
अहमदाबाद। इस वर्ष गुजरात राज्य की हीट वेव से मृत्यु की पहली खबर 25 मार्च को सुरेन्द्र नगर से आई। 75 वर्षीय नूरजहां बेन रमजान भाई शेख़ भड़ियाद दरगाह की यात्रा के दौरान लू लगने से मौत हो गई। भारतीय मौसम विभाग से जुड़ीं अहमदाबाद की मौसम वैज्ञानिक मनोरमा मोहंती का कहना है कि “हीट वेव से मृत्यु की आशंका तभी होती है जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जरूरी नहीं कि मार्च महीने में 75 वर्षीय महिला की मृत्यु हीट वेव से ही हो।” मौसम विभाग के अनुसार 25 मार्च को राज्य के 13 कस्बों का तापमान 40 डिग्री से ऊपर तक गया था। सुरेन्द्र नगर का तापमान 41.3 डिग्री था। सर्वाधिक तापमान पोरबंदर में 42.8 डिग्री था। हालांकि मौसम विभाग ने सौराष्ट्र और समुद्र तटीय क्षेत्रों में हीट वेव और लू की चेतावनी जारी की थी।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में वर्ष 2010 और 2015 के बीच 7686 व्यक्तियों की मौत हीट वेव के कारण हुई थी। इस आंकड़े के अनुसार 3.50 व्यक्ति प्रति दिन हीट वेव से मरते हैं। हीट वेव से मृत्यु के सरकारी आंकड़े को विशेषज्ञ कम आंकते हैं आम तौर पर सरकारी अस्पताल भी हीट वेव से मृत्यु का रिकॉर्ड नहीं रखते जिस कारण सही आंकड़ा नहीं मिल पाता है।
अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. एमएम प्रभाकर का कहना है “हीट वेव या लू की मेडिकल में कोई परिभाषा नहीं है बीमारी के लक्षण से कहते हैं लू लग गई यह बीमारियां अन्य कारणों से भी हो सकती हैं अन्य सरकारी विभाग हीट वेव से मृत्यु का आंकड़ा तैयार करते हैं अस्पताल नहीं।” मौसम विभाग के अनुसार 1901 से अब तक 2016 सबसे अधिक गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया गया। पिछले 10 वर्षों में 2010 में गुजरात सबसे अधिक गर्म रहा जब गुजरात के अधिकतर भाग में तापमान 45 डिग्री के ऊपर पहुंच गया।
मई महीने में ही केवल अहमदाबाद के 40 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हीट वेव से हुई थी। पूरे राज्य से 16687 केस हीट वेव संबंधित अलग अलग अस्पतालों में दर्ज हुए थे। 2010 में आधिकारिक तौर पर 65 मृत्यु हुई थी। लेकिन गैर सरकारी आंकड़े के अनुसार वर्ष 2010 में 800 से अधिक मौतें हीट वेव से हुई थीं। मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष अहमदाबाद का अधिकतम तापमान 47 डिग्री रहा है जबकि पिछले वर्ष 43.6 डिग्री तक गया था।
पिछले 10 वर्षों में हीट वेव और हीट स्ट्रोक की समस्या बढ़ी है ग्लोबल वार्मिंग के अलावा नए बांधकाम, फ्लाईओवर, बड़ी बिल्डिंगें, शहरीकारण के कारण तापमान बढ़ रहा है। पर्यावरण मित्र के महेश पंड्या कहते हैं कि “गुजरात में सुन्दरता और विकास का जो फर्जी मॉडल बनाया गया वह पर्यावरण विरोधी डिजाईन है। साबरमती तट के अलावा अहमदाबाद के 10 से अधिक तालाब विकसित किये गए बगीचे भी पथरीले बनाये गए। कांकरिया तालाब जो 14 वीं सदी में बना था उसकी डिजाइन ऐसी है कि उसमें पूरे वर्ष पानी रहता है जबकि अन्य किसी तालाब में पानी बरसात के 2 सप्ताह छोड़कर पूरे वर्ष नहीं रहता।
राजनैतिक लाभ के लिए पथरीले तालाब विकसित किये गए लेकिन डिजाइन सही न होने के कारण पानी रुकता ही नहीं। सभी तालाबों को एक साथ नर्मदा के साथ जोड़ना था। सरकार ने वह भी नहीं किया। ये भी शहर के बढ़ते तापमान का एक कारण है।”
अहमदाबाद urban development authority के डिप्टी डायरेक्टर (urban पलानिंग ) एच एन ठक्कर मानते हैं कि “इन सभी तालाबों को पाइपलाइन द्वारा नर्मदा से जोड़ने का प्रस्ताव था लेकिन नर्मदा की क्षमता देखते हुए जोड़ने का कार्य नहीं हुआ अब ये सभी तालाब अहमदाबाद म्युनिसिपल की देखरेख में हैं न कि AUDA के। ”
हीट वेव से जुड़े नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े 100% सही नहीं माने जा सकते क्योंकि हीट स्ट्रोक से बहुत मौतों की रिपोर्ट ही नहीं होती है। एनसीआरबी हीट स्ट्रोक के अलावा बाढ़, ठंड, हिमस्खलन, भूकंप, सुनामी इत्यादि से हुई मृत्यु के रिकॉर्ड तैयार करता है। प्राकृतिक आपदा से लगभग 5% मृत्यु हीट स्ट्रोक से होती है जबकि 2015 में यह प्रतिशत 18 हो जाता है।
वर्ष हीट स्ट्रोक से हुई मृत्यु प्राकृतिक आपदा से हुई मृत्यु
2010 1274 25066
2011 739 23960
2012 1247 22960
2013 1216 22759
2104 1248 20201
2015 1908 10510
हीट वेव से निपटने के लिए सरकार और जनता सभी को आगे आने की आवश्यकता है। 2010 के बाद अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन के सहयोग से पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ने तापमान को कम करने के लिए 2013 में हीटवेव एक्शन प्लान बनाया ताकि जागरूकता लाई जाये और हीट वेव जैसी समस्या से लड़ा जा सके। अहमदाबाद हीट एक्शन प्लान 2018 के अनुसार जन जागरूकता, हीट से बचने के सन्देश, सरकारी एजेंसियों को अलर्ट करना, स्वस्थ सावधानी जैसे आइस विथ पैक अम्बुलेंस, ग्रीनरी करना इत्यादि। कार्तिकेय सारा भाई कहते हैं कि “हम लोग कैंपस ग्रीनरी करते हैं जिससे कैंपस के अंदर और बाहर में 5 डिग्री का तापमान कम फर्क होता है।
2010 की हीट वेव और लू के कारण 65 लोगों की मृत्यु के बाद अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन , आईएमडी अहमदाबाद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक हेल्थ ने हीट वेव से निपटने के लिए हीट वेव एक्शन पलान तैयार करने का निर्णय किया। इस तरह से 2013 में प्रथम हीट एक्शन प्लान अमल में आया। AMC,IMD और IIPH को आठवें अर्थ केयर अवार्ड 2018 से सम्मानित किया गया। 2013 में अहमदाबाद देश का पहला शहर है जहां हीट वेव एक्शन प्लान को परिचित कराया गया। बाद में अन्य शहरों में भी बना।
सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन के डायरेक्टर कार्तिकेय साराभाई ने बताया कि “हीट एक्शन प्लान का फोकस इमरजेंसी पर होता है, छत को सफ़ेद पेंट से कलर करना, सड़कों पर पानी का छिड़काव इत्यादि और एक लम्बे समय की प्लानिंग कर अपने आस-पास की पथरीली ज़मीन को हरा करना।”
आईएमडी अहमदाबाद के डायरेक्टर जयंत सरकार जो 2013 से हीट एक्शन प्लान की ड्राफ्टिंग में शामिल रहे हैं बताते हैं कि आईएमडी अहमदाबाद अगले पांच दिन का अधिकतम तापमान फोरकास्ट करता है। अलर्ट के 3 लेवल होते हैं 1- येलो अलर्ट जिसमें अधिकतम तपमान 41.1 से 43 डिग्री सेल्सलियस, ओरेंज अलर्ट 43.1 – 44.9 और तीसरा रेड अलर्ट जो 45 डिग्री के ऊपर होता है।
सरकार के अनुसार इस वर्ष हीट वेव लगभग पिछले वर्ष के बराबर ही रहेगी। एडवाइजरी के अनुसार सलाह दी जाती है कि 12 बजे दोपहर से 5 बजे तक बाहर अति आवश्यकता पर ही निकलें। हलके कॉटन के कपड़े पहनें, पर्याप्त मात्रा में पेयजल और द्रव्य पदार्थ का सेवन करें, लू से बचने के लिए बर्फ का उपयोग करें, बच्चे, बूढ़े और महिलाओं का खास ध्यान रखा जाये। 12 से 5 के बीच धूप में काम न करने की एडवाइजरी जारी की गयी है।
डॉ.भाविन सोलंकी (इंचार्ज मेडिकल ऑफिसर हेल्थ) बताते हैं कि 108 इमरजेंसी में 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के दरमियान हीट वेव से संबंधित 10004 केस दर्ज हुए हैं। डॉ. सोलंकी के अनुसार अहमदाबाद में लू से होने वाली मृत्यु में कमी आई है। 2014 में लू से 14 मृत्यु हुई थी 2015 में 9 और 2016 में 21 लोगों की मृत्यु हुई थी। 2016 में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई थी पिछले वर्ष केवल 2 मृत्यु लू से हुई थी। हीट एक्शन प्लान अप्रैल के दूसरे सप्ताह से लागू किया जाता है। इस वर्ष लगभग हीट वेव संबंधित जागरूकता के लिए 25 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे। 108 इमरजेंसी सर्विस को ट्रेनिंग और एक्स्ट्रा सुविधा दी गई है ताकि वो लू पीड़ित को समय पर हॉस्पिटल पहुंचा सकें। सरकार द्वारा ट्रैफिक पुलिस जो धूप में खड़े रहते हैं उनके लिए 1000 से अधिक पानी के काउंटर और मट्ठे की व्यवस्था की गई।
कंस्ट्रक्शन कंपनियों को नोटिस देकर कड़ी धूप में काम न लेने का आदेश दिया गया है। एनजीओ भी जागरूकता के लिए काम करते हैं। एक्शन प्लान के अनुसार कुछ कार्य होते हैं लेकिन सरकारी संस्थाएं प्रचार अधिक करती हैं। इस वर्ष 108 ने अब तक 4791* आपातकाल के मामले दर्ज किये हैं जबकि 2017 में 5486, 2016 में 5950, 2015 में 4269 केस दर्ज हुए थे। गुजरात में पर्यावरण बचाने की लड़ाई पर्यावरण मित्र लड़ते आये हैं लेकिन सरकार और उद्योग के आगे इनकी कम चल पाने के कारण गुजरात मॉडल में इनकी भूमिका को सीमित किया जा रहा है।
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