(अमेरिका द्वारा ईरान पर बमबारी की निंदा करते हुए देश के पांच वामदलों ने एक बयान जारी किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और फॉरवर्ड ब्लॉक द्वारा जारी संयुक्त बयान 🙂
अधोहस्ताक्षरी पांच वामपंथी पार्टियां ईरान पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बमबारी की तीव्र निंदा करती हैं। यह ईरान की संप्रभुता व संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र का गंभीर उल्लंघन है तथा यह वैश्विक तनाव को बढ़ाएगा, पश्चिम एशिया को अस्थिर करेगा और इसके गंभीर आर्थिक दुष्परिणाम होंगे। अमेरिका और इजराइल यह कह कर हमलों को सही ठहरा रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने के करीब था।
यह गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक रफ़ाएल ग्रॉसी ने 19 जून को बयान दिया कि : “हमारे पास व्यवस्थित प्रयास के जरिये परमाणु हथियार की तरफ बढ़ने के कोई सबूत नहीं हैं।” यहां तक कि अमेरिका की गुप्तचर एजेंसियों ने भी स्वीकार किया है कि उनके पास ऐसा कोई निर्णायक सबूत नहीं है, जो यह सिद्ध करे कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा था। इसके अलावा ईरान परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्ता अभी भी है।
इन तमाम तथ्यों के बावजूद इजराइल ने ईरान पर 12 जून को हमला कर दिया ताकि अमेरिका व ईरान के बीच बातचीत की किसी भी संभावना को छिन्न-भिन्न कर दिया जाए। अब आक्रमण के इस कृत्य में इजराइल के साथ अमेरिका भी शामिल हो गया जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने बातचीत के लिए दो हफ्ते का समय निर्धारित किया था। यह साफ तौर पर दर्शाता है कि अमेरिका-इजराइल धुरी की निगाह में अपने इंटेलिजेंस आकलन या किसी भी राजनयिक प्रक्रिया का कोई मोल नहीं है और उनका इरादा ईरान व समूचे पश्चिम एशिया क्षेत्र पर युद्ध थोपने का है।
यह स्पष्ट करता है कि असल मकसद ईरान को तबाह करना, पश्चिम एशिया पर साम्राज्यवादी प्रभुत्व स्थापित करना और संसाधनों के वैश्विक प्रवाह को नियंत्रित करना है। इस हमले का उद्देश्य सैन्य-औद्योगिक संकुल के हितों को पोषित करना और दीर्घकालिक संकट से अंतरराष्ट्रीय पूंजी को बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त करना है। अमेरिका ने ईरान पर बंकर विध्वंसक बम डालने के लिए बी-2 गुप्त बमवर्षकों का प्रयोग किया।
इस हमले के जरिये एक तरह से इराक हमले का पुनर्मंचन किया गया है, ईराक में भी इसी तरह से अपुष्ट दावों के आधार पर हमला किया गया था, जो बाद में झूठ सिद्ध हुए। अमेरिका, दुनिया में इकलौता देश है, जिसने परमाणु हथियार इस्तेमाल किया और वह भी दूसरे विश्व युद्ध के अंत में तब किया, जबकि जापान बातचीत के लिए तैयार था- यह विडंबना है कि वही अमेरिका आज परमाणु हथियारों के खतरे की बात कर रहा है !
अमेरिकी हमला, भीषण रूप से संघर्ष को बढ़ाएगा, जिसका विश्व शांति और समान्य लोगों की आजीविका पर विध्वंसकारी प्रभाव होगा, खास तौर पर भारत जैसे देशों में यह प्रभाव महसूस किया जाएगा, जो कि तेल आयात और प्रवासी मजदूरों के लिए अवसरों के मामले में पश्चिम एशिया पर निर्भर हैं। पहले से संकटग्रस्त श्रमजीवी जनता को युद्ध के आर्थिक दुष्परिणामों का दंश सर्वाधिक झेलना पड़ेगा।
भारत सरकार को अमेरिका परस्त, इजराइल परस्त आर्थिक नीति को तत्काल त्याग देना चाहिए और युद्ध रोकने के वैश्विक प्रयासों में शामिल होना चाहिए। हम अपने देश की समस्त शांतिकामी जनता से अपील करते हैं कि अमेरिकी हमले की भर्त्सना करने में एकजुट हों तथा इस साम्राज्यवादी आक्रमण के विरुद्ध प्रतिवाद संगठित करें।
डी राजा, महासचिव, भाकपा
एम ए बेबी, महासचिव, माकपा
दीपंकर भट्टाचार्य, महासचिव, भाकपा (माले)
मनोज भट्टाचार्य, महासचिव, आर एस पी
जी देवराजन, महासचिव, फॉरवर्ड ब्लॉक