अपने ही घर में उल्टे पांव भागे खट्टर; किसानों ने जमकर की तोड़फोड़, पूरा क्षेत्र बना युद्ध का मैदान

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को आज अपने ही घर में किसानों के उग्र प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। आक्रोशित किसानों ने न केवल मुख्यमत्री की सभा नहीं होने दी बल्कि उनके मंच से लेकर आयोजन स्थल पर रखी कुर्सियों को तहस-नहस कर डाला। बताया जा रहा है कि खट्टर हेलीकाप्टर से सभा स्थल तक पहुंचे लेकिन वह लैंड नहीं कर सके। क्योंकि किसान खेतों के रास्ते आयोजनस्थल पर पहुंच गए थे और उन्होंने पूरे सभा स्थल को अपने कब्जे में ले लिया था।

दरअसल मुख्यमंत्री करनाल के कैमला गांव में किसान पंचायत लगाने जाने वाले थे। अभी मंच लगा ही था कि हजारों की संख्या में किसान वहां पहुंच गए और उन्होंने तोड़फोड़ शुरू कर दी। हालांकि इस मौके पर सुरक्षा के लिहाज से हजारों की संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। और जवानों ने किसानों को रोकने की भी कोशिश की। लेकिन किसानों की संख्या अधिक होने के चलते वे नाकाम रहे और फिर उग्र किसानों ने मंच पर चढ़कर टेंट को फाड़ डाला। उसके बाद वो लोग मंच के सामने लगी कुर्सियों पर टूट पड़े और एक-एक कर उन्हें तोड़ डाला।

दरअसल मांगें न मानी जाने से किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। और वे अब सड़क से लेकर खेत तक जगह-जगह प्रशासन की घेरेबंदी शुरू कर दिए हैं। इस मामले में उनका कहना है कि वो कत्तई पीछे नहीं हटने जा रहे हैं और न ही सरकार द्वारा उन्हें थका कर घर वापस भेजने के उसके जाल में ही फंसने जा रहे हैं। लगातार किसानों के इस उग्र रवैये के चलते प्रशासन के हाथ पांव फूले गए हैं। बावजूद इसके सरकार है कि वह कारपोरेट के पक्ष से एक कदम भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।

उत्तराखंड के लोकप्रिय वामपंथी नेता इंद्रेश मैखुरी की टिप्पणी:

कैमला की लड़ाई- सत्ता की हनक को चुनौती देता किसान आंदोलन

आज हरियाणा के किसानों ने करनाल जिले के कैमला गांव में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की बहुप्रचारित किसान पंचायत नहीं होने दी। इस पंचायत को मुख्यमंत्री खट्टर ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया था। तीन दिन से कैमला गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। हजारों पुलिसकर्मियों के साथ आला पुलिस अधिकारी कैमला गांव में डेरा डाले थे। कैमला की ओर जाने वालों रास्तों पर भारी बैरीकेटों के साथ ही माल से भरे ट्रकों को आरटीओ के जरिये जबरन पकड़कर आड़े तिरछे लगा दिया गया था। भारतीय किसान यूनियन चढूनी के नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने जिले के किसानों से खट्टर के कार्यक्रम को न होने देने का खुला आह्वान किया था।

परसों गांव में पहुंचे किसान यूनियन के सैकड़ों समर्थकों को गांव के भाजपा कार्यकर्ताओं ने गांव का किसान होने का दावा करते हुए गांव से बाहर भेज दिया था। उसके बाद गांव के नौजवानों की बैठक हुई और उन्होंने कल सैकड़ों की संख्या में घरौंडा टोल नाके पर जाकर किसानों का साथ देने और खट्टर के कार्यक्रम का विरोध करने का आह्वान किया। आज सुबह से ही हजारों किसान कैमला की ओर बढ़ चले। पुलिस ने किसानों पर अश्रुगैस के गोले दागे। पानी की बौछार की, पर किसान पुलिस बैरीकेटों को तोड़ते हुए खेतों के रास्ते हैलीपेड पर कब्जा कर लिए।

मुख्य मंत्री का हैलीकाप्टर आया और ऊपर से ही वापस जाने को मजबूर हो गया। थोड़ी देर में मुख्यमंत्री की गाड़ियों का काफिला भी लौट गया।इसी बीच कार्यक्रम के आयोजक स्थानीय विधायक के गुंडे और भाजपा कार्यकर्ता पुलिस की मौजूदगी में आंदोलनकारी किसानों पर लाठियों से हमला किये और पिस्तौल दिखा गोली मारने की धमकी देने लगे। इससे गुस्साए किसानों ने पुलिस घेरा तोड़ कर सभा स्थल में प्रवेश कर लिया और पूरे सभा स्थल को तहस-नहस कर दिया। कैमला में आज सत्ता की हनक टूट गई और किसानों की जीत हुई।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author