने की नौबत आ गई है। कोई सुनने वाला नहीं है।”
इसी गांव के टेकलाल महतो की पत्नी जमुनी देवी बताती हैं कि “दूसरे गांव के हुलास महतो ने मेरे पति को कहा था कि सऊदी में एक कंपनी है जिसमें 45 हजार वेतन मिलेगा। उसी के कहने पर 90 हजार का कर्ज लेकर उसे 55 हजार रुपए दिया गया। वह मेरे पति और कई लोगों को सऊदी ले गया। वहां जाकर किसी कंपनी में नहीं ठेकेदार के अंदर में रखा गया जहां सात महीना काम करवाने के बाद केवल दो महीना का वेतन दिया गया, वह भी काफी कम।”
उन्होंने कहा कि “जब पति ने पूछा कि इतना कम पैसा क्यों? तो कहा गया कि इतना ही मिलेगा। इसके बाद जब बाकी का पैसा मांगा गया तो कहा गया काम करो बाद में मिलेगा। जब लोगों ने काम करना बंद कर दिया तो उनके खाने की व्यवस्था बंद कर दी गई।”
जमुनी देवी ने बताया कि “मेरे पति और बाकी लोग अपने पैसों से होटल में खाने लगे। ठेकेदार और दलाल न तो उन्हें वापस आने दे रहे हैं और न ही उन्हें पैसा दे रहे हैं, उल्टा जेल भिजवाने की धमकी दे रहे हैं। लोगों ने वाट्सएप के माध्यम से यह सारी सूचना हमलोगों को दी, तब सबकुछ पता चला है।”
उन्होने कहा कि “वहां वो लोग परेशान हैं, यहां परिवार के लोग परेशान हैं। ऊपर से जिनसे ब्याज पर कर्ज लिया गया है, जबसे उनको वहां के हालात का पता चला है, तब से वे लोग रोज मूल और ब्याज की मांग कर रहे हैं। जबकि यहां हमलोगों की भूखों मरने की नौबत आ गई है। इधर उधर से मांगकर बच्चों का और अपना पेट पालना पड़ रहा है।”
जमुनी देवी बताती है कि उनके पांच बच्चों में तीन बेटी और दो बेटे हैं। सबसे बड़ी बेटी की उम्र 17 साल हो गई है। बेटियों की शादी वगैरह में परेशानी नहीं हो, उसी को ध्यान में रखते हुए कि कुछ पैसा जमा हो जाए, सोचकर मेरे पति टेकलाल महतो सऊदी गये, मगर वहां जाकर वे फंस गए हैं, वहीं हमलोग यहां काफी परेशान हैं।

तारानारी गांव के ही अर्जुन महतो की पत्नी मीना देवी बताती हैं कि “सरगालो के हुलास महतो ने मेरे पति को फंसा दिया है। उसने ही बताया कि सऊदी अरब में एक बहुत बड़ी कंपनी है जहां 45 हजार रुपए मासिक वेतन है। ओवरटाइम का अलग से पैसा मिलता है। उसकी बात में आकर मेरे पति ने ब्याज पर कर्ज लेकर उसे 55 हजार रुपए दिए।”
उन्होने कहा कि “हुलास महतो मेरे पति को वहां ले जाकर किसी कंपनी में नहीं बल्कि किसी कंपनी का काम करने वाले ठेकेदार के यहां रखवाया। जहां सात महीना काम करवा कर दो महीना का पैसा दिया गया, वह भी काफी कम। अब उन्हें वापस लौटने भी नहीं दिया जा रहा है और न ही अधिक मजदूरी दी जा रही है।”
वो कहती हैं कि “यहां एक लाख रुपए से अधिक कर्ज हो गया है। कर्ज देने वाला रोज पैसे के लिए तकादा कर रहा है। पूरे परिवार के लोग परेशान हैं।”
मीना देवी बताती हैं उनके दो बच्चे हैं, एक 19 साल का दूसरा 11 साल का है। हमने डीसी को अपने पति को वापस लाने और बकाया पैसा दिलवाने की अर्जी दी थी तो डीसी ने आश्वासन दिया है कि पैसा दिलवा देंगे। लेकिन वो केवल आश्वासन बन कर रह गया है।
सऊदी में फंसे 45 मजदूरो में राज्य के गिरिडीह जिला अंतर्गत बगोदर प्रखंड के तारानारी के अर्जुन महतो, भागीरथ महतो, टेकलाल महतो, बेको के संतोष साव, महेश साव, कामेश्वर साव, खेतको के महेश महतो, रीतलाल महतो, विजय महतो, मुंडरो के अशोक महतो, जरमुने के सोहन कुमार, डुमरी प्रखंड अंतर्गत बरियारपुर के इंद्रदेव महतो, चैनपुर के राजेश कुमार महतो, पोड़दाग के गणेश साव, डुमरी के सुभाष कुमार, जानकी महतो, बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड अंतर्गत पोखरिया के जगदीश महतो, गोनियाटो के रामचंद्र महतो, गोमियां प्रखंड के करी के प्रदीप महतो, सीधाबारा के मनोहर महतो शामिल हैं।
वहीं हजारीबाग जिला के बिष्णुगढ प्रखंड अंतर्गत अचलजामू के सहदेव रजवार, रूपलाल महतो, करगालो के बहादुर महतो, नागेश्वर महतो, सीतल महतो, रोहित महतो, मेघलाल महतो, रंजन राज मेहता, सारूकुदर के भैरो महतो, उच्चाघाना के सुकर महतो नंदलाल महतो, लोकनाथ महतो, सुनिल महतो, बलकमक्का के तिलक महतो, थानेश्वर महतो, अम्बाटांड के महानंद पटेल, प्रमोद महतो, अनंतलाल महतो, खरकट्टो के तापेश्वर महतो, सीरय के टोकन सिंह, अलखरी के धानेश्वर महतो, नागी के चुरामन महतो, केन्दुवाडीह के भुनेश्वर महतो, जितेंद्र महतो, बरकट्ठा प्रखंड अंतर्गत गोरहर के बालगोविंद महतो शामिल हैं।
(विशद कुमार की रिपोर्ट।)
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