नई दिल्ली। लद्दाख को बचाने के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे शिक्षाविद् व जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस ने सोमवार देर रात हिरासत में ले लिया।
उन्हें और उनके साथियों को उस वक्त हिरासत में लिया गया, जब वह लद्दाख से पैदल यात्रा करते हुए हरियाणा की सीमा से दिल्ली में प्रवेश करने वाले थे। सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उन्हें बाहरी दिल्ली के बवाना पुलिस स्टेशन में रखा गया है।
बवाना पुलिस स्टेशन के बाहर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया गया है। साथ ही दिल्ली पुलिस ने छह दिन के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लगा दी है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री नहीं मिल पाईं
इस सूचना के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी बवाना पुलिस स्टेशन गई। लेकिन उन्हें किसी से भी मिलने नहीं दिया गया। उनके साथ बवाना के विधायक जय भगवान उपकार और आप के कार्यकर्ता भी थे।
इसके बाद आतिशी ने एक्स पर जानकारी देते हुए लिखा- “मैं सोनम वांगचुक जी और लद्दाख के 150 भाइयों-बहनों से मिलने बवाना थाने पहुंची। दिल्ली पुलिस ने मुझे मिलने नहीं दिया। बताया जा रहा है कि एलजी साहब का फोन आ गया कि चुने हुए मुख्यमंत्री से मिलने नहीं देना है। यह तानाशाही ठीक नहीं है।”
वह आगे लिखती हैं दिल्ली के लोग लद्दाख के लोगों के साथ खड़े हैं। लद्दाख में एलजी राज खत्म होना चाहिए। लद्दाख और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए।
जानकारी के अनुसार लगभग 150 लोगों को हिरासत में लेकर बवाना, नरेला और मुंडका थाने में रखा गया है।
अंदर कोई सुविधा नहीं
पदयात्रा में शामिल हुए प्रोफेसर देश धनकड़ इस घटना के बाद बवाना थाने पहुंचे। उन्होंने जनचौक से बात करते हुए बताया कि ‘मंगलवार को जिन लोगों को हिरासत में लिया गया उन्होंने फोन कर जानकारी दी कि उन्हें अंदर किसी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई। न पंखा था न ही सोने की कुछ व्यवस्था।’
वह आगे बताते हैं, ‘हरियाणा चुनाव के मद्देनजर वहां पदयात्रा न कर बस से दिल्ली आऩे का फैसला लिया गया था। ऐसा हुआ भी। लोगों ने रात को खाना भी नहीं खाया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इसी बीच घरौंदा टोल नाके के पास से सबको हिरासत में ले लिया गया।’
दिल्ली में आने की अनुमति के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। वहीं दूसरी ओर वकील विक्रम हेगड़े द्वारा सोनम वांगचुक और उनके साथियों को रिहा करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है। जिसमें रिहाई के साथ-साथ दिल्ली पुलिस द्वारा छह दिनों तक किसी प्रकार के धरना-प्रदर्शन न करने का भी जिक्र है।
अब इस मामले में तीन अक्टूबर को सुनवाई होगी। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि दिल्ली पुलिस वांगचुक और उनके साथियों को कब रिहा करेगी, क्योंकि 24 घंटे से ज्यादा अगर थाने में उन्हें रखा जाता है तो क्राइम बताना होगा। ऐसे में पुलिस के लिए यह मामला थोड़ा पेचीदा हो गया है।
इसके अलावा “दिल्ली चलो पैदलयात्रा” में शामिल एक और शख्स ने याचिका दायर कर यह मांग की है कि उन्हें और कुछ लोगों को दिल्ली आऩे की अनुमति दी जाए। ताकि दो अक्टूबर को पर्यावरण के बारे में जागरुकता अभियान चला कर राजघाट में इस यात्रा को समाप्त किया जाए।
80 साल के बुजुर्ग भी हिरासत में
हिरासत में लिए जाने से पहले सोनम वांगचुक ने एक विडियो पोस्ट किया। जिसमें वह कह रहे थे कि ‘दिल्ली के बॉर्डर पर 150 पदयात्रियों के साथ मुझे हिरासत में लिया जा रहा है। इसके लिए 100 पुलिस वालों को भेजा गया है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह 1000 हैं’।
वह आगे कहते हैं ‘इस यात्रा में 80 साल से अधिक उम्र के लोग भी हैं। महिलाओं के साथ कुछ सेना के रिटायर्ड भी हैं। आगे क्या होगा, कुछ पता नहीं है, हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बापू की समाधि तक शांतिपूर्ण मार्च पर थे’।
राहुल गांधी ने एक्स पर पूछे सवाल
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी एक्स पर मार्च रोके जाने पर सवाल किए हैं। वह लिखते हैं ‘ पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक और सैकड़ों लद्दाख के लोगों की हिरासत अस्वीकार्य हैं। लद्दाख के भविष्य के लिए आवाज उठाने वाले बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर हिरासत में क्यों लिया जा रहा है’?
वह आगे लिखते हैं ‘मोदी जी, किसानों की तरह ये ‘चक्रव्यूह’ और आपका अहंकार भी टूटेगा। आपको लद्दाख की आवाज सुननी पड़ेगी।
आपको बता दें कि इस पदयात्रा का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी कारगिल डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा किया गया है। जो पिछले चार साल से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए आंदोलनरत हैं। साथ ही इनकी मांग है कि लेह के लिए सेवा आयोग और लेह और कारगिल जिले के लिए अलग-अलग लोकसभा सीट हो।
सोनम वांगचुक पिछले लंबे समय से इन सभी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसी साल उन्होंने भूख हड़ताल भी की थी। साथ ही ऐलान किया था कि अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो दिल्ली तक पैदल मार्च किया जाएगा।
(पूनम मसीह की रिपोर्ट)
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