रांची। राजधानी रांची के लोयोला ट्रेनिंग सेंटर में आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए वर्जिनियस खाखा ने पिछले दो सौ साल में आदिवासी क्षेत्रों में घटित हुए विद्रोहों और आंदोलनों का ज़िक्र करते हुए उनके सामाजिक और राजनीतिक उत्पत्ति के संदर्भ और सीख का वर्गीकरण करते हुए कहा कि “देश और समाज के घटनाक्रमों में क्यों हम अपना समुचित प्रभाव नहीं बना पाए? क्योंकि आदिवासियों के तथाकथित हित को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जो कदम उठाए जाते रहे हैं, उनमें आदिवासियों के हितधारकों (stakeholders) उनके शुभचिंतकों से उनके वास्तविक हित को लेकर विस्तृत विचार विमर्श किया ही नहीं जाता है, यही वजह है कि उनका वांछित लाभ आदिवासियों को नहीं मिला।”
खाखा ने आगे कहा कि “ज़्यादातर परिकल्पना तो आधे मन से ही लागू किये गये, उनके कार्यान्वयन में भी लाभुकों को शामिल नहीं किया गया। कुल मिलाकर राजनेताओं और नौकरशाहों का परोक्ष उद्देश्य यही रहा कि आदिवासी इलाक़ों के जल, जंगल, ज़मीन और खनिजों का दोहन कैसे किया जाय और इस प्रक्रिया में यदि बड़ी संख्या में आदिवासी विस्थापित होते हैं, आजीविका विहीन हो जाते हैं तो उसकी परवाह भी दिखावे भर के लिए ही किया जाय।”
इस अवसर पर वर्जिनियस खाखा ने आदिवासी युवा, युवतियों और बुद्धिजीवियों का आह्वान किया कि “वे अपने और समूह के भविष्य के लिए वर्तमान हितों से ऊपर उठ कर इस समस्याओं का गहन अध्ययन करें, समाधानों/ विकल्पों की खोज करें और अन्य वंचित समुदायों, महिलाओं के साथ जिनकी बेदख़ली भी इसी दर्जे की है, संघर्ष की तैयारी करें। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसे तेज़ी से आगे ले जाना है।”

उन्होंने आयोजकों का इस विषय पर गोष्ठी रखने के लिए साधुवाद दिया।
पुणे विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर से पीएचडी करने वाले वर्जिनियस खाखा की विशेषज्ञता जनजातीय अध्ययन, विकास अध्ययन, कृषि सामाजिक संरचना और श्रम अध्ययन में है। वर्जिनियस खाखा जो वर्तमान में मानव विकास संस्थान (आईएचडी), नई दिल्ली में विजिटिंग प्रोफेसर हैं।
बता दें कि पीयूसीएल (PUCL) और बग़ैचा संस्था द्वारा संयुक्त रूप से ‘फ़ादर स्टेन स्वामी मेमोरियल व्याख्यानमाला’ का आयोजन रांची में की जाती रही है। इसी शृंखला में 14 जुलाई का कार्यक्रम तीसरा व्याख्यानमाला था। व्याख्यानमाला का विषय था ‘आदिवासियों और उनके राजनीति का सामाजिक और आर्थिक भविष्य’।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफ़ेसर ज़्याँ द्रेज ने की। सभा में झारखंड के बुद्धिजीवी, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र, महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं।
स्वागत संदेश बग़ैचा की मिस लीना ने दिया। पीयूसीएल के महासचिव अरविंद अविनाश ने संस्था के कार्यकलाप व व्याख्यानमाला के उद्देश्य के बारे में जानकारी साझा की, साथ ही फ़ादर स्टेन स्वामी के पीयूसीएल से दो दशकों के जुड़ाव व लगाव के बारे में सभा को बताया। बग़ैचा के वर्तमान निदेशक फ़ादर टोनी ने फ़ादर स्टेन स्वामी के जीवन और कार्य के बारे में, विशेष कर झारखंड के आदिवासियों के मुद्दों पर तीन दशकों तक किए गए उनके अनवरत संघर्ष व मार्गदर्शन पर प्रकाश डाला। फ़ादर टोनी से बग़ैचा संस्थान के परिकल्पना और झारखंड के मजलूमों, वंचितों के लिए चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यों का भी ज़िक्र किया। पीयूसीएल के झारखंड के उपाध्यक्ष फ़ादर डेविड सोलोमोन ने व्याख्यानमाला के इस कड़ी के मुख्य वक्ता वर्जिनियस खाखा जी का संक्षिप्त परिचय दिया।
प्रोफ़ेसर ज़्याँ द्रेज ने सवाल – जबाब सत्र का संचालन किया और अपने अध्यक्षीय समापन वक्तव्य में व्याख्यान के विषय पर और झारखंड के वर्तमान स्थिति पर संक्षिप्त में अपने विचार रखे। पीयूसीएल के सचिव अनिल अरुण ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सत्र का संचालन भारत भूषण चौधरी ने किया।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)
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