गुस्तावो पेट्रो का गर्जन: “ट्रंप, तुम्हारी साम्राज्यवादी चालें अब नहीं चलेंगी!”

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कोलंबिया-50 मिलियन की जनसंख्या वाला यह देश भले ही आकार में छोटा हो, लेकिन इसके राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो का कद इतना ऊंचा है कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आंखों में आंख डालकर ललकारते हैं।

जब ट्रंप अवैध प्रवासियों पर हमलावर होते हैं और उन्हें ज़बरदस्ती उनके देशों में वापस भेजते हैं, तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके समर्थक चुप्पी साध लेते हैं-लेकिन गुस्तावो पेट्रो झुकने वालों में से नहीं हैं! पेट्रो गरजते हैं-

“कोलंबिया किसी भी कोलंबियाई पुरुष या महिला को हथकड़ियों में स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि प्रवासी अपराधी नहीं होता!”

छोटे देश का बड़ा नेता, दुनिया के सबसे ताकतवर देश को सीधी चुनौती!

पेट्रो का जवाब सिर्फ बयान नहीं, बल्कि एक युद्धघोषणा है! वह ट्रंप से सीधे-सीधे कहते हैं-

“ट्रंप, मुझे अमेरिका घूमना पसंद नहीं। यह उबाऊ लगता है, लेकिन हां, कुछ चीजें वहां काबिल-ए-तारीफ हैं। मैं वॉशिंगटन के ब्लैक नेबरहुड में गया था, जहां मैंने अश्वेतों और लातिनो के बीच झगड़ा देखा। यह झगड़ा व्यर्थ था, क्योंकि तुम्हारे जैसे लोग चाहते ही यही हो-हम बंटे रहें!”

गुस्तावो पेट्रो कोई साधारण नेता नहीं हैं। वह एक विचारधारा हैं, एक क्रांति हैं! वह उन्हीं महान विभूतियों के नाम लेते हैं, जिन्होंने दुनिया को नई दिशा दी-

  • वॉल्ट व्हिटमैन
  • पॉल साइमन
  • नोम चॉम्स्की
  • हेनरी मिलर

और वह उन दो महान श्रमिक नेताओं साको और वान्ज़ेट्टी को याद करते हैं, जिन्हें अमेरिकी फासीवादियों ने इलेक्ट्रिक चेयर पर मार डाला था!

“वे श्रमिक नेता थे, जिनकी हत्या अमेरिका में फासीवादियों ने की थी। वे वही खून थे, जो मेरी नसों में बह रहा है! ये फासीवादी अमेरिका में भी हैं और मेरे देश में भी!”

ट्रंप को दो-टूक जवाब: “मुझे तुम्हारा तेल नहीं चाहिए!”

गुस्तावो पेट्रो की ललकार ट्रंप के साम्राज्यवादी अहंकार की चूलें हिला देती है।

“मुझे तुम्हारा तेल पसंद नहीं, ट्रंप! तुम्हारा लालच मानवता को खत्म कर देगा। शायद किसी दिन हम इस पर बात करेंगे—व्हिस्की के गिलास के साथ, जिसे मैं स्वीकार करूंगा, हालांकि मुझे गैस्ट्राइटिस है। लेकिन यह मुश्किल होगा, क्योंकि तुम मुझे एक हीन नस्ल मानते हो-जबकि मैं नहीं हूं, और न ही कोई कोलंबियाई!”

कोलंबिया का सिंहनाद: “हम गुलामी स्वीकार नहीं करेंगे!”

पेट्रो का यह भाषण ट्रंप की सत्ता को चुनौती देने के साथ-साथ अमेरिकी साम्राज्यवाद पर सीधा वार करता है!

“अगर कोई ज़िद्दी है, तो वह मैं हूं! तुम अपनी आर्थिक ताकत और अहंकार से मेरे खिलाफ तख्तापलट की कोशिश कर सकते हो-जैसे तुमने चिली के राष्ट्रपति साल्वाडोर अलेन्दे के साथ किया था! लेकिन मैं अपनी शर्तों पर मरूंगा। मैंने यातनाएं सही हैं, और तुम्हारा भी सामना करूंगा!”

पनामा नहर पर कब्ज़े की ट्रंप की धमकी और पेट्रो की हुंकार!

ट्रंप ने हाल ही में पनामा नहर पर अमेरिका के नियंत्रण की इच्छा ज़ाहिर की थी। इस पर पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने करारा जवाब दिया—

“नहर का प्रत्येक वर्ग मीटर पनामा का है और आगे भी रहेगा!”

गुस्तावो पेट्रो ने इस पर अपना समर्थन देते हुए और भी तीखे शब्दों में अमेरिका को ललकारा-

“मैं पनामा और उसकी संप्रभुता की रक्षा के पक्ष में खड़ा रहूंगा! अमेरिका भूल जाए कि अब वह लैटिन अमेरिका को अपना पिछवाड़ा समझ सकता है!”

अमेरिका की धमकियों का जवाब: “हम आत्मनिर्भर बनेंगे!”

“तुम हमारे श्रम पर 50% शुल्क लगाते हो? ठीक है, हम भी यही करेंगे! हमारे लोग मक्का उगाएंगे, जिसे कोलंबिया में खोजा गया था, और दुनिया को खिलाएंगे!”

पेट्रो यह भी स्पष्ट कर देते हैं कि कोलंबिया अब किसी भी तरह के अमेरिकी दबाव में नहीं आएगा!

“हम सोने के कारीगरों की भूमि हैं, जिन्होंने मिस्र के फिरौन के समय में भी काम किया था! हम पहले कलाकारों की भूमि हैं! तुम्हारे प्रतिबंध हमें नहीं रोक सकते!”

“अगर तुम मुझे मार दोगे, तो भी मैं जिंदा रहूंगा!”

पेट्रो सिर्फ कोलंबिया की नहीं, बल्कि पूरे लैटिन अमेरिका की आवाज़ बन गए हैं! उनका यह बयान अब सिर्फ एक राष्ट्र के लिए नहीं, बल्कि समूचे वैश्विक दक्षिण के लिए एक उद्घोष बन गया है!

“अगर तुम मुझे मार दोगे, तो भी मैं अपने लोगों में जिंदा रहूंगा! कोलंबिया दुनिया का हृदय है, और तुम इसे समझ नहीं पाए!”

“हम गुलाम नहीं बनेंगे-हम अपने भविष्य के निर्माता हैं!”

पेट्रो का यह बयान इतिहास में अमर रहने वाला है।

“हम कोलंबिया के लोग हैं, जो साइमन बोलिवार के रक्त से बने हैं! हमें कोई गुलाम नहीं बना सकता! यह सिर्फ एक राष्ट्र की आवाज़ नहीं, बल्कि पूरे महाद्वीप की हुंकार है!”

यह भाषण केवल ट्रंप को जवाब नहीं, बल्कि पूरे अमेरिकी साम्राज्यवाद को सीधी चुनौती है! गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका को साफ-साफ बता दिया है-

“तुम्हारी धमकियां हमें डरा नहीं सकतीं! तुम्हारी साम्राज्यवादी चालें अब नहीं चलेंगी! कोलंबिया स्वतंत्र था, स्वतंत्र है, और स्वतंत्र रहेगा!”

(मनोज अभिज्ञान स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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