किसानों ने दो टूक कहा- कानूनों को स्थगित करने के सुझाव का स्वागत, लेकिन कमेटी की किसी प्रक्रिया में नहीं लेंगे हिस्सा

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नई दिल्ली। किसानों ने कृषि कानूनों को स्थगित करने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत किया है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि न तो व्यक्तिगत और न ही सामूहिक रूप से वो माननीय कोर्ट द्वारा नियुक्त किसी कमेटी की किसी प्रक्रिया में भाग लेंगे।

हालांकि किसानों ने कोर्ट द्वारा किसान आंदोलन के प्रति जताए गए सहानुभूतिपूर्ण रवैये के लिए आभार जाहिर किया है।

आधिकारिक रूप से जारी एक वक्तव्य में किसान नेताओं ने कहा है कि सरकार के रवैये और व्यवहार, जिसको आज एक बार फिर उसने कोर्ट के सामने दोबारा साफ किया है, कि वो कमेटी के सामने कानून को रद्द करने के मुद्दे पर बहस करने के लिए सहमत नहीं है।

उन्होंने बताया जैसा कि हमारे वकीलों ने कोर्ट में बार-बार इस बात को कहा कि संगठनों से बगैर संपर्क और बातचीत किए किसी भी कमेटी में भागादारी को लेकर उनके पास कोई दिशा निर्देश नहीं है। उन्होंने कहा कि कोर्ट की कार्यवाही के बाद हमारी अपने वकीलों से बात हुई जिसमें हम लोगों ने इस बात को बिल्कुल साफ कर दिया कि हम एकमत से किसी कमेटी के सामने जाने के लिए सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि सरकार के अड़ियल रवैये के चलते माननीय सुप्रीम कोर्ट शायद इस तरह की किसी कमेटी को गठित कर दे।

उन्होंने बताया कि हमारे वकीलों के साथ ही दूसरे वकीलों जिसमें हरीश साल्वे भी शामिल थे, ने भी कल फिर मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की थी। जिससे कि संगठनों से संपर्क कर उनसे उनकी राय और सलाह ली जा सके। लेकिन जैसा कि हमें बताया गया है कॉज लिस्ट में मामले के लिए कल सुबह 9 बजे का समय निर्धारित किया गया है लेकिन उसमें किसी सुनवाई की जगह माननीय कोर्ट के आदेश की घोषणी की बात कही गयी है। इस बात ने हमारे वकीलों समेत पूरे किसान समुदाय को गहराई से निराश किया है। किसान नेताओं का कहना था कि इसी वजह से इस प्रेस विज्ञप्ति को जारी करना पड़ा क्योंकि दुनिया को हमारे स्टैंड को जानना चाहिए।

प्रतिनिधिमंडल जिसने वकीलों से संपर्क किया उसमें बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शनपाल, प्रेम सिंह भंगू, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, जगमोहन सिंह शामिल हैं। वकीलों की टीम में वरिष्ठ अधिवक्ता दुश्यंत दवे, प्रशांत भूषण, कोलिन गोन्सालविस और एचएस फुल्का शामिल थे।  

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