उत्तर प्रदेश की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जमकर तांडव मचाया था। न सिर्फ गोली से कई लोगों की जान ले ली थी बल्कि बाद में घरों में भी तोड़फोड़ की थी। अब एक युवक की मौत के मामले में पुलिस के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज हुई है। नहटौर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन ऑफिसर राजेश सिंह सोलंकी समेत छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 20 साल के मो. सुलेमान की पुलिस की गोली से मौत हो गई थी। पुलिस पर प्रदर्शनकारियों की हत्या के मामले में पहली एफआईआर दर्ज हुई है। यह रिपोर्ट सुलेमान के भाई शोएब ने दर्ज कराई है। सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान बिजनौर में दो युवकों की गोली लगने से मौत हो गई थी।
एसएचओ राजेश सिंह सोलंकी, स्थानीय चौकी प्रभारी आशीष तोमर, कांस्टेबल मोहित कुमार और तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 147 (दंगा करना), 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस) और 149 के तहत केस दर्ज किया गया है।
इस बीच एसएचओ सोलंकी का ट्रांसफर जिला क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) में कर दिया गया है। बिजनौर के एडिशनल एसपी (रूरल) विश्वजीत श्रीवास्तव ने मीडिया से कहा कि सोलंकी को नहटौर पुलिस स्टेशन से स्थानांतरित कर दिया गया है। वह घायल थे और काम नहीं कर सकते थे।
इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावा किया था कि कांस्टेबल मोहित कुमार ने ‘अपनी रक्षा करने’ के लिए सुलेमान पर गोली चलाई थी। बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी ने कहा कि सुलेमान के शरीर से एक गोली मिली है। बैलिस्टिक रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि गोली मोहित कुमार की सर्विस पिस्टल से चली थी। मोहित कुमार को भी एक गोली लगी। मोहित के पेट से निकली गोली किसी देशी बंदूक से चलाई गई थी। मोहित बिजनौर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में कार्यरत है।
सुलेमान स्नातक आखिरी साल का छात्र था और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए अपने मामा के साथ नोएडा में रह रहा था। बुखार होने की वजह से वह इन दिनों नहटौर आया हुआ था। घर वालों का आरोप है कि सुलेमान नमाज अदा करने के बाद मस्जिद से लौट रहा था। तभी पुलिस वालों ने उसे रास्ते से उठा लिया और एक गली में मदरसे के पास ले जाकर गोली मार दी।
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