Tuesday, March 19, 2024

नए संसद भवन की आड़ में पुलिस ने पहलवानों के आंदोलन को तोड़ा

एक महीने से जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना-प्रदर्शन चल रहा था। सिर्फ पहलवानों का ही नहीं बीच-बीच में अन्य संगठन और व्यक्ति भी वहां जाकर विरोध-प्रदर्शन करते थे। लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने और विरोध-प्रदर्शन करने की आजादी है। लेकिन रविवार को जंतर-मंतर पर पुलिस ने लोकतंत्र को रौंद दिया। विरोध-प्रदर्शन करने वालों को घसीट-घसीट कर पुलिस वैन में डाल दिया गया। धरना स्थल को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया गया था। वहां कोई भी आम और खास का जाना प्रतिबंधित था। जंतर-मंतर पर सिर्फ पुलिस के जवान ही आ जा सकते थे। बाकी सब बैरिकेड्स के अंदर कैद थे। इस बैरिकेड्स के बाहर निकलने को पुलिस ने कानून का उल्लंघन माना। और सड़क पर घसीटते हुए हिरासत मे ले लिया।

रविवार को जंतर-मंतर की सड़कों पर सिर्फ पुलिस के बूटों की आवाज सुनाई दे रही थी। लेकिन दोपहर होते-होते पहलवानों ने भी अपने अधिकारों की हुंकार भरी। जिसके बाद अब जंतर-मंतर का मंजर डरावना है। धरना स्थल वीरान पड़ा है। पुलिस ने न सिर्फ पहलवानों को बल्कि वहां धरना दे रहे हर किसी को हटा दिया है। जंतर-मंतर को पुलिस छावनी में बदल दिया गया है। सोमवार को जंतर-मंतर वीरान पड़ा है। दिल्ली पुलिस ने धरना स्थल से पहलवानों के टेंट, चारपाई, चटाई को पुलिस ने ट्रक और टैम्पों में लादकर उठवा ले गई।

प्रदर्शनकारियों के साथ हुए दुर्व्यवहार की चौतरफा निंदा होते देख अब दिल्ली पुलिस ने अपना रवैया बदला है। पहलवानों के साथ बदसलूकी को जायज ठहराने के लिए पुलिस तर्क खोज रही है। या कहें कि पुलिस न तर्क खोज भी लिया है। पुलिस का कहना है कि उसके लिए ‘संसद भवन के उद्धाटन समारोह की सुरक्षा’ सबसे ऊपर थी। पुलिस ने पहलवानों को समझाने की कोशिश की लेकिन वे संसद के समीप महिला महापंचायत के लिए जाने की जिद पर अड़े थे। पुलिस ने बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट पर दंगा भड़काने का एफआईआर दर्ज किया है।

रविवार को राष्ट्रीय राजधानी से करीब 700 सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जंतर-मंतर से करीब 109 लोगों को हिरासत में लिया गया है। तीन महिला पहलवानों को पुलिस ने रविवार को ही रिहा कर दिया। बाकी लोगों को जेल भेज दिया गया है।

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं में पहलवानों और प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की है। प्राथमिकी में लोकसेवकों पर हमला करने, सरकारी काम में बाधा डालने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने आदि का आरोप लगाया गया है।

शीर्ष पहलवानों साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उन्होंने जंतर-मंतर पर प्रदर्शनकारियों को रोका क्योंकि नए संसद भवन का उद्घाटन उसी समय किया जा रहा था जब उनका विरोध-प्रदर्शन हो रहा था और इससे संसद की सुरक्षा बाधित हो सकती थी। बाराखंभा रोड थाने में तैनात एक हेड कांस्टेबल की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि महिला सम्मान महापंचायत से पहले पुलिस ने पर्याप्त स्टाफ तैनात किया था। इसमें लिखा है: “सुबह 10.30 बजे के आसपास, पहलवानों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि वे नए संसद भवन में एक महिला सम्मान महापंचायत करेंगे…वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को सूचित किया कि नया संसद भवन शीर्ष लोकतांत्रिक संस्थान है।”

पुलिस ने कहा कि नया संसद भवन “राष्ट्र के लिए गर्व और गौरव की बात है… इसकी सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है। हमने उन्हें अधिसूचित स्थल यानी जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए कहा। शिकायतकर्ता ने बताया कि सुबह करीब 11.30 बजे प्रदर्शनकारी नारेबाजी करने लगे और पहले बेरिकेड्स की ओर बढ़ने लगे। उनका नेतृत्व पुनिया, फोगाट और मलिक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को फिर से सूचित करने के लिए जोर से घोषणा की कि बैरिकेड्स को पार करना और कानून को तोड़ना “राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा”।”

पुलिस ने कहा कि इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लगाई गई है। “प्रदर्शनकारियों को बार-बार रुकने के लिए कहने के बावजूद, उन्होंने नहीं सुना। वे आगे बढ़े, पहले बैरिकेड्स को लांघकर पुलिस को धक्का दिया और दूसरी बैरिकेड्स पर पहुंच गए, जहां फिर पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। हालांकि, उन्होंने पुलिस को धक्का देना जारी रखा और उन्होंने बैरिकेड्स को भी हटा दिया…”

प्राथमिकी में लिखा गया है “वे हमारी ओर दौड़ने लगे। वहां और पुलिस बल आयी और बड़ी मुश्किल से उनपर (प्रदर्शनकारियों) काबू पाया और उन्हें हिरासत में लिया। प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश करते हुए, हमारे साथ मारपीट की गई और हमला किया गया … पुलिस कर्मियों को चोटें आईं।”

पहलवानों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा), 186 (सरकारी सेवक को ड्यूटी में बाधा डालना), 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 332 (स्वेच्छा से जनता को डराने के लिए चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। संसद मार्ग पुलिस थाने में नौकर को उसकी ड्यूटी से हटाना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला) और धारा 3 (सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है।

इसमें तीन पुरुष और 12 महिला पुलिसकर्मियों के नामों का जिक्र है जो विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन स्थल से कुल 109 लोगों को हिरासत में लिया गया है। प्राथमिकी में विनेश फोगट, संगीता फोगट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, हरेंद्र पुनिया, सत्यव्रत कादियान और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सुमन हुड्डा सहित 12 लोगों को हिरासत में लिया गया और आरोपी बनाया गया है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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