देशव्यापी टीकाकरण अभियान विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए शुरू हुआ। एक दिन में सबसे ज्यादा टीके दिए गये। यह कीर्तिमान रोमांचित करने वाला और देश का गौरव बढ़ाने वाला है। लेकिन, इस कीर्तिमान के ठीक एक दिन पहले देशभर में कितने टीके लगे?- महज 33 लाख 43 हजार।
अगर आपको देश में डबल इंजन की सरकारों वाले प्रदेश में टीकाकरण अभियान के दिन और उससे ठीक पहले वाले दिन टीके दिए जाने के आंकड़े साझा करें तो आप हैरान हो जाएंगे। देश में डबल इंजन की 11 सरकारों ने 21 जून के दिन 53 लाख 33 हजार 732 लोगों को वैक्सीन के डोज दिए। लेकिन, यह भी सच है कि ऐसा करने के लिए एक दिन पहले टीकाकरण का अभियान लगभग रोक दिया गया।
20 जून को इन्हीं डबल इंजन की सरकारों वाले प्रदेश ने सब मिलाकर महज 5 लाख 33 हजार 948 लोगों को टीके दिए। 21 जून के मुकाबले यह दस गुणा कम है! स्वाभाविक प्रश्न है कि टीकाकरण का अभियान अधिक से अधिक लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाने के लिए है या फिर रिकॉर्ड बनाने और दिखाने के लिए इसकी गति में ब्रेक भी लगा दिया जाए तो वह सही है?
इमेज बनाने के लिए रोक दी वैक्सीन की रफ्तार?
ऐसा क्यों किया गया? क्या ऐसा करने से केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार और उसके मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बेहतर हो जाएगी? केंद्र ही क्यों प्रदेश की बीजेपी सरकारें और उनके मुख्यमंत्रियों की छवि की भी चिंता इस पहल में छिपी हो सकती है।
टीकाकरण अभियान के ठीक अगले दिन 22 जून को डबल इंजन की सरकारों की वैक्सीन देने की क्षमता में आश्चर्यजनक गिरावट देखी गयी। यह क्षमता लगभग आधी होकर 53.7 फीसदी रह गयी। 22 जून को 28 लाख 67 हजार 469 लोगों को बीजेपी के नेतृत्व वाली इन 11 सरकारों ने वैक्सीन दी।
एक दिन पहले कम वैक्सिनेशन से बना 21 जून का विश्वरिकॉर्ड!
प्रदेश 22 जून 21 जून 20 जून
मध्य प्रदेश 52,428 16,96,081 1,863
उत्तर प्रदेश 8,62,570 7,29,379 20,818
गुजरात 4,36,74 5,11,340 1,98,883
कर्नाटक 4,29,573 11,25,180 90,376
असम 2,61,312 3,64,205 35,733
उत्तराखण्ड 1,22,061 1,20,061 14,337
हिमाचल प्रदेश, 1,21,400 99,029 1122
कर्नाटक 4,29,573 11,25,180 90,376
त्रिपुरा 1,91,371 1,51,363 22,892
गोवा 15,004 15,760 12,864
मणिपुर 4,043 6,616 540
हरियाणा 1,23,482 5,01,013 41,807
अरुणाचल प्रदेश 10,978 13,705 2,337
कुल 28,67,469 53,33,732 5,33,948
20 जून को टीकों का अकाल : एमपी में 1863, हिमाचल में 1122 टीके लगे
देश में एक दिन में सबसे ज्यादा वैक्सीन देने का रिकॉर्ड मध्यप्रदेश ने बनाया। यहां 21 जून को 16 लाख से ज्यादा वैक्सीन दी गयी। मगर, ठीक एक दिन पहले 20 जून को मध्यप्रदेश महज 1863 लोगों को वैक्सीन दे पाया। यह चौंकाने वाला आंकड़ा है! 20 जून को केवल हिमाचल (1122 डोज) और मणिपुर (540 डोज) से आगे रहा था मध्यप्रदेश। कीर्तिमान तोड़ने की मध्यप्रदेश की यह क्षमता हैरान करने वाली है!
हिमाचल प्रदेश का आंकड़ा हैरतअंगेज है। यहां 20 जून को महज 1122 लोगों को वैक्सीन दी गयी जबकि अगले दिन 90 हजार से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी गयी। 21 जून के मुकाबले एक दिन पहले 98.75 प्रतिशत कम वैक्सीन देने का मकसद क्या है?
यूपी, गुजरात, कर्नाटक, मणिपुर, हरियाणा में चौंकाने वाले आंकड़े
उत्तर प्रदेश में 20 जून को महज 20,818 लोगों को वैक्सीन की डोज दी गयी थी लेकिन अगले दिन 7.29 लाख लोगों को वैक्सीन दी गयी। वैक्सिनेशन में यह छलांग स्वाभाविक नहीं है। क्या सिर्फ रिकार्ड बनाने के लिए वैक्सिनेशन की गति कम कर दी गयी? यह सवाल गुजरात में भी उठता है ढाई गुणा से ज्यादा वैक्सीन की डोज 20 जून के मुकाबले 21 जून को दी गयी।
कर्नाटक, मणिपुर और हरियाणा में यह छलांग 12 गुणा से ज्यादा रही। वैक्सिनेशन में यह फर्क इसी अवधि में असम में 10 गुणा, उत्तराखण्ड में 8 गुणा, त्रिपुरा में 7 गुणा और अरुणाचल प्रदेश में 6 गुणा देखा गया। गोवा में सवा गुणा से ज्यादा वैक्सिनेशन हुआ। (देखें ग्राफिक्स)
देशभर में 21 जून को 62% टीके अधिक लगे
कोविड19इंडिया.ओआरजी के आंकड़े के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर 21 जून को 87 लाख 29 हजार 303 लोगों को वैक्सीन दी गयी। ठीक एक दिन पहले यह आंकड़ा 33 लाख 43 हजार 326 था और ठीक एक दिन बाद 58 लाख 73 हजार 310 रह गया।
20 और 21 जून के आंकड़ों की तुलना करें तो एक दिन में ही वैक्सीन देने में 53 लाख 85 हजार 977 का उछाल आया। प्रतिशत रूप में यह उछाल 62 फीसदी से ज्यादा होता है। लेकिन सिर्फ बीजेपी शासित डबल इंजन से संचालित प्रदेशों में यह उछाल 898 फीसदी से ज्यादा का रहा। इस उछाल के पीछे की असली वजह है वैक्सिनेशन को जानबूझकर कम कर देना।
रिकॉर्ड टीकाकरण अभियान वाले दिन टीके का डोज पिछले दिन की तुलना में 10 गुणा बढ़ जाना और फिर अगले दिन आधा हो जाना वास्तव में इस रिकॉर्ड पर बड़ा सवाल है। टीकाकरण का प्रबंधन रिकॉर्ड बनाने के लिए हुआ हो तो इससे न रिकॉर्ड की गरिमा रह जाती है और न ही टीकाकरण का मकसद ही पवित्र रह जाता है। यह घटना ऐसी है जो हमेशा सवाल बनकर मोदी सरकार के सामने पेश होती रहेगी।
(प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल आपको विभिन्न चैनलों पर बहसों के पैनल में देखा जा सकता है।)
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