थर्मल प्लांट बंद होने से दुखी एक किसान ने खुदकुशी की

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बठिंडा के गुरु नानक देव थर्मल प्लांट को बंद करने और बेचने के फैसले के विरोध में एक किसान कारकून ने खुदकुशी करके अपनी जान दे दी। मृतक जोगिंदर सिंह उर्फ भोला 56 साल के थे और भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के सक्रिय सदस्य थे। सुबह सात बजे वह प्लांट के बाहर धरने पर बैठे थे और 10 बजे मृत पाए गए। जोगिंदर सिंह यूनियन का झंडा और एक प्लेकार्ड थामे हुए थे, जिसमें लिखा था कि वह अपने प्राण इस ऐतिहासिक प्लांट को बेचने के फैसले को लेकर दे रहे हैं। इस संदेश के ऊपर गुरु नानक देव की तस्वीर लगी हुई थी। उनका पार्थिव शरीर बठिंडा सिविल अस्पताल में रखा गया और भारतीय किसान यूनियन ने धरना लगाया। मांग की कि पीड़ित परिवार को दस लाख रुपए मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी और इस प्लांट को बेचा नहीं जाए बल्कि दोबारा शुरू किया जाए।              

जिक्र-ए-खास है कि जोगिंदर सिंह को हाल में तब काफी चर्चा हासिल हुई थी जब उन्होंने पद्मश्री हजूरी रागी भाई निर्मल सिंह की कोरोना वायरस से हुई मौत के बाद, अमृतसर स्थित वेरका श्मशान घाट में उनका संस्कार स्थानीय बाशिंदों द्वारा न करने दिए जाने का तीखा विरोध किया था और घोषणा की थी कि वह उन कोरोना संक्रमितों का दाह संस्कार करेंगे जिनके लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।                  

गौरतलब है कि बठिंडा थर्मल प्लांट विभिन्न वजहों से न केवल स्थानीय बाशिंदों बल्कि पूरे मालवा के लोगों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है। यह पंजाब के मालवा क्षेत्र की पहली बड़ी पहचान रहा है और इसने मुद्दतों तक इलाके को बिजली मुहैया कराई। सो बहुतेरे लोग इसे बंद करने और इसकी जमीन बेचने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं लेकिन राज्य सरकार मंत्रिमंडल में बाकायदा प्रस्ताव पारित कराकर फैसला ले चुकी है। आए दिन अलग-अलग किसान, सामाजिक और सियासी संगठन राज्य सरकार के फैसले का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। विरोध में खुदकुशी का यह पहला दर्दनाक मामला है।                                         

खुदकुशी करने वाले किसान जोगिंदर सिंह के बेटे कुलविंदर सिंह ने बताया कि, “मेरे पिता एक बहुत ही संवेदनशील और भावुक इंसान थे। वह हजूरी रागी पद्मश्री निर्मल सिंह के अंतिम संस्कार के मामले में भी बेहद दुखी हो गए थे। पंजाब सरकार ने जब से बठिंडा का गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बेचने की घोषणा की है वह तभी से इसका विरोध कर रहे थे। वह मालवा के हर जिले में भारतीय किसान यूनियन के धरना-प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर शिरकत करते थे। एक दिन पहले संगरूर में तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ उन्होंने धरने में हिस्सा लिया था और अगले दिन बठिंडा में प्लांट को बेचने के खिलाफ।”            

बहरहाल, जोगिंदर सिंह की आत्महत्या कई सवाल उठाती है। सरकार की चुप्पी बताती है कि उसे इस खुदकुशी से कोई मतलब नहीं और यही उसका जवाब है! इस बीच अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के किसान संगठन के अध्यक्ष सिकंदर सिंह मलूका ने कहा है कि जोगिंदर सिंह की खुदकुशी संत फतेह सिंह फेरूमन के बाद सबसे बड़ी और ऐतिहासिक कुर्बानी है। मलूका ने जोगिंदर सिंह की याद में एक बड़ी यादगार स्थापित करने की घोषणा की। साथ ही यह मांग भी रखी कि बठिंडा थर्मल प्लांट की जमीन को बेचने का फैसला सरकार फौरन वापस ले। उधर, भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के जिला बठिंडा अध्यक्ष शिंगारा सिंह मान कहते हैं कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जाए और सब एकजुट होकर संघर्ष करें कि थर्मल प्लांट को दोबारा शुरू किया जाए ताकि जबरन बेरोजगार कर दिए गए लोगों को नौकरी मिले तथा मालवा की पहचान कायम रहे। उन्होंने कहा कि यकीनन जोगिंदर सिंह ने पहचान कायम रहने के लिए अमूल्य कुर्बानी दी है।

(पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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