Friday, April 26, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

पग-पग पर पुलिस की साजिश के बीच जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च

नई दिल्ली। मंगलवार को दिनभर गर्म हवा चलती रही। चिलचिलाती धूप में पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। जंतर-मंतर पर थोड़ी देर खड़े होने के बाद गला सूख रहा था। पहलवानों के समर्थन में आए लोग पहलवान बेटियों को न्याय दिलाने के लिए निकलने वाले कैंडल मार्च की तैयारी में लगे थे। मंच से सख्त हिदायत दिया जा रहा था कि हम शांतिपूर्वक मार्च निकालेंगे। किसी से उलझने और झगड़ने की जरूरत नहीं है। लगभग साढ़े चार बजे सारे लोग एक साथ धरनास्थल से उठ खड़े हुए। कई लोग समर्थन में आए लोगों को पैकेट से मोमबत्तियां निकाल कर देने लगे।

मोमबत्ती बांटता युवक

इसके बाद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। नई दिल्ली जिले के डीसीपी प्रणव तयाल ने कैंडल मार्च को रोक दिया। और मार्च का नेतृत्व कर रहे लोगों को बस में बैठाकर इंडिया गेट तक पहुंचाने का प्रस्ताव रखा। जिसे मानने से नेतृत्वकर्ताओं ने इंकार कर दिया। मार्च में शामिल लोगों ने कहा कि हम पैदल ही इंडिया गेट जाएंगे। दरअसल, यह प्रस्ताव नहीं झांसा था। दिल्ली पुलिस कैंडल मार्च को निकलने नहीं देना चाह रही थी। पुलिस ने मार्च को हर तरह से बाधित करने की कोशिश की। जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए थे। पुलिस ने मार्च को कई हिस्सों में बांट दिया। पुलिस ने जुलूस में शामिल लोगों को डराने की हर संभव कोशिश की।

कैंडल मार्च में शामिल महिलाएं

कैंडल मार्च में चल रहीं महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने कहा कि यह सरकार संवेदनहीन है। महीनों से बेटियां विरोध-प्रदर्शन कर रहीं हैं। लेकिन यह सरकार सो रही है। आरोपी बिना डरे रोज महिला पहलवानों को विरोध में बयान दे रहा है।

कैंडल मार्च निकलने के पहले जंतर-मंतर पर सभा

मार्च में चल रहे कुछ लोग हाथों में तिंरगा था तो कुछ लोग प्लेकार्ड लिए थे। जिसमें पहलवानों को न्याय देने और बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग थी। मार्च में पहलवानी को अपना करियर बनाने वाले बच्चों का एक समूह भी था। जो गुरुग्राम के जाडसा गांव से आए थे। आयुष ने बताया कि वह महिला पहलवानों के समर्थन में आए हैं। इससे ज्यादा वह कुछ भी बोलने से मना कर गए।

कैंडल मार्च में शामिल पहलवानों की नई पीढ़ी

4 बजे के आस-पास जंतर-मंतर पहुंचे डीसीपी प्रणव तयाल ने पहले तो मार्च निकालने से मना किया। लेकिन जब देखा उनकी चाल कामयाब नहीं होगी तो उन्होंने मोबाइल से अपने उच्चाधिकारियों से बात की। जनचौक संवाददाता भी पुलिस अधिकारियों के पास ही मौजूद था। डीसीपी प्रणव तयाल ने मोबाइल से उच्चाधिकारियों से बात करते हुए कहा कि- ‘क्या करें साले मान नहीं रहे हैं, मार्च निकाल कर ही मानेंगे।’

नई दिल्ली जिले के डीसीपी प्रणव तयाल

पुलिस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती धरना-स्थल के पास स्थित आरोपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के घर की सुरक्षा का था। पुलिस ने वहां पर डेरा डाल दिया था। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पहले ही कहा था कि हम शांतिपूर्वक इंडिया गेट जाएंगे। इसलिए आरोपी सांसद के आवास के पास पुलिस को कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ी।

दिल्ली पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के साए में मार्च

दिल्ली पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के साये में चल रहे मार्च में शामिल युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों का उत्साह देखने लायक था। 17 साल सेना की सेवा करने के बाद 35 साल पहले रिटायर हुए रणबीर सिंह नेहरा अब 70 साल के हैं। वह रोहतक के महम चौबीसी गांव के रहने वाले हैं। मार्च में चलते हुए जब उनसे सवाल पूछा कि क्या कैंडल मार्च के बाद मोदी सरकार पहलवानों के आरोपों की जांच कर आरोपी को गिरफ्तार कर पहलवान बेटियों को न्याय दिलाएगी, उन्होंने कहा कि जब तक सरकार आरोपी को गिरफ्तार नहीं करती हम आंदोलन करते रहेंगे।

इंडिया गेट जाते प्रदर्शनकारी

भिवाड़ी से आए मांगेराम ने साफ कहा कि सरकार इतनी जल्दी कुछ नहीं करने वाली। किसानों का आंदोलन 13 महीने तक चला। जब सरकार ने मान लिया कि किसानों को थकाया नहीं जा सकता, तब वह तीनों कानून वापस लेने की घोषणा की। इस मामले में भी सरकार की यही मंशा है। उन्होंने कहाकि पहलवानों का बात तो दूर मोदी सिर्फ अपनी ही पार्टी चाहता है। मोदी चाहता है कि सारी पार्टियां खत्म हो जायें और उसकी ही सरकार हमेशा रहे।

जब इंडिया गेट पहुंचा कैंडल मार्च

जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक महिला पहलवानों में समर्थन में निकले कैंडल मार्च में भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी इसमें शामिल रहे।

इंडिया गेट पर भीम आर्मी के कार्यकर्ता

मंगलवार को कैंडल मार्च में सबसे ज्यादा आकर्षण जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का रहा। बीमारी की हालत में भी वह महिला पहलवानों के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने और जुलूस में शामिल लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए व्हीलचेयर पर आए। उन्होंने महिला पहलवानों के प्रति सरकार के रूख पर नाखुशी जाहिर की।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक

जंतर-मंतर से एक साथ कैंडल मार्च के लिए निकले लोगों को पुलिस ने कई हिस्सों में बांट दिया। लेकिन 5 बजे के जब मार्च में शामिल लोग इंडिया गेट पहुंचे तो हुजूम बन गया। चारों तरफ जन सैलाब था।

इंडिया गेट पर कैंडल मार्च का एक दृश्य

कैंडल मार्च में किसान, जवान, छात्र, युवा, महिलाएं और पहलवान शामिल थे। लेकिन प्रशासन की तमाम साजिशों के बावजूद वे न तो आक्रोशित हुए और न ही अपने गंतव्य को भूले। सभी लोगों ने शांतिपूर्वक जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक मार्च किया। और इंडिया गेट पर कई घंटे तक मोमबत्ती जलाकर विरोध-प्रदर्शन चलता रहा।

(जनचौक के राजनीतिक संवाददाता प्रदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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