महाराष्ट्र के नासिक के सिडको मैदान में पिछले दिनों हिन्दू जनजागृति सभा का आयोजन हुआ था। आयोजन बड़े पैमाने पर था। बड़ी संख्या में हिन्दू समाज के लोग इस पधारे थे, जितनी भीड़ थी उतने ही भगवा झंडे। मानो झंडों से ही सभा को पाट दिया गया हो। भीड़ के हाथों में झंडे तो थे ही नासिक शहर भी झंडों से पट गया था। ख़ास बात यह थी कि इस सभा में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा थी। माथे पर पगड़ी और हाथ में भगवा झंडा बड़ा लुभावना लगता था।
लेकिन कहानी यह नहीं है कि नासिक में हिंदी जनजागृति की सभा हुई और यह सभा काफी सफल रही। कहानी तो इस सभा में बीजेपी की एक नयी तस्वीर सामने आयी। सभा में बीजेपी के लोग भी बड़ी संख्या में थे। उनके पास झंडे तो थे ही पोस्टर भी थे। तख्तियां भी थीं और बैनर भी थे। बैनर, पोस्टर और तख्तियों पर एक नया चेहरा दमक रहा था। मुस्कुरा रहा था। वह चेहरा था लॉरेंस बिश्नोई का। वही लॉरेंस बिश्नोई जो सालों से जेल में बंद है लेकिन अब बीजेपी का हीरो बनता दिख रहा है। बीजेपी से जुड़े कार्यकर्ताओं ने लॉरेंस को अपना हीरो बताया।
लॉरेंस को उपाधि भी मिली। उपाधि थी हिन्दू डॉन की। बीजेपी वालों ने साफ़ कहा कि देश और दुनिया उसे चाहे जो भी कहे लेकिन लॉरेंस हिन्दुओं का डॉन है। हिन्दू रक्षक है और हिन्दुओं का संरक्षक भी। अब इस बात की जानकारी लॉरेंस को है या नहीं यह तो कोई नहीं जानता लेकिन बीजेपी के साथ लॉरेंस के सम्बन्ध हैं और सरोकार बढ़ रहे हैं यह साफ़ होता दिख रहा है।
वैसे तो भारत एक सेक्युलर देश है। हमारा संविधान यही कहता है। यह भी सच है कि भारत में हिन्दुओं की आबादी 80 फीसदी तक है यानी भारत एक हिन्दू बहुल देश है लेकिन यह हिन्दू राष्ट्र अब तक बन न सका है। संघ, संघ की सभी अनुषांगिक इकाइयां और बीजेपी लम्बे समय से भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की राह देख रही हैं लेकिन अभी भरपूर मौक़ा नहीं मिल रहा है। इसी साल संघ के सौ साल भी पूरे हो रहे हैं।
संघ की चाहत यही थी कि सौ साल की मेहनत में देश हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा लेकिन अभी तक संभव नहीं हो सका। संघ को काफी मलाल है। लगे हाथ बीजेपी को भी मलाल है। बीजेपी को सबसे बड़ा मलाल यह है कि 2024 के चुनाव में उसे भरपूर सीटें क्यों नहीं मिली? मिल जाती तो हिन्दू राष्ट्र का सपना भी पूरा हो जाता। संघ और बीजेपी के बीच अभी जो रस्साकशी चलती दिख रही है उसमें हिन्दू राष्ट्र एक बड़ा और अहम् मुदा है।
खैर हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना संघ, जनसंघ, हिन्दू महासभा और मौजूदा बीजेपी के कई नेता सैलून करते रहे हैं। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे भी हिन्दू राष्ट्र की चाहत रखते थे। गोडसे देश और दुनिया के लिए भले ही गाँधी के हत्यारे के विलेन की तरह जाने जाते हैं लेकिन इधर दो दशक से कम समय में ही यानी यह भी कह सकते हैं कि मोदी सरकार के काल में गोडसे बीजेपी, संघ, हिन्दू महासभा के बीच एक बड़े नायक के रूप में उभरे हैं।
पहले जो लोग गोडसे का नाम छुपकर लेते थे, अब खुलेआम गोडसे का नाम हेरॉन के रूप में लिया जा रहा है। गोडसे को अपना हीरो मानने वाले बीजेपी और संघ के लोग गाँधी को किस रूप में देखते हैं यह अब किसी से छुपा नहीं है। गोडसे को जो लोग हीरो मानते हैं वे गाँधी को ही विलेन की तरह समझते हैं। यह एक विचित्र ट्रांसफॉर्मेशन है। न इसमें कोई तर्क है और न ही कोई बखेड़ा। जो है सो है। देश चाहे जो भी कर ले।
नासिक की सभा में बीजेपी के हीरो गोडसे तो रहे ही। गोडसे की तस्वीर और पोस्टर खूब लहराए गए। नारे लगे और गोडसे के जयकारे भी लगे। हिन्दू ,हिन्दुस्तान की खूब बात हुई और बीजेपी के कई कार्यक्रम भी तय हुए। लेकिन अहम् सवाल तो यही था कि क्या गोडसे की तरह अब लॉरेंस भी बीजेपी का हिस्सा है ? क्या बीजेपी और लॉरेंस के बीच का यह नया कनेक्शन कोई नया गुल खिलाने की तैयारी है? क्या देश में हिंदुत्व का कोई बड़ा खेल होने वाला है ? गोडसे अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके विचार को बीजेपी वालों ने स्वीकार तो कर ही लिया है। लॉरेंस विश्नोई भले अपराध की दुनिया का आदमी है लेकिन बीजेपी वालों ने उसे अपना हीरो तो मान ही लिया है। उसे हिन्दू डॉन कहा जाने लगा है। यह नए भारत का नया सांस्कृतिक खेल है या फिर नयी तरह की राजनीति।
नासिक के सिडको मैदान में भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर की मौजूदगी में हिंदू जनजागृति सभा आयोजित की गई थी। इस सभा में शामिल हुए नेता और जुटी भीड़ दोनों ही चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस सभा में युवाओं ने नथूराम गोडसे और कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की तस्वीरें प्रदर्शित की। मौजूद कार्यकर्ता और नेताओं द्वारा बिश्नोई के पोस्टर लहराने की वजह से यह सभा अब विवादों में आ गई है। इस मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेश राजहंस ने कहा कि यह भाजपा का छुपा चेहरा है जो अब सामने आया है।
इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गंभीर संज्ञान लिया है। उन्होंने खुद विधायक पडलकर से संपर्क कर सभा की जानकारी ली है। साथ ही पुलिस को इस मामले में कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। बता दें कि जेल में बंद कुख्यात अपराधी लॉरेंस बिश्नोई को भाजपा के कार्यकर्ता धीरे-धीरे अपना नेता मानने लगे हैं। भाजपा के युवा नेता हिंदूवादी विचारधारा के लिए बिश्नोई को एग्रेसिव नेता के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में इस पोस्टर को देखकर साफ लग रहा है कि यहां नेता भी लॉरेंस बिश्नोई के पोस्टर को सपोर्ट कर रहे हैं।
नाथूराम गोडसे की कहानी तो इतिहास के पन्नों में दर्ज है। अब लॉरेंस का इतिहास बन रहा है। लॉरेंस के बारे में जहाँ तक जानकारी है उसके मुताबिक लॉरेंस बिश्नोई का जन्म 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फाजिल्का जिले के दुतारावली गाँव में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। उसके पिता, हरियाणा पुलिस में एक पूर्व कांस्टेबल थे। बिश्नोई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब के अबोहर में पूरी की, 2010 में डीएवी कॉलेज में पढ़ने के लिए चंडीगढ़ चला गया।
एक भारतीय गैंगस्टर है, जिसने “बिश्नोई गिरोह” के बॉस के रूप में ख्याति प्राप्त की, जो कथित तौर पर दुनिया भर में सक्रिय 700 से अधिक शूटरों से जुड़ा हुआ है।अपने अनुयायियों द्वारा “हिंदू डॉन” के रूप में जाने जाने वाले बिश्नोई को 2014 से जेल में रखा गया है और उन पर जबरन वसूली और हत्या सहित कई आपराधिक आरोप हैं , हालांकि उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है।
जेल में रहते हुए, बिश्नोई ने अन्य कैदियों के साथ गठजोड़ किया, जिससे उसके गिरोह को बढ़ावा मिला। अपनी रिहाई के बाद, उसने हथियार डीलरों के साथ संबंध बनाए और अपने आपराधिक कार्यों का विस्तार किया, खासकर पंजाब विश्वविद्यालय में अपने समय के दौरान। 2013 में स्नातक होने के बाद, बिश्नोई ने कथित तौर पर मुक्तसर में सरकारी कॉलेज के छात्र चुनावों में एक विजयी उम्मीदवार और लुधियाना नगर निगम चुनावों में एक प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार की गोली मारकर अपनी हिंसक गतिविधियों को बढ़ा दिया। वह शराब के कारोबार में भी शामिल हो गया और अपने गिरोह में हत्यारों को पनाह देना शुरू कर दिया। 2014 में, उसका राजस्थान पुलिस के साथ सशस्त्र टकराव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उसे कारावास हुआ।
बिश्नोई ने जसविंदर सिंह, जिसे “रॉकी” के नाम से भी जाना जाता है, के साथ संबंध बनाए, जो एक गैंगस्टर से राजनेता बना। रॉकी की 2016 में जयपाल भुल्लर ने हत्या कर दी थी, जिसे बाद में 2020 में गोली मार दी गई थी। 2021 में, बिश्नोई को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) से संबंधित आरोपों के तहत दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि बिश्नोई अपने सहयोगियों के साथ संवाद करने के लिए वॉयस ओवर आईपी (वीओआईपी) कॉल का उपयोग कर रहा था। अगस्त 2023 में, गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते ने ड्रग तस्करी के एक मामले का हवाला देते हुए बिश्नोई की हिरासत प्राप्त की और उसे साबरमती सेंट्रल जेल में एक उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मार्च 2023 में बिश्नोई और 15 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोप पत्र दायर किया। आरोपपत्र में बिश्नोई के सिंडिकेट के खालिस्तान आंदोलन से संबंधों को रेखांकित किया गया है। हालांकि, बिश्नोई ने कहा कि वह खालिस्तान आंदोलन का विरोध करता है और “राष्ट्र-विरोधी” नहीं है। 21 सितंबर 2023 को बिश्नोई ने खालिस्तानी अलगाववादी सुखदेव सिंह गिल (जिसे सुखा दुनेके के नाम से भी जाना जाता है) की हत्या की जिम्मेदारी ली।
अक्टूबर 2024 में, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने आरोप लगाया कि बिश्नोई गिरोह सहित आपराधिक समूहों का इस्तेमाल “भारत सरकार के एजेंटों” द्वारा कनाडा में खालिस्तान आंदोलन से जुड़े व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा था ।वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सिंगापुर में जोड़ी थॉमस से मुलाकात की , जहां कनाडाई अधिकारियों ने खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से बिश्नोई गिरोह को जोड़ने वाले सबूत पेश किए। बिश्नोई गिरोह के बारे में इन आरोपों के जवाब में, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत ने कनाडा से बिश्नोई गिरोह से जुड़े कुछ सदस्यों को प्रत्यर्पित करने के लिए कहा था लेकिन कनाडा ने उन अनुरोधों पर कार्रवाई नहीं की।
2018 में, बिश्नोई के सहयोगी संपत नेहरा ने सलमान खान पर हमला करने का प्रयास किया, जो 1998 के काले हिरण शिकार मामले से जुड़ा था, क्योंकि बिश्नोई गिरोह काले हिरण को पवित्र मानता है। 29 मई 2022 को पंजाब के मानसा में पंजाबी गायक सिद्धू मूस वाला की हत्या कर दी गई। बिश्नोई का सहयोगी गोल्डी बरार ने बिश्नोई के साथ मिलकर हत्या की साजिश रचने की जिम्मेदारी ली। उस समय बिश्नोई तिहाड़ जेल में हिरासत में था, लेकिन पुलिस ने उसके गिरोह को गोलीबारी से जोड़ा। हत्या के बाद बिश्नोई ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर पंजाब पुलिस द्वारा संभावित फर्जी मुठभेड़ से सुरक्षा का अनुरोध किया । बाद में उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय दोनों से अपनी याचिका वापस ले ली।
5 दिसंबर 2023 को जयपुर में करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की गोली मारकर हत्या कर दी गई । बिश्नोई गिरोह ने गिरोह के एक ज्ञात सदस्य रोहित गोदारा के माध्यम से हत्या की जिम्मेदारी ली। बिश्नोई गिरोह ने सलमान खान के साथ अपने करीबी संबंधों का हवाला देते हुए महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर 2024 को हत्या की जिम्मेदारी ली । मुंबई पुलिस ने बिश्नोई की हिरासत हासिल करने का प्रयास किया, लेकिन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 268 के तहत आदेश के कारण इसे खारिज कर दिया गया।
और अब विश्नोई को बीजेपी वाले अपना हीरो मान रहे हैं। इसके क्या मायने हो सकते हैं यह बड़ा सवाल है।
(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)