वाराणसी। बेमौसमी बारिश और आँधी-तूफान ने उत्तर प्रदेश के करोड़ों किसानों को भारी नुकसान पहुँचाया है। जलवायु परिवर्तन, सरकारी नीतियों की खामियाँ और बारिश, आँधी, तूफान, सूखा, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में किसान अग्रणी मोर्चे पर हैं। खरीफ सीजन में सूखा, बाढ़ और उर्वरक की कमी से जूझने के बाद रबी सीजन की फसलों से किसानों को कुछ उम्मीद थी। लेकिन मार्च के अंत और अप्रैल के दूसरे सप्ताह में हुई बारिश-तूफान ने उनकी इस उम्मीद पर गहरा आघात पहुँचाया। आकाशीय बिजली गिरने से 23 लोग काल के गाल में समा गए। अपने सगे-संबंधियों की अकाल मृत्यु ने सैकड़ों परिवारों में शोक और दुख भर दिया, वहीं फसलों के बर्बाद होने से देश के सबसे बड़े सूबे के अन्नदाता मुश्किल में पड़ गए हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि वैज्ञानिक और तकनीकी युग में भी किसान, उनके खेत और खेतों में खड़ी फसलें आज भी “मौसम की कठपुतली” बनी हुई हैं। मौसमी आपदाओं से फसलों के नुकसान को रोकना और किसानों की जान बचाना अभी भी सरकारों और राजनीतिक दलों के एजेंडे में शामिल नहीं है। उत्तर प्रदेश में मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अलावा जमीनी स्तर पर कोई ठोस प्रयास नजर नहीं आता।

पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में गुरुवार को दोपहर में आए तूफान और बारिश से किसानों और आम नागरिकों को काफी नुकसान झेलना पड़ा। बेमौसम बारिश और आँधी ने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को धराशायी कर दिया, और भीगने के कारण कटाई-मड़ाई पर रोक लग गई। बारिश की वजह से रबी फसलों को 15-20 प्रतिशत नुकसान होने की आशंका है। बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में ओलावृष्टि से हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गई। अब किसानों को चिंता सता रही है कि यदि मौसम जल्द साफ नहीं हुआ, तो उनकी खून-पसीने की कमाई हाथ से निकल जाएगी।
उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और बिजली गिरने की घटनाओं में गुरुवार को 49 लोगों की जान चली गई। यूपी में 23, बिहार में 25 और हरियाणा के रेवाड़ी में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई। झारखंड में वज्रपात से चार लोग घायल हुए। इस बीच, केंद्रीय मौसम विज्ञान विभाग ने बारिश और गर्मी को लेकर अलर्ट जारी किया है। विभाग ने कई राज्यों में 12 अप्रैल तक भारी बारिश की चेतावनी दी है।

प्रदेश में गेहूं, जौ, चना, मसूर, अरहर, अलसी, मटर और सरसों की फसलें इन दिनों पूरी तरह पककर खेतों में तैयार हैं। पश्चिमी विक्षोभ के कारण वातावरण में अस्थिरता से इनके भंडारण पर संकट मंडराने लगा है।
चंदौली जनपद के बरहनी विकासखंड में गरज-तड़क के साथ हुई बारिश ने गरीब किसान-मजदूरों को मुसीबत में डाल दिया। बारिश और तेज हवा से कृष्णानंद का बांस-तिरपाल का मकान उखड़कर धराशायी हो गया। पास में ही पेड़ गिरने से उनके मवेशी को चोट लगी। कृष्णानंद “जनचौक” को बताते हैं, “मैं किसी तरह बंटाई पर खेत लेकर और बकरी-मवेशी पालकर परिवार का पेट भरता हूँ। आँधी से मेरा छप्पर गिर गया है, जिसे दोबारा तैयार करने के लिए दो हजार रुपये की व्यवस्था करनी पड़ेगी। अभी तक कोई अधिकारी हमारे नुकसान का सर्वे करने नहीं आया।”

धानापुर विकास खंड के प्रहलादपुर गाँव में तेज आँधी और बारिश से पहलवान मौर्य (68) की गारा-ईंट की दीवार ढह गई। वहीं, विकास बिंद, पुत्र रामराज बिंद, का करकट आकाशीय बिजली गिरने से फट गया। किसी तरह लोगों ने अपनी जान बचाई।
संजय निषाद (40) ने दस बीघा जमीन लीज पर ली थी। लेकिन आज, जब उनकी फसल कटाई के लिए तैयार थी, उसे बर्बाद होते देखना उनके लिए आसान नहीं है। वह इस नुकसान से बेहद परेशान हैं। कल तक लहलहाती फसल से चमकती उनकी आँखें अब तूफान के बाद उदास और चेहरे पर निराशा लिए हैं।
“मैंने इस दस बीघे जमीन पर गेहूं की खेती में अब तक अस्सी हजार रुपये खर्च किए थे। यह मेरी जमीन नहीं थी; मैंने इसे छह हजार रुपये प्रति बीघा की दर से लीज पर लिया था। 10 अप्रैल, गुरुवार को दोपहर में चमक-गरज के साथ बारिश और करीब एक घंटे तक तेज रफ्तार से चली हवा ने गेहूं की लहलहाती फसल को खेतों में बिछा दिया। मेरे साथ गाँव के दर्जनों किसानों की रबी फसल को तूफान और बारिश ने बेरहमी से रौंद दिया,” चंदौली जनपद के मानिकपुर सानी निवासी संजय निषाद ने ‘जनचौक’ से शिकायत करते हुए बताया।

निषाद आगे कहते हैं, “मैंने अपनी सारी खरीफ की बचत, लगभग अस्सी-नब्बे हजार रुपये, खेत लीज पर लेने और बीज, सिंचाई, जुताई, परिश्रम, खरपतवार नाशक के उपयोग पर इस उम्मीद में खर्च की थी कि इस साल मुझे अच्छा मुनाफा होगा। मैं सूखे और कीटों के हमलों से अपनी फसल बचाने में कामयाब रहा। लेकिन बेमौसमी बारिश और तूफान ने मेरे परिवार पर कहर बरपा दिया। अब परिवार को खिलाने लायक अनाज की कटाई भी पिछड़ने लगी है।”
क्या कहते हैं सरकारी आँकड़े?
रबी सीजन 2024-25 में चंदौली जनपद में कृषि विभाग ने 1,15,037 हेक्टेयर में गेहूं की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था। उत्पादन 3,81,745 टन और उत्पादकता 33.18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखी गई थी। लेकिन हाल के दिनों में तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। यदि आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ा, तो गेहूं की फसल को नुकसान होगा ही, साथ ही गेहूं की बालियाँ कमजोर होने से उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। अब बेमौसम बारिश ने कृषि विभाग के आँकड़ों का हिसाब बिगाड़ दिया है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभय दीप गौतम के अनुसार, जनपद में गेहूं की बुआई देर से हुई है। यदि तापमान में और वृद्धि हुई, तो फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। दाने कमजोर होने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।
घाटे में सब्जी की खेती
प्रगतिशील किसान संजय कुमार कहते हैं, “चालीस हजार रुपये कर्ज लेकर और कुल साठ हजार रुपये की लागत लगाकर मैंने जैसे-तैसे सब्जी के फार्महाउस को पटरी पर लाया था। इन दिनों सब्जियों के दाम बहुत कम मिल रहे हैं। किसी तरह लागत निकाली जा रही थी, लेकिन बारिश ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। बारिश से मेरी पूरी सब्जी की फसल, यानी खीरा और खरबूजा, बर्बाद हो गई। अब लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है।”

कुमार आगे बताते हैं, “आँधी-पानी के कारण खेतों में पानी भरने से सब्जियाँ सड़ने की कगार पर हैं। बारिश की वजह से सब्जियों के फूल और फल झड़ गए। डालियाँ और लताएँ आपस में उलझकर सूखने लगी हैं। कीटों का हमला बढ़ गया है। फंगस और सुंडी के कारण सब्जियों में उकठा रोग की शिकायत भी बढ़ रही है। इन समस्याओं से सब्जी उत्पादन पर बुरा असर पड़ रहा है। बेमौसम बारिश ने फसलों को जो नुकसान पहुँचाया है, उसकी भरपाई करना मुश्किल है।”
किसान दीनदयाल कहते हैं, “बारिश की वजह से खेतों में लगी सब्जी की फसल कीचड़ से सन गई है। तेज हवा के झोंकों ने सब्जी की टहनियों को उलट-पलट दिया, जिससे पौधों में लगी कलियों को नुकसान हुआ है।”
धीरे-धीरे हाशिए पर जा रहे किसान: श्रवण कुशवाहा
अखिल भारतीय किसान महासभा के चंदौली जिलाध्यक्ष श्रवण कुशवाहा ने बताया, “रबी सीजन में गेहूं, तिलहन में सरसों और दलहन में चना, मटर व मसूर की फसल बर्बाद हो गई है। चंदौली, सोनभद्र, वाराणसी, गाजीपुर, मिर्जापुर, मऊ, भदोही, बलिया, आजमगढ़ समेत पूरे सूबे के किसानों की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। सरकार द्वारा घोषित मुआवजा राशि से किसान असंतुष्ट हैं।”

“इस मुआवजे से न तो खाद, बीज, जुताई, मड़ाई का खर्च निकल पाएगा और न ही लीज का कर्ज उतारा जा सकेगा। एक एकड़ में दस हजार रुपये की लागत आ रही है। ऐसे में किसान नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे? मौसम की बेरुखी और सरकारी योजनाओं की उपेक्षा के कारण किसान धीरे-धीरे हाशिए पर जा रहे हैं।”
फिरोजाबाद में बिजली गिरने से महिला की मौत
फिरोजाबाद जिले में गुरुवार सुबह तेज गड़गड़ाहट के साथ बारिश हुई। बिजली गिरने से ललिता (30), पत्नी धर्मेंद्र, झुलसकर मृत्यु हो गई। ललिता जब उपलों को ढकने के लिए घर से बाहर निकली थीं, तभी यह हादसा हुआ। घटना से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा है।
बारिश की वजह से मझधार में फँसे अन्नदाता
प्रदेश में अचानक बदले मौसम ने अन्नदाताओं की चिंता बढ़ा दी है। करोड़ों किसानों की गेहूं की फसल खेतों में कटाई के लिए तैयार है। बारिश और तेज हवाओं के कारण फसलों के खराब होने की आशंका बनी हुई है। आम के पेड़ों पर छोटे-छोटे फल लगे हैं, जिन्हें तेज हवाओं ने नुकसान पहुँचाया है। आम के बागवानों को भी काफी क्षति हुई है।
मौसम विभाग ने पहले ही किया था आगाह
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 7, 8 और 9 अप्रैल को गर्मी अपने तेवर दिखाएगी, लेकिन इसके बाद मौसम करवट लेगा। अगले तीन दिनों तक गर्मी से राहत के आसार हैं। यही वजह रही कि आगरा में बुधवार को तेज धूल भरी हवा चली। 12 अप्रैल तक तापमान में दो से तीन डिग्री की गिरावट की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण प्रदेश के कई जिलों में मौसम ने करवट ली है।
अभी और हो सकती है बारिश
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों तक मौसम ऐसा ही बना रहेगा। उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आँधी चलने, गरज-चमक के साथ बारिश होने और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की गई है।
यूपी के 45 जिलों में बिजली गिरने का अलर्ट
उत्तर प्रदेश के चंदौली, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, प्रतापगढ़, संतकबीरनगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहाँपुर, संभल, बदायूँ और आसपास के इलाकों में मौसम विभाग ने बिजली गिरने का अलर्ट जारी किया है।
यूपी में दो दिन चलेंगी तेज हवाएँ
मौसम विभाग ने चंदौली, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत और शाहजहाँपुर में तेज हवाएँ चलने का अलर्ट जारी किया है।
निष्कर्ष
कृषि प्रधान राज्य उत्तर प्रदेश में किसान खेती और पशुपालन से होने वाली आय से परिवार का भरण-पोषण, शिक्षा, वस्त्र, शादी-विवाह, इलाज, यात्रा-तीर्थ और अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। ऐसे में रबी फसल का नुकसान उनके लिए बड़ा झटका है। यह स्वाभाविक है कि अब किसान और इस पेशे से जुड़े लोग कर्ज व गरीबी के चक्रव्यूह से निकलने में मुश्किलों का सामना करेंगे। सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि पीड़ितों की आर्थिक क्षतिपूर्ति कर उनके जीवन को पटरी पर लाने का ईमानदार प्रयास करे।
हालाँकि, सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आँधी-बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित जिलों के अधिकारियों को राहत कार्य संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “अधिकारी क्षेत्र का भ्रमण कर सर्वे करें और प्रभावितों को राहत राशि का वितरण करें, साथ ही घायलों का उपचार कराएँ।” अब देखना होगा कि नौकरशाही आँधी-तूफान से पीड़ित करोड़ों किसानों के नुकसान का सर्वे ईमानदारी से करती है या यह प्रयास केवल कागजी घोड़े दौड़ाने तक सीमित रह जाएगा।
(पवन कुमार मौर्य स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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