झारखंडः फर्जी मुठभेड़ में सीआरपीएफ ने की थी आदिवासी की हत्या, सीआईडी जांच में हुआ साफ

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झारखंड के प्रसिद्ध सारंडा जंगल में एक आदिवासी की एनकाउंटर में मौत सीआईडी जांच में फर्जी पाई गई है। सीआरपीएफ ने फर्जी मुठभेड़ में आदिवासी मंगल होनहागा की हत्या 29 जून, 2011 को कर दी थी। जांच में सीआरपीएफ की 97वीं बटालियन के तत्कालीन सहायक कमांडेंट शंभू कुमार विश्वास को दोषी पाया गया है। उनकी गिरफ्तारी के लिए चाईबासा कोर्ट में वारंट निर्गत करने के लिए सीआइडी ने आवेदन दिया है।

28 जून, 2011 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला के छोटा नागरा थाना क्षेत्र के बालिबा गांव में सीआरपीएफ की 97वीं बटालियन के सहायक कमांडेंट शंभू कुमार विश्वास के नेतृत्व में सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पहुंची थी। सीआरपीएफ की यह टुकड़ी भाकपा (माओवादी) के गुरिल्लों के विरूद्ध अभियान चला रही थी।

मृतक मंगल होनहागा की पत्नी मंगरी होनहागा द्वारा दिए गए बयान के अनुसार सीआरपीएफ ने गांव में पहुंचते ही 20-22 ग्रामीणों को पकड़ लिया और सभी का हाथ पीछे बांध दिया और अपने साथ अपना सामान ढुलवाने के लिए लेते गए। 28 जून की रात में सभी को खुली जगह में रखा और 29 जून को सभी से अपना सामान बाहदा जंगल पहुंचवाया। वहां से आगे सामान ढोने से इनकार करने पर मंगल होनहागा को गोली मार दी गई।

इधर, 30 जून, 2011 को सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट शंभू कुमार विश्वास ने छोटा नागरा थाना में कांड संख्या 06 /11 दर्ज कराया, जिसमें धारा 147,148,149, 353, 307, 302 भादवि, 27 आर्म्स एक्ट, 17 सीएलए एवं 13 यूएपी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ। सहायक कमांडेंट विश्वास ने दर्ज एफआईआर में बताया कि बालिबा और आसपास के ग्रामीण मंगल होनहागा, तासु सिद्धू, आंगरा गुड़िया, सोमिया बारजो, कोका होनहागा, बुद्धु बरजो, बरतो होनहागा, सोमरा बरजो, सोमा बारला, रोंदेय होनहागा, दुबिन बरजो, लंडो देवगम, बुधराम तोरकोट का प्रयोग सामान ढोने के लिए किया था।

पहाड़ चढ़ने पर अचानक दूसरी ओर से अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई। बचाव के लिए हमने भी फायरिंग की। इस क्रम में शंभू कुमार विश्वास ने 16 राउंड, सोहन लाल शर्मा ने 10 राउंड, सिपाही जीडी सिमाद्री छह राउंड, जी लाल ने सात राउंड और मिथिलेश द्वारा 10 राउंड गोली चलाई गई। घटना के दिन सुबह पांच बजे बल द्वारा आसपास का मुआयना किया गया। इस क्रम में मंगल होनहागा मृत पाया गया। गोली उसके शरीर के दाहिने ओर लगी थी। माओवादी की गोली से ही उसकी मौत हुई है।

सीआरपीएफ की 97वीं बटालियन के तत्कालीन सहायक कमांडेंट शंभू कुमार विश्वास के द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के विरोध में बालिबा गांव के आस-पास के दर्जनों गांवों की जनता विरोध में सड़क पर उतर गई और इसे फर्जी मुठभेड़ बताने लगी, क्योंकि ग्रामीणों के अनुसार उस दिन माओवादियों से कोई मुठभेड़ हुई ही नहीं थी। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए तत्कालीन जोनल आईजी रेजी डुंगडुंग ने भी घटना की जांच कराई। इसमें सीआरपीएफ और पुलिस की भूमिका संदेहास्पद पाई गई। इसके बाद छोटा नागरा थाना में ही थाना कांड संख्या 09/12 दर्ज कर मुकदमे का अनुसंधान प्रारंभ हुआ था।

सितंबर 2012 में ही मंगल होनहागा प्रकरण की जांच करने वाले कार्यपालक दंडाधिकारी, पोड़ाहाट, चक्रधरपुर ने अपनी रिपोर्ट में पूरी मुठभेड़ को ही फर्जी करार दिया था। उन्होंने कहा था कि सीआरपीएफ, ग्रामीण और पुलिस के दिए गए विवरण के आलोक में घटनास्थल पर मुठभेड़ की घटना सत्य प्रतीत नहीं होती है। ऐसी स्थिति में मंगल होनहागा पर गोली चलाने वाले व्यक्ति को चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई किया जाना अपेक्षित है। अनुसंधान पर्यवेक्षक और दंडाधिकारी ने जांच में पाया था कि सीआरपीएफ जवान मंगल होनहागा एवं उनके साथियों के साथ बालिबा से छोटानागरा के लिए प्रस्थान कर गए। एसके विश्वास की टुकड़ी आगे चल रही थी। इसमें मंगल होनहागा भी साथ चल रहा था।

दंडाधिकारी एवं पर्यवेक्षणकर्ता के समक्ष छापामारी में शामिल तत्कालीन सोनुआ थाना प्रभारी राजेश कुजूर ने बताया कि कुछ देर बाद सहायक कमांडेंट एसके विश्वास ग्रामीणों से सामान ढुलवाते हुए आगे बढ़ने लगे। पहाड़ पर पहुंच कर ग्रामीणों ने सामान रखा और पहाड़ पर भागने लगे। यह देख सीआरपीएफ के दो जवान लाइट दिखाकर पीछा करने लगे। शंभू विश्वास बोले, रुक जा नहीं तो गोली मार देंगे और फिर उन्हें गोली मार दी गई।

इस अनुसंधान रिपोर्ट के बाद इस मुकदमे को 2012 में ही सीआइडी को सौंप दिया गया था। लगभग आठ साल के बाद अब सीआईडी ने भी सीआरपीएफ की 97वीं बटालियन के तत्कालीन सहायक कमांडेंट शंभू कुमार विश्वास को फर्जी मुठभेड़ का दोषी पाया है। खबर के मुताबिक सीआईडी ने सीआरपीएफ के दोषी अधिकारी को सीआईडी ने पूछताछ के लिए नोटिस भी दिया था, लेकिन वे बयान देने के लिए उपस्थित नहीं हुए।

बाद में सीआइडी ने सीआरपीएफ के डीआईजी से सहायक कमांडेंट को बयान दिलवाने के लिए अनुरोध किया। इसके बाद सीआरपीएफ के डीआईजी ने सीआईडी को पत्राचार के जरिए बताया कि पहले उन्हें इस मुकदमे से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध करवाए जाएं, फिर चूंकि उस उक्त दोषी सीआरपीएफ अधिकारी ड्यूटी आवर में थे, इसलिए ड्यूटी आवर में किसी समय भी सीआईडी सीआरपीएफ मुख्यालय में आकर उसका बयान ले सकती है। खबरों के मुताबिक शंभू कुमार विश्वास वर्तमान में सीआरपीएफ मुख्यालय में हैं।

मंगल होनहागा की फर्जी मुठभेड़ में हत्या की सीआईडी जांच में सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट के दोषी पाए जाने के बाद अब देखना यह होगा कि क्या सीआईडी दोषी सीआरपीएफ अधिकारी को गिरफ्तार कर सजा दिलवा पाती है या नहीं? वैसे झारखंड में सीआरपीएफ द्वारा फर्जी मुठभेड़ में माओवादी बताकर की गई हत्याओं की एक लंबी सूची है, जिसमें कई फर्जी मुठभेड़ों की जांच भी चल रही है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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