बिहार में राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज है। इस माहौल में आग लगने की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। राजधानी पटना से लेकर राज्य के ग्रामीण अंचलों में आग की लपटें अखबार की सुर्खियां बन रही है। अप्रैल की अंतिम सप्ताह में आग लगने की घटनाओं में तीस से ज्यादा लोगों जान जा चुकी है।
बढ़ती गर्मी और प्रचंड गर्म हवाएं की वजह से बिहार के ग्रामीण इलाकों के साथ शहर की बड़ी-बड़ी इमारतों में आग लगने की घटनाएं देखने को मिल रही है। फसल अवशेष जलाने, शॉर्ट सर्किट और खेती की जमीन पर मशीन के इस्तेमाल के कारण लगने वाली आग से जन-मानस काफी परेशान है। आग की बढ़ती घटनाओं के चलते किसानों को अपनी फसल का नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं शहर में व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
20 अप्रैल के दिन सुपौल के बीना पंचायत में रोहन कुमार का पूरा घर जलकर राख हो गया। जिसमें उनका कम से कम 3 लाख का नुकसान हुआ। रोहन बताते हैं कि “एम्बुलेंस कम से कम एक घंटा लेट से आया था। ग्रामीणों की मदद से आग बुझ गई,नहीं तो पूरा गांव जल गया होता। मुआवजा के रूप में कुछ नहीं मिला।” पछुआ मौसम के शुरुआती दौर में ही आग ने सुपौल के कई गांवों में अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है।

सूचना के मुताबिक 3 जनवरी, 2024 को सुपौल की बैरिया पंचायत के सुरती पट्टी वार्ड नं 01 में आग लगने से 6 परिवारों के घर जल गये थे। कुछ लोग गंभीर रूप से झुलस भी गए थे। फिर सुपौल स्थित सदर प्रखंड के घूरन गांव में ही एक सप्ताह के भीतर ही 300 से ज्यादा घर जलकर राख हो गये हैं। 7अप्रैल को सुपौल के वार्ड नंबर 1 में 70 घर जल गया फिर सुपौल के जदिया में 28 घर जला। सुपौल के प्रतापगंज में 50 से अधिक घर जलने की सूचना है। 2 अप्रैल को सुपौल के छातापुर स्थित माधोपुर पंचायत में लगभग 25 घर जल गये। सुपौल के राघोपुर प्रखंड स्थित दौलतपुर में दो घर जलने के अलावा कई अन्य जगह आग लगने की खबरें आई हैं।
सुपौल जैसी घटना कई जिलों में देखने को मिली है। इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी सुपौल शाखा के अभय तिवारी बताते हैं कि ” हमारी टीम सभी जगह जाकर प्रत्येक प्रभावित परिवार को तिरपाल, बाल्टी, तौलिया, हाइजीन किट, मच्छर दानी, हाफ पैंट बांटती है। अधिकांश आगलगी में ग्रामीणों की मदद से ही आग बुझी है। पहले से अग्निशमन यंत्र की स्थिति ठीक हुई है लेकिन उतनी बेहतर नहीं हुई है।”
राजधानी पटना में भी आग का कहर
इस बार आग का कहर राजधानी पटना में भी देखने को मिली। 25 अप्रैल को पटना जंक्शन के पास पाल होटल में अचानक आग लग गई। इस दुर्घटना में सात लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग जख्मी हुए, जिनका इलाज चल रहा है। कुछ दिन बाद बिहार के सूचना जनसंपर्क विभाग में भी आग लगने की खबर आई थी। 5 मई को राजधानी के कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित पटना संग्रहालय में भी आग लग गई थी। कुछ दिन पहले ही पुलिस लाइन तिराहे के समीप बुद्ध घाट पर गंगा सुरक्षा बांध के अंदर बनी झोपड़पट्टी में 50 से अधिक झोपड़ियां जल कर राख हो गए।
पाल होटल में लगी आग सरकारी नियमों पर सवाल
राजधानी पटना का सबसे व्यस्त इलाका कहे जाने वाले पटना जंक्शन से 5 मिनट की दूरी पर पाल होटल में आग लगने की वजह से छह लोगों की जान चली गई और बीस लोग घायल हो गए। इस घटना ने इलाके में सुरक्षा मानकों को लेकर चिंता पैदा कर दी है।
स्थानीय निवासी रोहित बताते हैं कि “जिस पाल होटल में आग लगी है, वो इस इलाके का नामी होटल है। पटना रेलवे स्टेशन पर उतरने वाले ज्यादातर यात्री यहीं भोजन करते हैं।

यहां बाहर में रोटी बनते हुए देखा जाता था। ऐसे में प्रशासन पर तो सवाल उठना लाजिमी है। जब आग लगी तो आग पर काबू पाने में देरी क्यों की गई?
राजधानी में दर्जनों होटल फायर सेफ्टी के नियमों का उल्लंघन करते हुए चल रहे हैं। होटल में काम कर रहे व्यक्ति के मुताबिक पाल होटल के ग्राउंड फ्लोर पर किचन में खाना बनाया जा रहा था, तभी कढ़ाई से आग की शुरुआत हुई और गैस सिलेंडर तक पहुंच गई। पटना के अन्य होटलों में अभी भी लापरवाही जारी है।

चुनावी मौसम में आग
आंकड़ों के मुताबिक 2018 तक राज्य में आग लगने से जहां तीन सौ से अधिक लोग हर साल मारे जाते थे वहीं 2020 में सिर्फ 28 लोग मरे। 2021 और 2022 में भी सौ का आंकड़ा पार नहीं हुआ। ऐसे में इस साल महज पांच दिनों में 31 लोगों की मौत शासन-प्रशासन के मुंह पर तमाचा है।
पूर्व कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार झा बताते हैं कि इस साल तापमान में अचानक बढ़ोत्तरी, दिन और रात के तापमान में अंतर का कम होना और हवाएं तेज चलने की वजह से इस तरह की समस्याएं आ रही है। गौरतलब है कि इस साल अप्रैल में ही तापमान 40 डिग्री पार कर गया। पिछले एक हफ्ते के दौरान कई जिलों में तापमान 40 डिग्री से अधिक है।
(बिहार से राहुल की रिपोर्ट)
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