कल आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा सरकार के प्रस्ताव को खारिज किये जाने के बाद आज फिर केंद्र सरकार की ओर से किसान संगठनों को वार्ता के लिए दिन तारीख मुकर्रर करने का पत्र भेजा गया है।
केंद्र सराकर द्वारा आज भेजे गये पत्र के पहले भाग में डिवीजन की नीति पर सफाई देते कहा गया है कि “ 20.12.2020 को लिखे गये पत्र में भी यह स्पष्टतया उल्लेख किया गया था कि आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाये गये सभी मौखिक एवं लिखित मुद्दों पर सरकार सकरात्मक रुख अपनाते हुए वार्ता करने के लिये तैयार है। अब तक हुई सभी वार्ताओं में किसान यूनियन के प्रतिनिधियों द्वारा कई बार उल्लेखित किया गया था कि सरकार द्वारा आमंत्रण तथा संबोधन सभी संगठनों को पृथक-पृथक किया जाये। आपके द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि श्री दर्शन पाल जी द्वारा लिखा गया पत्र संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से लिखा गया था इस स्पष्टीकरण के लिए मैं आभारी हूँ।
भारत सरकार के लिए देश के सभी किसान संगठनों से वार्ता करने का रास्ता खुला रखना आवश्यक है। देश के अनेक स्थापित किसान संगठनों एवं किसानों की आदरपूर्वक बात सुनना सरकार का दायित्व है। संयुक्त किसान मोर्चा के अंतर्गत आंदोलनकारी समस्त किसान यूनियनों के साथ सरकार द्वारा बहुत ही सम्मानजनक तरीके से और खुले मन से कई दौर की वार्ता की गई है और आगे भी आपकी सुविधा अनुसार वार्ता करने की पेशकश की है।”
पत्र के अगले हिस्से में बिजली विधेयक को किसान आंदोलन का हिस्सा बनाये जाने को अतर्कसंगत ठहराते हुए कहा गया है कि “ आपके द्वारा सरकार के लिखित प्रस्ताव के संबंध में यह आपत्ति की गयी है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया। पूर्व के पत्रों में यह स्पष्ट उल्लेख था कि 03.12.2020 को हुई वार्ता में जितने मुद्दों को चिन्हित किया गया था उन सभी मुद्दों के संबंध में लिखित प्रस्ताव दिया गया था। फिर भी दिनांक 20.12.2020 के पत्र में यह उल्लेख किया गया था कि कोई अन्य मुद्दा भी है तो उस पर भी सरकार वार्ता करने को तैयार है।”
पत्र में आगे कहा गया है कि “ कृषि सुधार से संबंधित तीनों क़ानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद से कोई संबंध नहीं है और न ही इन तीनों कानूनों के आने से पूर्व से जारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी व्यवस्था पर कोई प्रभाव है। इस बात का उल्लेख वार्ता के हर दौर में किया गया और यह स्पष्ट किया गया कि सरकार न्यूनतम समर्थन पर खरीदी की वर्तमान व्यवस्था के लागू रहने के संबंध में लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
इस विषय में कोई नई मांग रखना जो नये कृषि क़ानूनों से परे है, उसका वार्ता में सम्मिलित किया जाना तर्कसंगत प्रतीत नहीं लगता है, फिर भी जैसा पूर्व में उल्लेख किया गया है, सरकार आपके द्वारा उठाये गए सभी मुद्दों पर वार्ता के लिये तैयार है। ”
पत्र के आखिर में कहा गया है कि “ आप कृपया अपनी सुविधा अनुसार तिथि एवं समय बतायें। इसके साथ ही जिन मुद्दों पर वार्ता करना चाहते हैं उन मुद्दों का विवरण दें। यह वार्ता आपके द्वारा बताये गये समय एवं तिथि में विज्ञान भवन नई दिल्ली में मंत्री स्तरीय समिति के साथ आयोजित की जायेगी।”
पत्र भारत सरकार के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल के हस्ताक्षर के साथ निर्गत किया गया है।
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