Saturday, April 20, 2024

भूकंप का विध्वंस

तुर्की में भूकंप की मार जबरदस्त है। सोमवार को सूर्योदय के थोड़ा पहले से यह शुरू हुआ और बारह घंटे में 41 बार भूकंप आए। पहला भूकंप रेक्टर पैमाने पर 7.8 आंका गया। दोपहर में इतनी ही शक्तिशाली 7.5 का भूकंप आया। बीच में 4 या अधिक के भूकंप आते रहे। तुर्की में इस शताब्दी में इतना बड़ा भूकंप पहली बार आया है। हालांकि तुर्की भूकंप प्रवण इलाके में पड़ता है। दक्षिणपूर्वी तुर्की में सीरिया की सीमा से सटे इलाके में आए इस भूकंप जानमाल की व्यापक क्षति हुई है। इस इलाके में अगले कुछ दिनों तक झटके आ सकते हैं।

भूकंप ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसका पूर्वानुमान नहीं हो सकता। भूकंप के फाल्ट लाइन बनने के कुछ सेकेंड के भीतर झटके आने लगते हैं। तुर्की का प्रभावित इलाका भूकंपीय फाल्क लाइन एंटोलिया टेक्टेनिक ब्लॉक के निकट है जो उत्तरी, मध्य व पूर्वी तुर्की से होकर गुजरता है। यह भूकंप के लिहाज से गतिशील इलाका है। हालांकि यह हिमालय क्षेत्र जितना गतिशील नहीं है जो दुनिया का सबसे खतरनाक भूकंप-प्रवण क्षेत्र है।

बड़े भूकंप अर्थात रेक्टर पैमाने पर 5 या उससे अधिक के भूकंप अक्सर नहीं आते। संयुक्त राज्य भूगर्भीय सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के अनुसार 1970 के बाद इस इलाके में रेक्टर पैमाने पर 6 या उससे अधिक के भूकंप केवल तीन बार आए हैं। इस क्षेत्र में पिछला बड़ा भूकंप 2020 जनवरी में आया था।

इस क्षेत्र की भूकंप-प्रवणता अफ्रीकी, यूरेशियाई और अरबियन प्लेट के अंतर्संबंधों पर निर्भर करती है। अरबियन प्लेट उत्तर की ओर दबाव डालता है जिससे अंटोलियन प्लेट में पश्चिम को ओर दबाव बढ़ता है जिस क्षेत्र में तुर्की स्थित है।

यूएसजीएस के अनुसार सोमवार को आया यह भूकंप पूर्वी अंटालियन ब्लाक के लगभग ऊर्ध्वाधार फाल्ट लाइन के आसपास आया है। यह फाल्ट लाइन सीरिया की सीमा के निकट है।

इस सोमवार को आया भूकंप कम गहराई से उत्पन्न हुआ है जिससे यह अधिक विध्वंसक साबित हुआ है। पहले भूकंप की शुरुआत धरती की सतह से 17.9 किलोमीटर गहराई में हुई। अन्य झटकों की शुरुआत उससे भी कम गहराई से हुई। कम गहराई से उत्पन्न भूकंप अपेक्षाकृत अधिक विध्वंसक होते हैं क्योंकि वे जब सतह पर पहुंचते हैं तो उनके साथ अधिक ऊर्जा रहती है। अधिक गहराई से उत्पन्न भूकंपों की ऊर्जा सतह पर पहुंचने के क्रम में घट जाती है। इनका प्रभाव अधिक इलाके में फैल जरूर जाता है।

पखवाड़े भर पहले नेपाल में आया भूकंप 25 किलोमीटर गहराई से उत्पन्न हुआ था। इसका प्रभाव उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में भी महसूस किया गया था। इस भूकंप से बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं हुआ। नेपाल का भूकंप कम तीव्रता का था। इसे रेक्टर पैमाने पर 5.8 मापा गया था। तीव्रता के मापन से पता चलता है कि भूकंप के लहरों का आकार कितना बड़ा है। शक्ति का मतलब है कि कितनी ऊर्जा उसके साथ निकलती है।

भूकंप का पूर्वानुमान करने की विश्सनीय प्रणाली अभी तक विकसित नहीं की जा सकी है। वैज्ञानिक भूकंप प्रवण क्षेत्र का निर्धारण जरूर कर सके हैं। लेकिन भूकंप कब आएगा, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सका है। उदाहरण के लिए हिमालय क्षेत्र के नीचे इतनी ऊर्जा एकत्र होने का अनुमान है कि 7 या 8 तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं, पर कब और कहां इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।

(अमरनाथ झा वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल पटना में रहते हैं।)

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