प्रयागराज। महाकुंभ में 30 जनवरी, गुरुवार को एक बार फिर भीषण आग लगने की घटना सामने आई, जिससे श्रद्धालुओं के बीच हड़कंप मच गया। यह हादसा सेक्टर-22 के झूसी इलाके में स्थित नागेश्वर पंडाल में हुआ, जहां दोपहर करीब पौने दो बजे अचानक आग की तेज लपटें उठने लगीं।
कुछ ही मिनटों में आग ने विकराल रूप ले लिया और चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। घटना की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आग की लपटें दूर से भी साफ देखी जा सकती थीं।
हालांकि, राहत की बात यह रही कि सभी लोग समय रहते टेंट से बाहर निकलने में सफल रहे और किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। लेकिन, इस आगजनी में करीब 15 टेंट जलकर राख हो गए और लाखों रुपये का सामान खाक हो गया। घटना की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और करीब 48 मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया।

महाकुंभ मेले में आग लगने की यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले एक महीने में ही तीन से चार बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की सतर्कता पर सवाल अब भी बरकरार हैं। साल 2019 के अर्धकुंभ में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जिसमें 20 से ज्यादा टेंट जलकर राख हो गए थे। उस समय भी शॉर्ट सर्किट को आग लगने का कारण बताया गया था।
आग कैसे लगी? जांच के आदेश
अभी तक आग लगने के पीछे शॉर्ट सर्किट की आशंका जताई जा रही है, लेकिन अधिकारी किसी भी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। फॉरेंसिक टीम और प्रशासनिक अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है और एक विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
मुख्य मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने कहा कि, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। जो भी इस हादसे के लिए जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
मेला पुलिस अधिकारी सीओ प्रमोद शर्मा ने दावा कि आग अनधिकृत रूप से स्थापित किए गए टेंटों में लगी थी, जो सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे थे। क्षेत्रीय एसडीएम ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस इलाके में टेंटों की स्थापना में गड़बड़ियां थीं और बिना किसी अनुमोदन के पंडाल लगाए गए थे।
चमनगंज चौकी के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में लगी आग के मामले में लोकल पुलिस जांच कर रही है और यह देखा जा रहा है कि कहीं कोई लापरवाही तो नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार, नागेश्वर पंडाल में कई अस्थायी दुकानें, साधु-संतों के ठिकाने और श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था थी। आग लगने से इन सभी का काफी नुकसान हुआ।
इस हादसे के दौरान दमकल विभाग को घटनास्थल तक पहुंचने में काफी कठिनाई हुई। टेंटों के बीच संकरे रास्तों और अव्यवस्थित निर्माण की वजह से दमकल की गाड़ियां समय से नहीं पहुंच सकीं। हालांकि, दमकल कर्मियों ने तेजी से काम किया और आग पर नियंत्रण पा लिया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई डरावनी कहानी
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग इतनी तेजी से फैली कि कई लोग अपना सामान भी नहीं बचा पाए। श्रद्धालु मोहन तिवारी, जो नागेश्वर पंडाल में ठहरे हुए थे, ने कहा, “हम खाना खा रहे थे, तभी अचानक धुआं उठता दिखा। जब तक समझ पाते, आग पूरी तरह फैल चुकी थी। लोग चिल्ला रहे थे और भागने लगे। शुक्र है कि किसी की जान नहीं गई, लेकिन सामान सबका जल गया। प्रशासन को पहले ही सुरक्षा के बेहतर इंतजाम करने चाहिए थे।”
श्रद्धालु संजय वर्मा, जो सेक्टर-22 में ही ठहरे हुए थे, ने बताया कि, “हमें अचानक धुएं की गंध आई। जब बाहर निकले, तो देखा कि आग की लपटें तेजी से बढ़ रही थीं। आग बुझाने के लिए आसपास के लोगों ने पानी डालने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।”
सेक्टर-22 में ठहरे श्रद्धालु अजय शुक्ला ने बताया कि, “हर बार यही होता है। आग लगती है, प्रशासन जांच के आदेश देता है, लेकिन कुछ नहीं बदलता। अगर समय रहते पुख्ता इंतजाम किए जाएं तो ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।”
दमकल विभाग की गाड़ियों को घटनास्थल तक पहुंचने में कठिनाई हुई, क्योंकि टेंटों के बीच संकरी गलियां थीं और रास्ता अवरुद्ध था। अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस समस्या की जानकारी पहले भी दी गई थी, लेकिन इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
महाकुंभ मेले में तीसरी बार अगलगी की घटना हुई है, जो सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलती नजर आ रही है। श्रद्धालुओं में इस बात को लेकर आक्रोश है कि प्रशासन ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए। कई लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
घटना के बाद प्रशासन ने श्रद्धालुओं से शांति बनाए रखने की अपील की है। महाकुंभ मेले के आयोजन समिति के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, “हमने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए हैं, लेकिन यह एक अप्रत्याशित घटना थी। प्रभावित लोगों को अस्थायी टेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।”
इस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन ने कहा कि वे जल्द ही पूरे मेले क्षेत्र में फायर सेफ्टी ऑडिट कराएंगे ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
11 दिन पहले भी लगी थी आग
यह पहली बार नहीं है जब महाकुंभ मेला क्षेत्र में आग लगी हो। इससे पहले 19 जनवरी को शाम करीब साढ़े चार बजे सेक्टर-19 के शास्त्री ब्रिज के पास स्थित गीता प्रेस के कैंप में आग लग गई थी। आग लगने की वजह गीता प्रेस की रसोई में एक छोटे सिलेंडर का लीक होना बताया गया था।
इस दौरान दो सिलेंडर ब्लास्ट हो गए थे, जिससे आग ने विकराल रूप ले लिया। आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियां मौके पर भेजी गई थीं, जिन्होंने करीब एक घंटे के भीतर (शाम 5 बजे) आग पर काबू पा लिया था। इस हादसे में गीता प्रेस के 180 कॉटेज जलकर खाक हो गए थे। इतना ही नहीं, एक संन्यासी के करीब एक लाख रुपये भी जल गए थे।
छोटे सिलेंडर से चाय बनाते समय आग लगी गीता प्रेस की रसोई में छोटे सिलेंडर से चाय बनाते समय सिलेंडर लीक होने से आग लगने की बात सामने आई है। आग लगने से रसोई में रखे दो गैस सिलेंडर फट गए और 40 घास-फूस की झोपड़ियां, संजीव प्रयागवाल के टेंट जल गए।
अगलगी के दौरान भागते समय जसप्रीत पैर में चोट लगने से घायल होकर अचेत हो गए थे। आग लगने से टेंट में रखे दैनिक उपयोग की वस्तुएं, बिस्तर, चारपाई, कंबल, कुर्सी आदि जल कर नष्ट हो गए।
गीता प्रेस के टेंटों में अगलगी की घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री योगी से फोन पर बात कर पूरी घटना की जानकारी ली।
इस घटना से कुछ समय पहले ही पीएम मोदी ने हेलिकॉप्टर से महाकुंभ मेला क्षेत्र का हवाई निरीक्षण किया था। आग लगने की सूचना मिलते ही मेला क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने तत्काल भीड़ को वहां से हटाया और राहत कार्यों में सहयोग किया।
महाकुंभ मेला क्षेत्र को आग से सुरक्षित बनाने के लिए कई उन्नत इंतजाम किए गए हैं। फायर ऑपरेशन के तहत एडवांस्ड फीचर्स वाले 4 आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर (AWT) तैनात किए गए हैं, जिनमें वीडियो-थर्मल इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीक मौजूद है।
ये टावर बहुमंजिला और ऊंचे टेंट में लगी आग को बुझाने में सक्षम हैं। LWT तकनीक 35 मीटर की ऊंचाई तक पानी की बौछार कर सकती है।
इसके अलावा, पूरे महाकुंभ मेला क्षेत्र को ‘फायर फ्री’ बनाने के लिए 350 से अधिक फायर ब्रिगेड तैनात की गई हैं। यहां 2,000 से ज्यादा प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मी तैनात हैं, 50 फायर पोस्ट और 20 फायर सेंटर बनाए गए हैं। साथ ही, अखाड़ों और टेंट में विशेष फायर प्रोटेक्शन इक्विपमेंट लगाए गए हैं ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
सवालों के घेरे में सुरक्षा इंतजाम
बुधवार को भगदड़ की घटना के बाद प्रयागराज शहर में गाड़ियों की एंट्री पर रोक है। मेला क्षेत्र को पूरी तरह से नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। यानी यहां किसी भी गाड़ी की एंट्री नहीं होगी। इसके अलावा, VVIP पास भी रद्द कर दिए गए हैं। यह नियम 4 फरवरी तक लागू रहेंगे।
इस बीच, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि मैं पीड़ितों से मिलने नहीं जाऊंगा। अगर मैं मिलने गया तो भाजपा राजनीति करने का आरोप लगा देगी। उधर, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा- जांच के लिए आयोग का गठन किया गया है। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।
डीजीपी प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह मेला क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचे हैं। वह उस जगह पर मौजूद थे, जहां 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर भगदड़ मची थी।
गुरुवार को दोपहर 12 बजे तक 1.15 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। मौनी अमावस्या पर मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात को भगदड़ मच गई थी। हादसे में 35 से 40 मौतें हो गईं। सरकार की ओर से अब तक 30 मौतों की पुष्टि की गई है।
वहीं, 60 घायल हुए हैं। इधर, सरकार ने 2019 में कुंभ में तैनात रहे दो अफसरों- IAS आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को तत्काल प्रयागराज बुलाया है, ताकि व्यवस्थाएं और बेहतर की जा सकें।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट में भगदड़ को लेकर जनहित याचिका दायर की गई। इसमें यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट और जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग की गई है। कहा गया है कि धार्मिक आयोजनों में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए।
महाकुंभ का आज 18वां दिन है। 13 जनवरी से अब तक 27.58 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। कल मौनी अमावस्या (29 जनवरी) पर करीब आठ करोड़ लोगों ने स्नान किया था।
कुंभ मेले में मौजूद पत्रकार दिव्येन्दु राय ने कहा, “महाकुंभ एक विश्व प्रसिद्ध धार्मिक आयोजन है, जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में बार-बार आग लगने की घटनाएं सवाल खड़े करती हैं। प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन क्या वाकई कुछ बदलेगा या फिर यह सिर्फ एक और घटना बनकर रह जाएगी?
आने वाले दिनों में प्रशासन के कदम और उसकी गंभीरता ही बताएगी कि क्या इस बार श्रद्धालुओं की सुरक्षा सच में प्राथमिकता बनेगी, या फिर यह हादसा भी इतिहास के पन्नों में सिर्फ एक और दुर्घटना बनकर रह जाएगा।”
लगातार आग लगने की घटनाओं से मेला प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 19 जनवरी को हुई आग की घटना के बाद प्रशासन ने दावा किया था कि सुरक्षा को और सख्त किया जाएगा, लेकिन 11 दिन के भीतर फिर से आग लगना दर्शाता है कि इंतजामों में कहीं न कहीं बड़ी चूक हुई है।
तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें।
(प्रयागराज से आराधना पांडेय की ग्राउंड रिपोर्ट)
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