सीएम योगी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों से किसी भी कीमत पर निपटना चाहते हैं। मानवीय मूल्यों को तो वह पहले ही ताख पर रख चुके हैं और अब लोकतांत्रिक मूल्यों की भी उन्हें परवाह नहीं है। उन्होंने लखनऊ की सड़कों पर सीएए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ के आरोपियों की होर्डिंग शहर भर में लगवा दी हैं।
आठ मार्च को विश्व महिला दिवस से पहले उन्होंने महिला प्रदर्शनकारियों को भी यही ‘मान-सम्मान’ दिया है। उनका फोटो भी होर्डिंग में लगाया गया है। खुद सीएम योगी और उनके उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या खुद कई तरह के आपराधिक मामलों के आरोपी हैं। विपक्ष उनसे सवाल कर रहा है कि क्या वह खुद अपना और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का भी ऐसा ही पोस्टर लगवाएंगे!
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लखनऊ में हुए बवाल के बाद आरोपियों की फोटो होर्डिंग के रूप में लगवाई हैं। योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी खुद कई प्रदर्शनों में तोड़फोड़ करती रही है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या योगी उनके साथ भी यही ‘न्याय’ करेंगे।
योगी की इस कार्रवाई के खिलाफ सपा और कांग्रेस ने सियासी हमला बोला है। सपा आरोपियों की होर्डिंग लगाए जाने पर सीधे सीएम आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या पर हमले किए हैं। सपा ने ट्वीट करके आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या के ऊपर दर्ज मुकदमों का खुलासा किया है। पार्टी ने इसे “लोकतंत्र में सच्चाई का परिचय आवश्यक है”, नाम दिया है।
फोटो में योगी आदित्यनाथ के उस हलफनामे को दिखाया गया है जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने ऊपर दर्ज मुकदमों की जानकारी दी थी। इसमें योगी आदित्यनाथ की फोटो भी लगाई गई है। ऐसी ही डिटेल केशव प्रसाद मौर्या की भी ट्विटर के जरिए सार्वजनिक की गई है।

दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग ने गोरखपुर, मऊ और आज़मगढ़ में पहले हुए दंगे के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई सीएम से करने की मांग उठाई है। अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया है कि होर्डिंग लगाकर सरकार आरोपियों पर हमले करने के लिए उकसा रही है।
शाहनवाज ने इसे ग़ैर क़ानूनी बताते हुए इसे अपने विरोधियों के चरित्र हनन की आपराधिक और षड्यंत्रकारी राजनीति बताया है। उन्होंने कहा कि अगर इन लोगों या इनके परिजनों के ऊपर किसी भी तरह की हिंसा होती है तो इसके लिए सीधे मुख्यमंत्री योगी ज़िम्मेदार होंगे।
रिहाई मंच ने भी इस पर सख्त आपत्ति जताई है। उसने कहा है कि चौराहे-चौराहे होर्डिंग लगाकर लोकतांत्रिक आवाजों को नहीं दबाया जा सकता है। रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि सरकार का यह कदम नियम कानून की खुली अवहेलना है। प्रशासन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए वसूली नोटिस भेजी है और सम्पत्ति जब्त करने की धमकी दी है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार विरोध के स्वर का दमन करना चाहती है और लखनऊ प्रशासन नियम कानून ताक पर रखकर सरकार की मंशा पूरी कर रहा है। इस तरह से होर्डिंग्स लगाकर सरकार भय का माहौल बनाना चाहती है ताकि लोग डरकर संविधान विरोधी नागरिकता कानून के खिलाफ आवाज़ उठाना बंद कर दें। उन्होंने साफ कहा कि ऐसा नहीं होने वाला है। इस काले कानून के खिलाफ आवाज़ और मज़बूती से बुलंद की जाती रहेगी।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि योगी सरकार लगातार विरोध प्रदर्शनों के दमन के लिए नए-नए हथकंडे अपना रही है। उन्होंने कहा कि हिंसा में लिप्त पुलिसकर्मियों की भी होर्डिंग सीएम योगी को लगवाना चाहिए। साथ ही इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के हत्यारोपी आरएसएस के कार्यकर्ताओं की भी होर्डिंग सरकार को लगवानी चाहिए।
बता दें कि गुरुवार की रात लखनऊ के तीन चौराहों पर जिला प्रशासन ने होर्डिंग लगावाई है। होर्डिंग पर 57 लोगों की फोटो उनके पते समेत दर्ज की गई है। प्रशासन इनसे एक करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली करना चाहता है।
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