नई दिल्ली। जंतर-मंतर वीरान पड़ा है। वहां जाने वाले हर रास्ते बंद हैं और पुलिस का कड़ा पहरा है। हर आने-जाने वाले को पुलिस आगे वाला रास्ता खुला बताती, लेकिन सच्चाई यह है कि धरना स्थल पर जाने के लिए कोई रास्ता खुला नहीं था। दोपहर 12 बजे के आस-पास प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड को तोड़ दिया। लेकिन दूसरे बैरिकेड तक आते-आते पुलिस उन पर टूट पड़ी और सबको हिरासत में ले लिया।
जंतर-मंतर से सिर्फ महिला पहलवानों को ही नहीं बल्कि वहां मौजूद हर किसी को हिरासत में ले लिया गया या तो डांट-डपटकर भगा दिया गया। दिल्ली पुलिस ने रविवार को सुबह 6 बजे से लेकर 3 बजे तक ‘लोकतंत्र को बंधक’ बना लिया था। इस दौरान जंतर-मंतर पर किसी के भी आने-जाने की इजाजत नहीं थी। व्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निलंबित थी। और धारा-144 लगी थी।
रविवार दोपहर को दिल्ली पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदकों को जीतकर देश का मान बढ़ाने वाली महिला पहलवानों को सबक सिखाना शुरू किया। थोड़ी देऱ में जंतर-मंतर रणक्षेत्र में बदल गया। पहलवानों को घसीट-घसीट कर हिरासत में लिया जाने लगा तो समर्थक उनको बचाने के लिए उनपर लेट गए। लेकिन एक-एक पहलवान के पीछे दस-दस पुलिसकर्मी थे। उठ-उठाकर सबकों बसों में बैठाया। इस दौरान पहलवानों-समर्थकों की चीख-पुकार सुनकर जंतर-मंतर भी दहल गया।
पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद साक्षी मलिक ने कहा कि हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। पुलिस हिरासत से छूटकर हम वापस जंतर मंतर पर अपना सत्याग्रह शुरू करेंगे। इस देश में अब तानाशाही नहीं, बल्कि महिला पहलवानों का सत्याग्रह चलेगा। उन्होंने ट्वीट किया-
पहलवानों के प्रदर्शन के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने रविवार को सख्त कार्रवाई की है। दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर से नए संसद भवन की ओर मार्च कर रहे पहलवानों को हिरासत में ले लिया। दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर से पहलवानों का तंबू भी हटा दिया है। इसे लेकर कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट किया,
पहलवानों के समर्थन में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा “खिलाड़ियों की छाती पर लगे मेडल हमारे देश की शान होते हैं। उन मेडलों से, खिलाड़ियों की मेहनत से देश का मान बढ़ता है। भाजपा सरकार का अहंकार इतना बढ़ गया है कि सरकार हमारी महिला खिलाड़ियों की आवाजों को निर्ममता के साथ बूटों तले रौंद रही है। ये एकदम गलत है, पूरा देश सरकार के अहंकार और इस अन्याय को देख रहा है।”
रविवार को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सिसकियां निकल गयीं। दिल्ली में हुई दो घटनाओं को इतिहास में दर्ज किया जायेगा। पहला, नए संसद का उद्घाटन दूसरा, दिल्ली की सड़कों और सीमाओं पर पुलिसिया कार्रवाई। रविवार को पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से महिला पहलवानों के समर्थन में बड़ी संख्या में किसान और महिलाएं आ रही थीं। सबको दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकरी और यूपी बॉर्डर पर रोक लिया गया। महिला पहलवान भाजपा सांसद और कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है और लगातार उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं। लेकिन पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने की बजाए आज शिकायतकर्ताओं को ही गिरफ्तार कर लिया।
जंतर-मंतर पर धरना देश की संसद के समक्ष धरना माना जाता है। जब भी कोई व्यक्ति, संगठन या राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता अपने मुद्दों का स्थानीय और राज्य स्तर पर समाधान नहीं पाता तो वह दिल्ली का रूख करता है, और जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करके देश की संसद तक अपनी बात पहुंचाता रहा है। अभी तक संसद और सरकार भी यह मानती रही है कि जंतर-मंतर पर धरना संसद पर धरना है।
लेकिन रविवार को मोदी सरकार ने इस नियम को तोड़ दिया। क्योंकि रविवार को सुबह से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद के उद्धाटन में व्यस्त थे। और अब वह जंतर-मंतर पर किसी भी धरने को बर्दास्त नहीं करेंगे। क्योंकि नई संसद और नए भारत में पुरानी संसद और सरकारों के मानकों और नियम-कानून को नहीं माना जायेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर बोला हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहलवानों पर हुई कार्रवाई को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने पहलवानों का समर्थन करते हुए अपने ट्वीट में लिखा-
दिल्ली पुलिस ने महिला पहलवानों के समर्थन में आ रहे विभिन्न प्रदेशों के किसानों और महिलाओं को दिल्ली की सीमाओं पर रोक दिया। किसानों ने सीमा पर ही धरना शुरू कर दिया। और बृजभूषण को गिरफ्तार करने और पहलवानों का उत्पीड़न बंद करने के नारे लगाए।
आम आदमी पार्टी ने पहलवानों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि पीआर प्रधानमंत्री को प्रजा की आवाज सुनाई नहीं देती।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया- देश का मान बढ़ाने वाले हमारे खिलाड़ियों के साथ ऐसा बर्ताव बेहद ग़लत एवं निंदनीय।